इस फेस्टिवल सीजन में सरकार ने दिवाली पर बंपर धमाका करने की सोची है. आरबीआई के साथ मिलकर अर्थव्‍यवस्‍था में गति लाने के लिए कुछ उपाय किए गए हैं. पढि़ए सरकार के पिटारे से इस दिवाली किसको क्‍या मिलेगा...


त्योहार पर लोन के लिए एक्स्ट्रा फंडत्योहारों के मौके पर उपभोक्ता कर्ज आसान बनाने के लिए सरकार ने बैंकों को अतिरिक्त फंड मुहैया कराने का फैसला किया है. इससे सुस्त अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाकर मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की रफ्तार तेज करने में मदद मिलेगी. वित्ता मंत्रालय ने कहा है कि इस दिशा में बजट में आवंटित 14,000 करोड़ रुपये से कहीं अधिक राशि केंद्र बैंकों को जारी करेगा. वित्त मंत्री पी चिदंबरम जल्दी ही कर्ज की दरों को आसान बनाने के लिए बैंकों के साथ बैठक करेंगे.आसान दरों पर लोन


वित्तमंत्रालय का मानना है कि ज्यादा पूंजी मिलने से बैंक ऑटो और उपभोक्ता ऋणों को आसान दरों पर कर्ज वितरित कर सकेंगे. जुलाई में टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसे उत्पादों की मांग में कमी से कंज्यूमर ड्यूरेबल क्षेत्र के उत्पादन में 9.3 फीसदी की कमी दर्ज की गई थी. इसे देखते हुए वित्ता मंत्रालय ने इस क्षेत्र में मांग बढ़ाने के लिए बैंकों को वित्तीय मदद बढ़ाने का फैसला लिया है. वित्ता मंत्री ने कहा कि ब्याज की दरें कितना नीचे आती हैं यह बैंकों की कर्ज देने की क्षमता पर निर्भर करेगा. यह बैंकों को तय करना होगा कि निचली ब्याज दरें किन क्षेत्रों में मांग बढ़ा सकती हैं. बुधवार को रायपुर में होने वाली रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक से ऐन पहले लिया गया यह फैसला अहम माना जा रहा है.आरबीआई के साथ बैठक में तयवित्ता मंत्री पी चिदंबरम के साथ मंगलवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन की बैठक में तय हुआ कि बैंकों में पूंजीकरण की मात्रा बढ़ाई जा सकती है. बैठक में आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम भी मौजूद थे. सरकार का खास फोकस उपभोक्ता सामान और ऑटो क्षेत्र में दोपहिया वाहनों के कर्ज को आसान बनाने पर है. मंत्रालय का मानना है कि उपभोक्ता कर्ज पर ब्याज की निचली दरें मांग बढ़ाने में मददगार होंगी. इस महीने के आखिर में मौद्रिक नीति की अपनी तिमाही समीक्षा में रिजर्व बैंक भी इस दिशा में कदम उठा सकता है.साफ नहीं कितनी मिलेगी राशि

वित्ता मंत्रालय ने अभी यह उजागर नहीं किया है कि बैंकों को पूंजीकरण के लिए कितनी अतिरिक्त राशि मिलेगी. लेकिन मायाराम ने बताया कि कुल राशि बजट में आवंटित 14,000 करोड़ रुपये से काफी अधिक होगी. करीब एक घंटे तक चली इस बैठक में विभिन्न उद्योग क्षेत्रों को मिलने वाले बैंक कर्ज की मात्रा पर भी चर्चा हुई. सितंबर, 2013 को समाप्त छमाही में बैंकों के कुल कर्ज की वृद्धि दर पिछले साल के मुकाबले 18 फीसदी रही थी, लेकिन कुछ क्षेत्रों को ऋण दर काफी कम रही थी. इसे देखते हुए वित्ता मंत्रालय ने आरबीआइ से दोपहिया वाहनों और उपभोक्ता उत्पादों पर फोकस करने को कहा है.फुस्स न हो जाए दिवाली धमाकात्योहारों में मध्यवर्ग को लुभाने के लिए सरकार ने दोपहिया वाहनों और टीवी, फ्रिज जैसे उपभोक्ता सामान के लिए सस्ते कर्ज का जो रास्ता निकाला है, वह फुस्स साबित हो सकता है. सरकार सार्वजनिक बैंकों को अतिरिक्त फंड देकर इसके लिए प्रोत्साहित कर रही है, जबकि हकीकत यह है कि ये बैंक ऐसी सारी स्कीमें कई वर्ष पहले बंद कर चुके हैं.त्योहारी मौसम पर नहीं दिख रहा असरदेश की प्रमुख दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी बजाज ऑटो के दोपहिया कारोबार के प्रमुख के श्रीनिवास ने दैनिक जागरण को बताया कि बैंकों को अतिरिक्त फंडिंग का इस त्योहारी मौसम में असर पड़ता नहीं दिख रहा. अधिकांश सरकारी बैंक दोपहिया कारोबार के लिए कर्ज ही नहीं देते. फंड मिलने से संभव है ये फिर से कारोबार में आएं, लेकिन इसमें वक्त लगेगा. दोपहिया वाहनों की खरीद के लिए कुछ निजी बैंक या फिर गैर-बैंकिंग वित्ताीय कंपनियां की ओर से ही कर्ज दिया जाता है.सरकार की घोषणा फायदेमंद

यामाहा मोटर इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट राय कुरियन वैसे तो मानते हैं कि आगे चलकर सरकार की यह घोषणा फायदेमंद होगी. लेकिन सरकारी बैंक इसमें कितना उत्साह लेंगे, इसमें अभी संदेह है. इस तरह के कर्ज देना बंद कर चुके बैंकों को अब उन्हें सिरे से ढांचा तैयार करना होगा. कुरियन चेतावनी देते हैं कि बैंकों को सतर्क रहना होगा कहीं हालात वर्ष 2003-04 की तरह न हो जाएं, जब किसी को भी ऑटो लोन दे दिया जाता था. उसका खामियाजा बैंक और कंपनियों दोनों को भुगतना पड़ा था.टू व्हीलर के लिए लोनकुछ सरकारी बैंक खास परिस्थितियों में दोपहिया वाहनों के लिए तो लोन दे भी देते हैं, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक उपभोक्ता उत्पादों से संबंधित स्कीमों को ये चार-पांच वर्ष पहले बंद कर चुके हैं. दरअसल, वर्ष 2002 से वर्ष 2006 तक इन बैंकों ने इसके लिए खूब लोन बांटे थे, लेकिन बड़ी संख्या में ग्राहकों ने कर्ज नहीं लौटाए. आइसीआइसीआइ जैसे बैंक ने भी वर्ष 2006 से दोपहिया वाहनों और घरेलू उपकरणों के लिए कर्ज देना बंद कर दिया है.

 

Posted By: Satyendra Kumar Singh