अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अफ़ग़ानिस्तान और भारत के रिश्तों पर पाकिस्तानी चिंताओं के संबंध में कहा है कि पाकिस्तान को ये अहसास दिलाना होगा कि भारत के साथ शांति सबके हित में है.

साथ ही ओबामा ने चेतावनी भी दी है कि अगर पाकिस्तान अमरीका के हितों का ध्यान नहीं रख पाता है तो अमरीका के लिए उसके साथ दीर्घकालिक संबंध क़ायम रखना मुश्किल हो जाएगा।

बराक ओबामा ने एक प्रेसवार्ता में कहा, "पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसियों के कुछ तत्वों के अफ़ग़ानिस्तान में काम कर रहे चरमपंथी गुटों से साठ गांठ हैं मगर इस चिंता के बावजूद अमरीका पाकिस्तान की मदद करने को प्रतिबद्ध रहा है। लेकिन अगर पाकिस्तान हमारे हितों का ध्यान नहीं रख पाता है तो हम उसके साथ दीर्घकालिक रिश्तों को लेकर सहज नहीं महसूस करेंगे."

अफ़ग़ानिस्तान के संदर्भ में बात को आगे बढ़ाते हुए अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा है कि वहाँ शांति स्थापना और अफग़ानिस्तान-भारत के रिश्तों को लेकर पाकिस्तान में कुछ चिंताए हैं। लेकिन पाकिस्तान को ये समझना होगा कि 'भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंध सभी के हित में है.'

उन्होंने कहा, "एक स्वतंत्र अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान को अपने सुरक्षा हित ख़तरे में नज़र आते हैं क्योंकि उसे लगता है कि अफ़ग़ानिस्तान भारत के साथ गठजोड़ बना लेगा और पाकिस्तान आज भी भारत को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझता है लेकिन हमें उसे ये अहसास दिलाना होगा कि भारत के साथ शांतिपूर्ण रिश्ते सभी के लिए फ़ायदेमंद हैं."

चरमपंथी गुटों से संबंधहाल के दिनों में अमरीका के एक के बाद दूसरे बड़े नेता खुले तौर पर पाकिस्तान के तालिबान और दूसरे चरमपंथी गुटों से रिश्तों की बात दुहराते हैं जिसके चलते अमरीका-पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव की स्थिति बनी हुई है।

वरिष्ठ सैन्य अधिकारी माइक मलेन ने तो सीधे-सीधे कह दिया था कि अफ़ग़ानिस्तान में सक्रिय चरमपंथी हक़्क़ानी गुट पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई का ही एक धड़ा है.पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया है।

हालांकि बराक ओबामा का आरोप माइक मलेन के बयान की तर्ज़ पर नहीं था लेकिन उन्होंने साफ़ कर दिया कि पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसियों के कुछ लोगों का चरमपंथियों से लेन-देन है। साथ ही ये स्पष्ट भी कर दिया है कि पाकिस्तान को इसे रोकना पड़ेगा वरना अमरीका और उसके संबंधों में बदलाव भी आ सकते हैं।

मज़बूतजानकारों का मानना है कि पाकिस्तान के लिए ये विकट स्थिति है क्योंकि न सिर्फ़ उसे अमरीकी आर्थिक मदद की लगातार ज़रूरत है बल्कि उससे मुँह फेरने का मतलब होगा अमरीकियों का झुकाव भारत की तरफ़ बढ़ेगा जिससे पाकिस्तान बहुत सहज नहीं है।

चंद दिनों पहले ही भारत और अफ़ग़ानिस्तान के बीच पहली सामरिक संधि हुई है जिसके तहत भारत वहाँ के सुरक्षाकर्मियों को प्रशिक्षण देगा.अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति हामदि करज़ई ने पूर्व  राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी की हत्या में भी पाकिस्तान का हाथ होने का आरोप लगाया है।

Posted By: Inextlive