बोर्ड ऑफ हायर सेकेंडरी एजूकेशन दिल्ली को उत्तराखंड स्टेट बोर्ड से गैर मान्य करार देने के बाद हजारों युवा भटक रहे हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि एजूकेशन हब में भी इस बोर्ड से एफिलिएटेड स्कूल के साथ ही ऐसे भी तमाम एजेंट्स एक्टिव हैं जो कि युवाओं को बरगला कर अंधेरे की ओर धकेल रहे हैं.


बोर्ड ऑफ हायर सेकेंडरी एजूकेशन दिल्ली को निजी बोर्ड के तौर पर स्थापित किया गया। इस निजी बोर्ड को लेकर कई सालों से कई स्टेट्स में विवाद कोट्र्स तक पहुंच चुका है। बोर्ड को 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी गैर मान्य करार दिया था। अब उत्तराखंड में भी इस बोर्ड की मान्यता को दरकिनार कर दिया गया है। देशभर में फैले इस बोर्ड के स्कूल्स में लाखों लोग सर्टिफिकेट लेकर नौकरियां कर रहे हैं। उत्तराखंड में भी कई हजार ऐसे युवा हैं जो इस बोर्ड के सर्टिफिकेट के आधार पर अपनी रोजी रोटी जुटा रहे हैं। अब बोर्ड के मान्य न होने की पोल खुलने के बाद सबकी सांसें अटक गई हैं।12 हजार में high school


जब आई नेक्स्ट ने इस बोर्ड से जुड़े मामलों की पड़ताल शुरू की तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आई। दरअसल इस बोर्ड की ओर से हर्रावाला के गौतमबुद्ध सीनियर सेकेंडरी स्कूल को मान्यता दी गई है। यहां मान्यता के बाद जो खेल चलता है, वह चौंकाने वाला है। एक एजेंट ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हाईस्कूल या इंटर  की मार्कशीट केवल 12 हजार रुपए के खर्च पर अवेलेबल हो जाती है। उन्होंने बताया कि एग्जाम देना या न देना कैंडीडेट के हाथ में होता है। अगर एग्जाम नहीं दिया तो ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा, लेकिन अगर एग्जाम दिया है तो इतने ही खर्च में काम हो जाता है। हालांकि बोर्ड की वेबसाइट पर यह साफ शब्दों में दिखाया गया है कि यह बोर्ड कब अस्तित्व में आया और किस कानून के तहत यह निजी बोर्ड बना हुआ है।Career par barrierसूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अकेले देहरादून में ही इस बोर्ड से कई हजार युवाओं ने हाईस्कूल व इंटर के सर्टिफिकेट प्राप्त किए हैं। ऐसे में यह युवा अब केवल हर्रावाला या फिर अपने एजेंट्स के चक्कर काटकर परेशान हैं, जबकि स्कूल का कथित प्रिंसिपल फरार चल रहा है।तस्वीर सवाल खड़े करती है

बोर्ड ऑफ हायर सेकेंडरी एजूकेशन की इंटरमीडिएट की एक मार्कशीट आई नेक्स्ट की पड़ताल में सामने आई। इस मार्कशीट पर दिया गया वेबसाइट एड्रेस wwww.bhsedelhionlineresult.com है। इसके अलावा इस बोर्ड की एक और वेबसाइट www.bhsedelhi.org.in  भी है। इस वेबसाइट पर यह रिजल्ट शो नहीं कर रहा है, जबकि पहले वाली चार डब्ल्यू वाली वेबसाइट पर अगर एक डब्ल्यू कम कर दें तो यह रिजल्ट शो कर रहा है। अब बोर्ड से सर्टिफिकेट लेने वाले युवा इन दो वेबसाइट्स के बीच फंसे हुए हैं। इंटरमीडिएट का यह सर्टिफिकेट गौतमबुद्ध सीनियर सेकेंडरी स्कूल, हर्रावाला के प्रिंसिपल की ओर से जारी किया गया है।क्या यह भी होगा चुनावी मुद्दा?चुनावी मौसम और नेताजी के दावों के बीच अब स्टेट के हजारों युवा यह सवाल कर रहे हैं कि क्या सरकार या नेता उनकी इस समस्या का समाधान कर सकते हैं। पॉलिटिकल पार्टीज के लिए यह मामला भी एक चुनावी मुद्दा हो सकता है। ताकि इस मुद्दे के उठने के बाद इन बेबस हजारों उत्तराखंडी युवाओं के सपने उड़ान भरने लगें। हालांकि अभी तक कोई भी राजनीतिक दल इसमें सामने नहीं आया है, लेकिन सूबे में शिक्षा के बाजारीकरण का यह बेजोड़ नमूना है।अब क्या है रास्ता?

हायर सेकेंडरी बोर्ड के कारण टेंशन में आ गए हजारों युवाओं के लिए अभी भी एक रास्ता बचा हुआ है। उत्तराखंड ओपेन यूनिवर्सिटी की ओर से सीधे बीबीए, बीए, बीकॉम और बीसीए कोर्स कराए जाते हैं। इन कोर्सेज में एडमिशन के लिए दसवीं या बारहवीं पास या फेल की जरूरत नहीं होती है। बस इस कोर्स में दाखिले से पहले छह मंथ का स्पेशल कोर्स करना होता है। डेट ऑफ बर्थ के लिए अगर दसवीं का कोई सर्टिफिकेट या बर्थ सर्टिफिकेट न हो तो एक एफिडेविट पर भी डेट ऑफ बर्थ दी जा सकती है। इसी प्रकार के कोर्स इग्नू की ओर से भी संचालित किए जा रहे हैं। उत्तराखंड ओपेन यूनिवर्सिटी के देहरादून रीजन के डायरेक्टर संदीप नेगी ने बताया कि इस कोर्स को हालांकि ज्यादातर वह लोग करते हैं जिन्हें अपने प्रमोशन के लिए एजूकेशनल क्वालिफिकेशन बढ़ानी होती है। हालांकि यहां से कोर्स को करने के बाद उत्तराखंड में जॉब की अनुमति यूनिवर्सिटी को मिली हुई है लेकिन दूसरे राज्यों में हाईस्कूल सर्टिफिकेट की डिमांड होने पर मुश्किल पैदा हो सकती है। इसके अलावा ओपेन बोर्ड भी एक ऑप्शन हो सकता है।

Posted By: Inextlive