-गुरुवार को दबोचा गया संदिग्ध, एक दिन पहले भी सामने आया मामला

LUCKNOW: लखनऊ यूनिवर्सिटी के आ‌र्ट्स कॉलेज चल रही बीएड काउंसिलिंग में दलालों का खेल पूरे जोरों पर चल रहा है। दस-दस हजार रुपए में बीएड की सीट लॉक कराने का मामला प्रकाश में आने के बावजूद जागी यूनिवर्सिटी इस पर रोक लगाने में कामयाब नहीं हो पा रही है। गुरुवार को एक दलाल बीएड काउंसिलिंग सेंटर में गलत तरीके से प्रवेश कर सीट एलॉट कराने की कोशिश में लगा हुआ था। जिसे खुद यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने काउंसिलिंग सेंटर के अंदर से पकड़ा । दोपहर दो बजे चीफ प्रोवोस्ट प्रो। एसपी त्रिवेदी ने अपनी टीम के साथ काउंसिलिंग सेंटर में शिकायत मिलने पर छापेमारी की। क निजी कॉलेज के प्रतिनिधि को केंद्र के अंदर तीन कैंडीडेट्स के लिए ड्राफ्ट बनवाने और उन्हें अपने कॉलेज की सीट अलॉट करवाने के दौरान धर दबोचा।

बचने के लिए बनाए बहाने

प्रो। एसपी त्रिवेदी ने जब पकड़े गए युवक से पूछताछ की तो उसने अपनी भाभी के साथ काउंसिलिंग केंद्र पर आने की बात कही। एक महिला शिक्षिका ने तस्दीक की कि उक्त युवक कैंडीडेट्स के सामने खुद को एक निजी बीएड कॉलेज का प्रतिनिधि बता कर उनसे वार्तालाप कर रहा था। जिसके बाद काउंसिलिंग के लिए आए तीनों कैंडीडेट्स ने भी शिक्षिका के बयान को ही सही बताया। प्रो। त्रिवेदी ने बताया कि युवक को प्रॉक्टर कार्यालय के सुपुर्द कर कार्रवाई के लिए कहा गया है। गौरतलब है कि बीएड की काउंसिलिंग में प्रवेश केवल कैंडीडेट्स को ही दिया जाता है। लेकिन, अंदर बैठे जिम्मेदारों की मेहरबानी से निजी कॉलेजों के लोग और दलाल बेखौफ अपनी दुकान चला रहे हैं।

हुआ था धोखाधड़ी का खुलासा

एक दिन पूर्व ही एक छात्रा ने बिना च्वाइस लॉक किए अपनी सीट एलॉट होने की शिकायत एलयू वीसी और राजभवन से की थी। इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन कार्रवाई करते हुए आरोपी शिक्षकों व कर्मचारियों को उनके मूल काम करने से हटा दिया गया। इसके बाद भी गुरुवार को दलालों और प्राइवेट कॉलेजों का जमावाड़ा काउंसिलिंग सेंटर्स के बाहर लगा रहा। केंद्र के बाहर निजी कॉलेजों के दर्जनों स्टॉल और प्रचार वाहन मौजूद रहे। यूनिवर्सिटी प्रशासन के इस मामले में कार्रवाई न करने से निजी बीएड कॉलेजों व उनके दलालों ने पूरी तरह से काउंसिलिंग सेंटर को अपने कब्जे में कर रखा है।

मोबाइल नंबरों से होती है हेराफेरी

यूनिवर्सिटी के सूत्रों का कहना है कि काउंसिलिंग के दौरान ओटीपी जारी किया जाता है। यह वन टाइम पासवर्ड कैंडीडेंट्स को उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर ही एनआईसी की ओर से भेजा जाता है। कैंडीडेट्स का ओटीपी किसी न किसी बहाने से दलाल ले लेते हैं। जिसके बाद शुरू होता है, उन्हें राजधानी व आसपास के कॉलेजों में सीट दिलाने का खेल। इसके एवज में यह निजी कॉलेज व उनके दलाल यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों को एक-एक सीट के लिए दस-दस हजार रुपए की पेशकश कर रहे हैं। कैंडीडेट्स को पूरी सुविधा मुहैया कराने की गांरटी भी दे रहे हैं। इस मामले पर यूनिवर्सिटी प्रशासन गलती मान रहा हैं। गुरुवार को कई बार एनाउंसमेंट करवाकर ओटीपी को साझा न करने की बात कही गई।

हम काउंसिलिंग में किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने में लगे हुए हैं। कैंडीडेट्स को चाहिए कि वह अपना ही नंबर रजिस्टर्ड कराएं, जिस पर उनका ओटीपी प्राप्त हो और उसे किसी से शेयर न करें।

- प्रो। वाईके शर्मा, स्टेट कोऑर्डिनेट, बीएड- 2016

एक संदिग्ध को सेंटर के अंदर से पकड़ा था। उसके पास से तीन ड्राफ्ट प्राप्त हुए थे। जिसे आगे की कार्रवाई के लिए प्रॉक्टर ऑफिस भेज दिया गया।

- प्रो। एसपी त्रिवेदी, चीफ प्रोवोस्ट

Posted By: Inextlive