LDA एक डोर और सील के सहारे builders के गैर कानूनी धंधे पर लगाम लगाना चाहता है. उसने अवैध apartments seal करने के लिए चारों ओर एक डोर बांध दी पर builders की रफ्तार को कानून की यह डोर रोक न सकी और उन्होंने sealing के बावजूद building बनाकर तैयार कर दी है. यहां तक कि लोगों ने इनमें रहना भी शुरू कर दिया है


Lucknow : अपार्टमेंट एक्ट की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। न तो बिल्डर इस रूल को फॉलो कर रहे हैं और न ही एलडीए कोई सख्त एक्शन ले पा रहा है। यही वजह है कि महानगर में मकानों को तोड़कर अवैध अपार्टमेंट्स बनाने का धंधा पनपता जा रहा है। न तो पार्किंग का ख्याल रखा जा रहा है और न ही नियम-कानून का.
तीन महीने पहले यहां सात अपार्टमेंट सील किए जाने के बाद भी यह अंधेरगर्दी जारी है। हैरत की बात यह है कि अपार्टमेंट सील होने के बाद भी लोगों ने यहां सेटल होना शुरू कर दिया है। बिल्डर का ऑफिस भी पार्किंग एरिया में चल रहा है। सील के नाम पर केवल एलडीए ने एक डोर बांध रखी है। जिसकी वजह से यहां निर्माण काम में कोई रुकावट नहीं आ रही है।
नोट कमाने का धंधा
महानगर में बिल्डरों ने नोट कमाने का अनूठा धंधा निकाल लिया है। वह झूठे सपने दिखाकर आम लोगों से बुकिंग के नाम पर करीब 10 प्रतिशत एमाउंट पहले ही जमा करा लेते हैं। इसके बाद साल भर की इंस्टालमेंट तय कर देते हैं। यदि आप फ्लैट की पूरी रकम एडवांस में देना चाहते हैं तो पूरे एमाउंट पर 10 प्रतिशत का डिस्काउंट भी ऑफर किया जाता है.
ऐसा ही एक मामला एक प्राइवेट जॉब करने वाले आकाश कपूर (बदला हुआ नाम) का है। उन्होंने करीब एक साल पहले 8 लाख रुपए देकर फ्लैट की बुकिंग कराई। जब वह रजिस्ट्री कराने की सोच रहे थे तभी यह फ्लैट सील कर दिया गया। अब उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वह क्या करें? बिल्डर बुकिंग एमाउंट भी देने के लिए तैयार नहीं है.
ऐसा ही मामला एक अधिकारी से भी जुड़ा है। उन्होंने भी एक फ्लैट की बुकिंग कराई। बुकिंग के समय दोस्तों से 10 लाख रुपए उधार लिए थे। बिल्डिंग सील होने के बाद वह अपना बुकिंग एमाउंट वापस मांग रहे हैं लेकिन बिल्डर उन्हें रोज टरका रहा है। कुछ बिल्डर तो यहां सील्ड अपार्टमेंट में भी फ्लैट की रजिस्ट्री के लिए प्रेशर डाल रहे हैं.
सात apartment किए गए थे सील
बिल्डर्स ने इंजीनियरों की सांठ-गांठ से अगस्त में लगाई गई एलडीए की सील को तोड़कर निर्माण जारी रखा था। वीसी ने ज्वाइंट सेक्रेटरी को इसकी जांच सौंपी और इसमें दो अधिशासी अभियंता व दो अवर अभियंताओं को दोषी पाया गया। अवर अभियंता गंगेश कुमार सिंह ने बताया कि महानगर इलाका प्राधिकरण की ट्रस्ट योजना है। यहां किसी भी कीमत पर अपार्टमेंट नहीं बनाए जा सकते.
पहले से ही यहां की पूरी योजना के रेजीडेंशियल और कामर्शियल यूज का ले आउट पास है। इसका उपयोग भी नहीं बदला जा सकता है। वैसे भी ग्रुप हाउसिंग के लिए कम से कम 2000 वर्ग मीटर जमीन की आवश्यकता होती है लेकिन यहां कोई भी जमीन इतनी बड़ी नहीं है। यही वजह है कि सितम्बर में यहां के सात अपार्टमेंट को उन्होंने सील करवाया था लेकिन अब यहां का चार्ज उनके पास नहीं है।
बब्लू का apartment भी गिराया जाएगा
महानगर में ही विधायक जितेन्द्र सिंह बब्लू का अपार्टमेंट भी बनकर लगभग तैयार हो गया था। अधिशासी अभियंता प्रदीप कुमार ने बताया कि इसे नियम विरुद्ध बनाया गया है। पुलिस फोर्स मिलते ही इसे ढहाने की कार्रवाई की जाएगी। मल्टीस्टोरी होने की वजह से इसको गिराने के लिए कुछ विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।
फ्लैट खरीदें तो ध्यान रखें
प्रापर्टी कंसलटेन्ट राजीव सिंह चौहान का कहना है कि प्लॉट या फ्लैट खरीदने में सालों की गाढ़ी कमाई लग जाती है। ऐसे में फ्लैट खरीदने से पहले पूरी योजना बनानी चाहिए। बिल्डर के पुराने प्रोजेक्ट को भी देखना चाहिए। इससे उनके  वायदे की हकीकत का अंदाजा लगेगा। खासतौर पर किसी प्रकार की हेराफेरी से बचने के  लिए यही सही तरीका है। कागजातों की पूरी पड़ताल से भी पहले बजट का गंभीरता से अध्ययन किया जाना चाहिए।
अभी भी लोगों को प्लॉट या फ्लैट के कागजातों की अधिक जानकारी नहीं होती है। कई लोगों को कागजातों के  पचड़े समझ में नहीं आते हैं। साइट के  चयन के  साथ ही जमीन के  कागजात की मूल प्रति का एडवोकेट से जरूर अध्ययन कराना चाहिए। यही नहीं, प्राधिकरण के माध्यम से प्लॉट की सही जानकारी लेनी चाहिए। उनके अनुसार प्लॉट लेने के  पहले यह जरूर पता कर लेना चाहिए कि आपके नाम रजिस्ट्री हो रही है या पावर ऑफ  अटार्नी।
महानगर के अवैध अपार्टमेंट्स
विनोद कुमार शर्मा, सी - 829, सेक्टर सी, महानगर
रमेश चन्द्र अग्रवाल, सी - 818, सेक्टर सी, महानगर
राजेन्द्र कुमार व अन्य, सी - 830, सेक्टर सी, महानगर
विमला देवी, सी - 817, सेक्टर सी, महानगर
नौशाद आलम, सी - 706, सेक्टर सी, महानगर
पुनीत बंसल, सी - 705, सेक्टर सी महानगर
रंजीत कुमार मलिक, बी - 983, सेक्टर ए, महानगर
नया अपार्टमेंट एक्ट नहीं फॉलो हो रहा
अगर आप किसी बिल्डर या कंस्ट्रक्शन कंपनी से फ्लैट खरीदने वाले हैं तो नए अपार्टमेंट एक्ट की जानकारी जरूर लें। यूपी में नया अपार्टमेंट एक्ट लागू हो चुका है। इसके तहत अपार्टमेंट बनाने वाले बिल्डर को कानून की सीमा में बांध दिया गया है। फ्लैट के खरीदार को भी कई तरह के अधिकार दिए गए हैं। इस एक्ट के जरिए सरकार ने बिल्डर्स की मनमानी पर लगाम लगा दी है।
बिल्डर्स को बुकिंग के समय ही अपार्टमेंट पूरा करने और फ्लैट पर कब्जा देने की डेट लिखित में देनी होगी। अगर तय समय के भीतर बुकिंग कराने वालों को पजेशन नहीं मिलता है तो कंस्ट्रक्शन कंपनी या बिल्डर को हर्जाना देना पड़ेगा। यह हर्जाना कितना होगा, इसकी घोषणा भी बिल्डर को बुकिंग से पहले ही करनी होगी।
देनी होगी पेनाल्टी
कई बार कंस्ट्रक्शन कंपनी बिना कारण बताए फ्लैट की बुकिंग रद कर देता है। मगर, अब कंपनी बिना सूचना दिए बुकिंग रद करती है तो उसे पेनाल्टी देनी होगी। पेनाल्टी की राशि और भुगतान की अवधि भी बुकिंग के दौरान तय की जाएगी।
पेपर चेक करने का हक
टाउन प्लानर रवि जैन ने बताया कि फ्लैट की बुकिंग करने वाले या खरीदने वाले व्यक्ति को बिल्डर से अपार्टमेंट से संबंधित दस्तावेज मांगने का अधिकार मिल गया है। डिमांड करने पर बिल्डर को दस्तावेजों की कॉपी देनी होगी। बिल्डर या निर्माण कंपनी को अपार्टमेंट में परिवर्तन से पहले प्राधिकरण के मास्टर प्लान और संबंधित अधिशासी अभियंता से एनओसी लेनी होगी। आवंटियों को कब्जा देने के बाद सभी सुविधाओं से संबंधित मूल दस्तावेज सौंपने होंगे.
देना होगा मुआवजा
किसी भी अपार्टमेंट के बन जाने के बाद उसे बनाने वाली कंपनी या बिल्डर की जिम्मेदारी दो साल तक होगी। अगर किन्हीं कारणों से अपार्टमेंट में दोष पाया गया तो उसे ठीक कराना होगा। अगर किसी तरह का कोई हादसा होता है तो उसे मुआवजा देना होगा।
कंपनी को यह फायदा होगा कि निर्माण के दौरान ही उसे पानी-बिजली का अस्थाई कनेक्शन मिल जाएगा। कनेक्शन काटने से पहले बिजली विभाग और वाटर वक्र्स को पहले बिल्डर को कारण बताओ नोटिस भेजना होगा। संबंधित बिल्डर या कंपनी को सुनवाई का मौका देना होगा।
यदि एकल आवास में ग्रुप हाउसिंग का निर्माण कराया गया है तो उसे डिमोलिश करने का अधिकार एलडीए के पास है। यदि उच्च स्तरीय अधिकारी अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश देंगे तो निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी। कम्पाउंडिंग केवल उन्हीं मामलों में हो सकती है जिसमें 10 प्रतिशत निर्माण कार्य नक्शे के अनुरूप न बना हो। सीलिंग के बाद बिल्डिंग को पुलिस कस्टडी में सौंप दिया जाता है। इसके बाद यह पुलिस की रिस्पांसिबिलिटी है कि वह इन सील बिल्डिंग में न तो किसी तरह का निर्माण होने दे और न ही किसी को रुकने दे। इस दौरान इन फ्लैट की रजिस्ट्री कराई जा रही है तो वह भी अवैध है।
-एसएन त्रिपाठी, चीफ इंजीनियर, एलडीए

Posted By: Inextlive