-परिषदीय स्कूल्स में छात्रों के मुकाबले आधी है छात्राओं की संख्या

-रैलियों, नुक्कड़ नाटक भी नहीं जोड़ सके शिक्षा से

फोटो

BAREILLY

पीएम बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को घर-घर पहुंचाने में जुटे हैं। वह मंच से बेटियों को शिक्षित बनाने पर जोर दे रहे हैं। ताकि देश का भविष्य उज्ज्वल हो सके। बेटियों के लिए उन्होंने कई योजनाएं भी शुरू की गई। लेकिन धरातल पर स्थिति काफी चौंकाने वाली है। खासतौर पर परिषदीय विद्यालयों में, इनमें छात्रों के मुकाबले छात्राओं की संख्या आधी भी नहीं है।

विभाग बजा रहा है चैन की बांसुरी

जिले में बेसिक शिक्षा विभाग के 2097 प्राइमरी और 794 जूनियर हाईस्कूल हैं। इनमें रजिस्टर्ड छात्रों की संख्या छात्राओं के मुकाबले दोगुनी है। 2015 के आंकड़ों पर नजर डालें, तो बेसिक शिक्षा विभाग की पोल खुल रही है। इन स्कूल्स में 8 लाख 22 हजार 477 छात्र हैं, जबकि छात्राओं की संख्या 3 लाख 84 हजार 370 है। हैरत की बात है कि छात्राओं की संख्या आधी होने के बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग चैन की बांसुरी बजा रहा है। वह छात्राओं की संख्या बढ़ाने के लिए कोई योजना तैयार नहीं कर रहा है।

जागरुकता के नाम पर बहाया पैसा

अप्रैल माह में जब शैक्षिक सत्र शुरू हुआ, तो बेसिक शिक्षा विभाग के मुताबिक लोगों को जागरूक करने के नाम पर पैसा पानी की तरह बहाया गया। नुक्कड़ नाटक कराए गए। रैलियां निकाली गई। लाउडस्पीकर के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया गया। बैठक को लोगों को बेटियों के शिक्षित होने के फायदे बताए गए। लेकिन हकीकत में यह सब कार्यक्रम फाइलों में ज्यादा हुए। इसी का नतीजा है कि बेटियां शिक्षा के लिए घरों से नहीं निकली।

शिक्षामित्रों पर फोड़ा ठीकरा

बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अपनी नाकामी का ठीकरा अदालत और शिक्षामित्रों पर फोड़ा। अधिकारियों का कहना है कि सहायक शिक्षक के रिवर्ट होने के बाद शिक्षामित्रों ने स्कूल आना छोड़ दिया। इससे परिषदीय विद्यालयों का काम बेपटरी हो गया। इस कारण अभिभावकों ने स्टूडेंट्स का नाम कटवा लिया।

Posted By: Inextlive