- यशभारती अवार्डी बोले, सम्मान कभी शर्तो पर नहीं दिया जाता

LUCKNOW :

उत्तर प्रदेश के यशभारती एवं पद्म सम्मान से सम्मानित विभूतियों को दी जाने वाली मासिक पेंशन की नई नियमावली घोषित होने के साथ इसमें कई नियम और शर्ते भी लागू हो गई हैं। जिस पर यशभारती से सम्मानित लोगों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सम्मान में नियम और शर्ते लागू नहीं करनी चाहिए। हमें सम्मान हमारी प्रतिभा से मिला है, इसमें यह मायने नहीं रखता कि हम कहां जॉब करते हैं। सरकार को इस अवार्ड को राज्य का अवार्ड घोषित करना चाहिए।

नियम लागू किए तो पैसा पूरा दो

यशभारती सम्मान में पचास हजार रुपये पेंशन दी जाती थी। सरकार ने नई नियमावली से पेंशन आधी कर दी है, साथ ही आयकर दाता न हो, कहीं से कोई और पेंशन न पा रहा हो इस तरह के नियम भी लागू कर दिए हैं। इससे यशभारती पेशन पाने वाले मात्र दस फीसद ही बचेंगे। ऐसे में पेंशन की रकम कम करना गलत है। साथ ही जो 2016 के अवार्डी हैं, उन्हें भी इसमें शामिल किया जाए।

ऋचा जोशी

प्रतिभा को दायरे में बांधने कोशिश

नई नियमावली में हैरान करने वाली बात तो जन्मभूमि व कर्मभूमि यूपी होने वाला प्वाइंट है। इसमें प्रतिभा देखनी चाहिए, संघर्ष देखना चाहिए। न कि जन्म और कर्म का स्थान। मैं संगीत क्षेत्र से हूं। संगीत की सरहद नहीं होती। अवार्ड में शर्ते लगाना समझ से परे है। सरकार इसकी रकम में कमी करे या बढ़ाए, इससे फर्क नहीं पड़ता। सम्मान की मान मर्यादा बनी रहे यह बहुत जरूरी है।

पदमा गिडवानी

सम्मान नियमों से परे होता है

सबसे पहले तो इसको पेंशन कहना बंद करें। यह किसी नौकरी की वजह से नहीं बल्कि हमारी कला और प्रतिभा की वजह से मिला है। दूसरा कोई भी सम्मान नियमों से परे होता है। इसमें किसी तरह के नियम नहीं लागू होते। यह तत्कालीन सरकार की अच्छी पहल थी। पूरे इंडिया में ऐसा सम्मान कहीं नहीं दिया जाता है। यह राज्य का सम्मान है। किसी पार्टी या व्यक्ति का नहीं। सरकार की ओर से इसे राज्य का सम्मान घोषित करना चाहिए।

केशव कुमार

वंचित वर्ग को फायदा मिलेगा

सम्मान की पेंशन पाने वाला अगर सक्षम है तो वह खुद ही पेंशन नहीं लेता। जो वाकई में निर्धन और वंचित हैं उनको सही मायनों में मदद मिलेगी। काफी समय से यह मामला लटका था लेकिन सरकार ने महाकवि गोपालदास नीरज का मान रखा। उनकी अंतिम इच्छा को पूरा किया। पेंशन दोबारा शुरू होने से बहुत फायदा होगा। पेंशन की रकम आधी होने और नियमावली लागू करने का फैसला स्वागत योग्य है।

सर्वेश अस्थाना

Posted By: Inextlive