- नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए शासन ने उठाया कदम

- ई-लॉटरी के जरिए होगा जिले की 43 सरकारी भांग दुकानों का आवंटन

GORAKHPUR: भांग के ठेके में अब खेल नहीं हो सकेगा और न ही किसी चहेते को ठेका मिल सकेगा। शासन के निर्देश पर अब ई-लॉटरी से भांग के ठेकों की नीलामी होने जा रही है। जिससे अब खुली बोली की नीलामी प्रक्रिया बंद हो जाएगी। इसके लिए जिला आबकारी कार्यालय की तरफ से कवायद भी शुरू कर दी गई है। आबकारी अधिकारियों की मानें तो नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए यह कवायद की जा रही है।

4300 किलो महीना है खपत

बता दें, गोरखपुर जिले में कुल 43 सरकारी दुकानें हैं। इन दुकानों से महीने भर में 4300 किलो भांग की खपत होती है। इन दुकानों पर गोरखपुर और आसपास एरिया से भांग मंगाई जाती है। इन दुकानों को पिछले कई वर्षो से एक ही ठेकेदार जुगाड़ से नीलामी कराने में सफल हो जाते रहे हैं। कई ठेकेदार तो दो गुनी बोली लगाकर अपने नाम ठेका कर लेते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। जिला आबकारी विभाग की मानें तो जिले के कुल 43 भांग के ठेकों की नीलामी ई-लॉटरी के जरिए की जाएगी। इसके तहत ठेकों के आवंटन के लिए पहले आवेदन पत्र लिए जाएंगे। इसके बाद उनका कंप्यूट्राइज्ड लकी ड्रॉ निकाला जाएगा।

लाखों तक पहुंच जाती है बोली

सरकारी भांग की दुकान चलाने वाले व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि भांग के ठेके के लिए आबकारी विभाग में अधिकारियों की जबरदस्त मनमानी चलती है। भांग के ठेके आबकारी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ही मिल पाते हैं। इसके लिए ठेके सबसे महंगे रेट पर लगाए जाते हैं। कई बार तो उनकी बोली हजारों से शुरू होकर लाखों तक पहुंच जाती है। जिससे दो पक्षों में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी। पुलिस भी बुलानी पड़ती थी। मगर अब ठेकों की ई-लॉटरी द्वारा नीलामी करने से ये परेशानी नहीं होगी।

फैक्ट फिगर

जिले में सरकारी भांग की दुकान - 43

भांग की खपत - 4300 किलो महीना

दुकानों पर आने वाले लोग - प्रति दिन 200 एक दुकान

वर्जन

जिले में कुल 43 भांग की दुकानें हैं। इन दुकानों का ई-लॉटरी के थ्रू आवंटन किया जाएगा।

- विजय प्रताप सिंह, जिला आबकारी अधिकारी

Posted By: Inextlive