- मदन मोहन मालवीय के पौत्र गिरिधर मालवीय ने बताए महामना की सफलता के पांच सूत्र

मदन मोहन मालवीय के पौत्र गिरिधर मालवीय ने बताए महामना की सफलता के पांच सूत्र

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: पंडित मदन मोहन मालवीय सही मायनों में भारत निर्माता थे। उन्होंने समाज सेवा, वकालत, पत्रकारिता, शिक्षा, साहित्य आदि के जरिए देश को बहुत कुछ दिया है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना और उसमें इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी के कोर्स चलाकर उन्होंने अंग्रेजों को चुनौती दी। वह नहीं चाहते थे कि आजादी के बाद अंग्रेजों के चले जाने से देश का यांत्रिक ढांचा बर्बाद हो जाए। महामना मालवीय को भारत रत्‍‌न दिए जाने की घोषणा के बाद उनके पौत्र पूर्व जस्टिस गिरिधर मालवीय ने ये शब्द कहे। उन्होंने महामना के जीवन से जुड़े कई पहलुओं पर पत्रकारों से खुलकर बात की।

सफलता के पांच सूत्र

महामना का जीवन स्वच्छता और पवित्रता से भरा था। वह अजातशत्रु थे। किसी से उनका मनमुटाव नहीं था। मृदुभाषी होने के चलते वह सबके प्रिय थे। कोमल हृदय होने के बावजूद वह विचारों के दृढ़ थे। साधारण भोजन करते थे और सफेद वस्त्र पहनते थे। उनके जीवन में सफलता के पांच सूत्र थे। जिनमें देशप्रेम, सतचरित्र, विद्या अध्ययन, आत्म त्याग और स्वस्थ जीवन शामिल हैं। उन्होंने आजीवन इन्हीं का पालन किया।

नौकरी देने के लिए नहीं थी शिक्षा

अंग्रेजी शासन के दौरान कुछ युवाओं ने महामना से शिकायत की कि बीएचयू से पढ़ने के बाद अंग्रेज उन्हें सरकारी नौकरी नहीं दे रहे हैं। इस पर उन्होंने युवाओं को बुलाया और समझाया कि बीएचयू में शिक्षा का उददेश्य कभी सरकारी नौकरी दिलाना नहीं रहा। इसका उददेश्य युवाओं को देश निर्माता बनाना है। आप के भीतर देश-प्रेम की भावना जागृत करना है।

पत्रकारिता में नहीं किया उसूलों से समझौता

क्88म् में राष्ट्रीय महासभा के मंच पर पहला भाषण देने के बाद वह इतने चर्चित हुए कि काला कांकर के राजा रामपाल सिंह ने उनसे समाचार पत्र हिंदोस्थान का संपादक बनने का आग्रह किया। एक बार राजा द्वारा मद्यपान करके उनका संबोधन करने से वह इतने रुष्ट हुए कि अखबार से अलग हो गए। बाद में वह इंडियन ओपिनियन, हिंदुस्तान रिव्यू, इंडियन पीपुल, लीडर और भारत आदि समाचार पत्रों से जुड़े। इस बीच उन्होंने कभी अपने उसूलों से समझौता नहीं किया।

लंबे समय से थी प्रतीक्षा

पूर्व जस्टिस गिरिधर मालवीय ने कहा कि उन्हें ही नहीं बल्कि प्रयाग नगरी को लंबे समय से महामना मालवीय जी को भारत रत्‍‌न प्रदान किए जाने की प्रतीक्षा थी। राष्ट्रपति द्वारा ट्वीट किए जाने के बाद फोन के जरिए उन्हें इसकी जानकारी दी गई। इसके बाद तो बधाई देने वालों का तांता लग गया। सभी ने गिरिधर मालवीय को फोन और व्यक्तिगत तौर पर शुभकामनाएं दीं।

Posted By: Inextlive