दुनिया को हिला देने वाले भोपाल गैस कांड को साल 2014 में 30 साल पूरे हो गए हैं. हजारों लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद अब युनियन कार्बाइड का कचरा भोपाल की हवा को प्रदुषित कर रहा है. लेकिन राज्‍य सरकार 30 साल बाद भी यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को भोपाल से साफ नही कर सकी है.


साफ नही हुआ जहरीला कचराविश्व की सबसे दर्दनाक गैस त्रासदी 'भोपाल गैस कांड' को बीते हुए 30 साल हो चुके हैं. लेकिन भोपाल में रहने वाले लोग आज भी इस त्रासदी के असर को झेलने के लिए मजबूर है. उल्लेखनीय है कि यूनियन कार्बाइड परिसर में पड़ा हुआ 350 मीट्रिक टन के कचरे को आजतक साफ नही किया गया है. इस कचरे के निस्तारण के संबंध में हाईकोर्ट केंद्र और राज्य सरकारों को आदेश दे चुकी है. लेकिन इस कचरे की समस्या जस की तस पड़ी हुई है. मुश्किल होता कचरे का निस्तारण
भोपाल में युनियन कार्बाइड परिसर में पड़े हुए 350 मीट्रिक टन के कचरे को लेकर हाईकोर्ट द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों को आदेश दिया जा चुका है. लेकिन इस मामले में अब तक कोई प्रगति नही हो सकी है. दरअसल हाईकोर्ट ने इस कचरे को धार जिले के पीथमपुर में इंसीनरेटर में नष्ट करने का आदेश दिया था. लेकिन गैरसरकारी स्वयं सेवी संगठनों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया. इस विरोध का आधार यह था कि इस कचरे के पीथमपुर में जलाए जाने से वहां रह रहे लोगों की जान को खतरा हो सकता है. इसके बाद कोर्ट ने कचरे को गुजरात के अंकलेश्वर और महाराष्ट्र में डीआरडीओ (नागपुर) के इंसीनरेटर में जलाने की बात कही. लेकिन गैर सरकारी संगठनों ने वहां भी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए. जर्मनी से भी आई कंपनीगैर सरकारी संगठनों के विरोध के बीच में एक जर्मन कंपनी ने इस कचरे को समाप्त करने के लिए हामी भरी. लेकिन जर्मनी में भी इस बात की खबर मिलते ही विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए और कंपनी को अपने हाथ पीछे खींचने पड़े. हालांकि इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रेल को इस प्रकार का दस मीट्रिक टन कचरा पीथमपुर के इंसीनरेटर में जलाने का निर्णय दिया और बाकि कचरे को भी यहीं नष्ट करने के लिए कहा गया. पीड़ितों को नही मिल रहा मुआवजासरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस गैस कांड में 5295 लोगों की मौत हुई थी. सरकार ने इन पीड़ितों को मुआवजे की रकम अदा कर दी है. लेकिन भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन का इस मामले में कुछ और ही कहना है. इस संगठन की कार्यकर्ता रचना ढींगरा कहती हैं कि पिछले तीस सालों में लगभग 25 हजार लोग इस त्रासदी के चलते अपनी जान दे चुके हैं. लेकिन सरकार ने सिर्फ 5295 लोगों को ही मुआवजा दिया है.

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Posted By: Prabha Punj Mishra