आज भी जब ज्ञानी पुत्रों की बात होती है तो महाभारत के अभिमन्‍यु का नाम सबसे पहले आता है क्‍योंकि अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र अभिमन्‍यु अपनी मां के गर्भ से ही संस्‍कारवान और ज्ञानी हो गए थे। ऐसे में अब भोपाल यूनिवर्सिटी ने आज के दौर में भी अभिमन्‍यु जैसी संताने होने का दावा किया है। इसके लिए यूनिवर्सिटी में इन दिनों गर्भ संस्कार और पुणसवन्ना संस्कार से बच्‍चों को गर्भ में संस्‍कारवान बनाने का सत्र भी चल रहा है।


गर्भ संस्कार बीते साल शुरू
जानकारी के मुताबिक इन दिनों भोपाल का अटल बिहारी वापजेयी विश्वविद्यालय काफी चर्चा में हैं। इस विश्वविद्यालय का दावा है कि आज भी अभिमन्यु जैसी संतानों का होना मुश्किल नहीं है। अभिमन्यु ने अपनी मां के गर्भ से ही चक्रव्यूह तोड़ने की विद्या सीख ली थी। जिससे यह सच है कि अगर आज के दौरा में भी कोई बच्चा गर्भ में ही अपने सफल भविष्य की कहानी लिख दे तो माता पिता निशचिन्त हो कर जी सकते हैं.ऐसे में अगर आज बच्चों को गर्भ में संस्कार वाला ज्ञान देकर उन्हें की कोशिश की जाए तो यह निश्चित ही सफल होगी। इस दौरान पाए गए संस्कार बच्चों में ताउम्र बरकरार रहते हैं। इसके लिए विश्वविद्यालय इन दिनों गर्भ संस्कार कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। जिसमें तपोवन केंद्र में गर्भ में पल रहे बच्चे को संस्कारों का पाठ पढ़ाने और प्रतिभावान बनाने के लिए आयोजित सत्र में महिलाएं भाग ले रही है। यहां पर यह गर्भ संस्कार बीते साल शुरू हुआ था। पुणसवन्ना संस्कार शुरू होता


जिसमें हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से दो संस्कार गर्भ संस्कार और पुणसवन्ना संस्कार से गर्भस्थ शिशुओं को परिचित कराया जा रहा है। इस दौरान इस संस्कार कार्यक्रम में एक आयोजक की रूप में सक्रिय बबिता सोलंकी का कहना है कि यहां पर सत्र के पहले चरण में जोड़ों को गर्भ संस्कार दिए जाते हैं। जिसमें पूजा अर्चना के बाद पुणसवन्ना संस्कार शुरू होता है। इस दौरान पुजारी बच्चे में दिव्य गुणों को जगाने के लिए पूजा और वैदिक भजनों का पाठ करते हैं.इतना ही नहीं यह कार्यक्रम यहां पर हर दिन करीब 3 घंटे चलता है। जिसमें गर्भवती महिलाओं को योग, संगीत, पेंटिंग और गर्भसंवाद से रूबरू कराया जाता है। जिससे की उनके गर्भ में पलने वाले बच्चों को गुणी बन सके।

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Posted By: Shweta Mishra