झाड़-फूंक से नहीं होगा लकवा का इलाज
- विश्व लकवा दिवस पर एसएस हॉस्पिटल बीएचयू में आयोजित हुआ जागरुकता कार्यक्रम
VARANASIएसएस हॉस्पिटल बीएचयू के ओपीडी में न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट की ओर से विश्व लकवा दिवस पर एक जागरुकता कार्यक्रम का आयेाजन किया गया। कार्यक्रम में प्रो। रामेश्वर चौरसिया और डॉ। अभिषेक पाठक ने लकवा के लक्षण और उनके प्रकार और उसके उपचार के बारे में प्रकाश डाला। इस दौरान ख्यात न्यूरोलॉजिस्ट व अस्पताल के एमएस प्रो। विजयनाथ मिश्र के शोध पर आधारित फिल्म 'फिर वही दिन' भी दिखायी गयी। गांव से आये कई मरीजों ने यह साफ कहा कि आज भी हम अंधविश्वास के चक्कर में पड़ कर झाड़-फूंक और झोलाछाप चिकित्सकों के चंगुल में फस जाते हैं यदि समय रहते हम इलाज कराए तो मरीज की जान आसानी से बचायी जा सकती है। कार्यक्रम में बतौर चीफ गेस्ट सोशलॉजी डिपार्टमेंट के हेड प्रो एके जोशी ने शिरकत की। प्रो विजयनाथ मिश्रा ने कहा कि आज भी लकवा को 'हवा मारना' कहकर ओझा-सोखा के चक्कर में फंसकर मरीज की जान चली जाती है। यदि लकवा लगने के साढ़े चार घंटे के भीतर मरीज चिकित्सक के पास चला आये तो न केवल उसकी जान बच सकती है बल्कि शरीर के अंग को भी सामान्य रखा जा सकता है। कार्यक्त्रम में अस्पताल के पैरामेडिकल और सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी मौजूद रहे।