-डेंटल साइंट फैकल्टी बीएचयू के एक अध्ययन में सामने आयी बात

-फैकल्टी के चार लोगों की टीम ने शहर के 1490 पर किया सर्वे

-मुख के संक्रमण से हृदय, श्वास, रक्त व गुदा भी हो सकते हैं प्रभावित

VARANASI

कैसे कहूं इनकी सांसों में बदबू है। एक टूथपेस्ट के विज्ञापन का यह टैग लाइन आज भी लोगों को याद है। पर ये खास लाइन सिर्फ किसी के लिए नहीं, पूरे बनारस के साठ प्रतिशत आबादी पर सटीक बैठती है। जी हां, शहर के 66 प्रतिशत से अधिक लोगों के दांतों में सड़न है जो बदबू का कारण बनता है। बीएचयू के डेंटल साइंस डिपार्टमेंट में हुए एक रिसर्च में यह तल्ख हकीकत सामने आयी है। जिस तरह शरीर को स्वस्थ रखना जरूरी है। उसी तरह दांतों को भी सुरक्षित रखना जरूरी है। एड्स जैसी बीमारी की शुरुआत कभी-कभी मुख के संक्रमण से भी होती है। मुख की बीमारी से हृदय, श्वास, रक्त, गुर्दा व अन्य मुख्य अंग भी प्रभावित हो सकते हैं। इसके कारण दिमागी बुखार हो सकता है।

लेडीज की स्थिति पुरुषों से खराब

दांतों में कीड़े लगने और सड़न की समस्या (डेंटल कैरीज/कैवीटीज) के प्रसार का अध्ययन भारत समेत दुनिया के विभिन्न भागों में किया जा चुका है। भारत के विभिन्न भागों की तरह पूर्वी उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में भी दांतों की इस समस्या से पीडि़तों की खासी संख्या है। डेंटल साइंस फैकल्टी के प्रो। टीपी चतुर्वेदी, डॉ। राजुल विवेक, डॉ। अतुल भटनागर, डॉ। नीतीश शुक्ला ने इस सर्वे को अंजाम दिया। प्रो। टीपी चतुर्वेदी बताते हैं कि सर्वे के दौरान हमारी टीम ने शहर के विभिन्न भागों में कैंप लगाया। इसमें हमने 35 से 44 वर्ष के बीच के कुल 1,490 लोगों के दांतों का परीक्षण किया। इनमें 690 पुरुष व 800 महिलाएं शामिल थी। अध्ययन में दांतों की सड़न की समस्या कुल 66.66 प्रतिशत लोगों में पायी गयी जिनमें महिलाओं की स्थिति पुरुषों से अधिक खराब मिली।

एक नजर

भारत में दांतों के सड़न से पीडि़तों का प्रतिशत

पूर्वी भारत : 50-97

उत्तर भारत : 52-84

पश्चिम भारत: 41-56

दक्षिण भारत : 45-85

विदेशों में दांतों के सड़न से पीडि़तों का प्रतिशत

अमेरिका: 40-50 प्रतिशत,

अफ्रीका : 30-50 प्रतिशत

यूरोप : 40-60 प्रतिशत पायी गयी है।

नोट: डेंटल साइंस फैकल्टी बीएचयू से मिले आंकड़ों के अनुसार

इन बातों का रखें ध्यान

-तम्बाकू का सेवन न करें, इससे प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

-दिन में दो बार ब्रश करना व खाने के बाद पानी से कुल्ला करना अति आवश्यक है।

-मसूढ़ों की मालिश करना भी आवश्यक है जिसे ब्रश करने के बाद किया जा सकता है।

- हरी सब्जी, दूध, दही इत्यादि, मौसमी फल, टमाटर और गाजर का सेवन अपने खान-पान में नियमित तौर पर करें।

- चिपचिपे और अत्यधिक मीठे पदार्थ का सेवन कम करें, मिठाई का उपयोग खाने के साथ किया जा सकता है।

-हर छह महीने पर दांतों की जांच करायें

Posted By: Inextlive