- शहीदों के सम्मान में बिना बैंड बाजे के निकाला जुलूस

VARANASI

प्रयागराज कुंभ से लौटे नागा सन्यासी बुधवार को बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी में पेशवाई के जुलूस में शामिल हुए। खास यह रहा कि सन्यासियों ने शहीद सैनिकों के सम्मान में बिना बैंड बाजे की यात्रा निकाली। दशनाम जूनागढ़ अखाड़े का जुलूस कबीरचौरा स्थित दूधनाथ मठ से निकला। इसमें सबसे आगे अखाड़े का ध्वज और बीच में नागा सन्यासी चल रहे थे। इसके अलावा सजी हुई बग्घियों में महात्मा बैठे थे। पुलवामा हमले के बाद अखाड़ों ने अपनी पेशवाई शान्ति से निकालने की घोषणा की थी। इस पेशवाई में सिर्फ एक नागा सन्यासी घोड़े पर बैठ तबला बजाते हुए चल रहे थे। वो भी परंपरा का निर्वाह करने के लिए।

खिचड़ी के साथ शुरु हुई पेशवाई

दशनाम जूनागढ़ व आह्वान अखाड़ा की संयुक्त पेशवाई बैजनत्था स्थित जूना गढ़ अखाड़े से खिचड़ी खाने की रस्म के साथ आरम्भ हुई। इस दौरान सैकड़ों साधु-संतों व नागाओं ने भोजन किया। इसके बाद पेशवाई यात्रा कमच्छा, भेलूपुर,सोनारपुरा होते हुए हनुमान घाट पहुंची। जुलूस में सबसे आगे अखाड़े की पताका लिए संत चल रहे थे। उनके पीछे 25 डमरू बजाते साधक थे। डमरू वादकों के पीछे नागा साधु अखाड़े के देवता भाला की सवारी को कंधे पर उठाए चल रहे थे। उनके पीछे जूनागढ़ अखाड़ा के सभापति प्रेम गिरी समेत अखाड़े के चार महंत अपने अनुयायियों के साथ शामिल थे। पूरे जुलूस में शामिल संत व नागा साधु हर-हर महादेव का गगनभेदी उद्घोष करते हुए चल रहे थे। रास्ते में लोगों का हुजूम सन्यासियों के दर्शन के लिए खड़ा था।

भाला की आरती उतारी गयी

हनुमानघाट स्थित अखाड़े में पहुंचकर भाला की स्थापना करने के बाद पूजन व आरती उतारी गई। देवता ( गुरु) प्रयागराज कुंभ से यहां बैजनत्था स्थित अखाड़े में रखा गया था जिन्हें जुलूस के रूप में हनुमान घाट लाकर फिर से स्थापित किया गया। यह परम्परा हर छह साल बाद लगने वाले कुम्भ में की जाती है।

Posted By: Inextlive