-इंडियन साइकियेट्री सोसाइटी ने पीपीटी फोर्स का किया है गठन

टास्क फोर्स लोगों को तनाव रहित खुशहाल जिंदगी जीने के तरीकों से करायेगी अवगत

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VARANASI

शारीरिक रूप से बीमार लोगों के इलाज के लिए डॉक्टर हैं. पर क्या आपको पता है कि जो बीमार नजर नहीं है उन्हें भी डॉक्टर की जरूरत है. जी हां ऐसे लोगों को भी डॉक्टर की जरूरत है जो बीमार नहीं हैं. ताकि वो आगे चलकर बीमार न हो और अपनी पूरी लाइफ खुशहाल तरीके से जी सकें. ऐसे लोग जो मरीज नहीं है पर जिदंगी की जद्दोजहद में तनाव के चलते रोग से ग्रस्त हो सकते हैं उनके लिए देश भर के मनोचिकित्सकों की संस्था इंडियन साइकियेट्री सोसाइटी (आईपीएस) ने पॉजिटिव साइकियेट्री टॉस्क फोर्स का गठन किया है. यह टास्क फोर्स लोगों को खुशहाल जिंदगी के तरीकों से अवगत करायेगा.

खुश रहेंगे तभी जी सकेंगे जिंदगी

टास्क फोर्स का पहला चेयरमैन बीएचयू साइकियेट्री डिपार्टमेंट के प्रो. संजय गुप्ता को बनाया गया है. प्रो गुप्ता बताते हैं कि आज समाज का हर व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के तनाव से ग्रस्त है और 80 प्रतिशत बीमारियों का कारण भी यह तनाव ही है. ऐसे में हमें व्यक्ति के तनाव को दूर करने की जरूरत है जिससे की वो खुशहाल जिदंगी व्यतीत कर सके और एक बेहतर समाज के निर्माण में अपनी अपना सौ प्रतिशत दे सके. इसके लिए हमें ऐसे लोगों तक पहुंचना होगा जो बीमार नहीं है. पॉजिटिव साइकियेट्री टास्क फोर्स (पीपीटीएफ) ऐसे ही लोगों पर काम करेगा और उन्हें खुद को निरोगी रखने के तरीके भी बतायेगा.

बतायेंगे खुश रहने के तरीके

प्रो. गुप्ता ने बताया कि व‌र्ल्ड हेल्थ एसोसिएशन ने 'हेल्थ' की जो डेफिनेशन दी है उसमे हेल्थ सिर्फ रोग की अनुपस्थिति नहीं बल्कि एक पूर्ण शारीरिक, मानसिक, और समाजिक खुशहाली की स्थिति है. पर अफसोस इस बात का है अभी तक इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया गया. डॉक्टर्स का ध्यान सिर्फ मरीज के रोग तक ही केन्द्रित रहता है. पर मरीज के ठीक होने के बाद वह कैसे खुशहाल रह सकता है इस पर पॉजिटिव साइकियेट्री टास्क फोर्स काम करेगा और स्वस्थ्य लोगों को खुशहाल रहने के तरीके बतायेगा. जिसके अंतर्गत स्ट्रेस मैनेजमेंट, माइंडसेट, लाइफस्टाइल, पॉजिटिव एप्टीट्यूड जैसे विषयों पर सेंसिटाइजेशन सेमिनार व कैंप आयोजित किये जायेंगे. इसके अलावा डॉक्टर्स को भी इस बात को लेकर अवेयर किया जायेगा.

टास्क फोर्स करेगा ये काम

-तनाव

-लक्ष्य को लेकर संशय

-वर्क प्लेस में सहभागिता

-परिवार में आपसी रिश्ते

-दांपत्य जीवन

-व्यक्तित्व के अनुसार काम

-बच्चों और पेरेंट्स के सम्बन्ध

-व्यक्तित्व

साइकियेट्री का मतलब सिर्फ मानसिक रोगों का इलाज ही नहीं है. यह किसी व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक राह की ओर ले जाने का भी काम करती है.

प्रो संजय गुप्ता,

साइकियेट्री डिपार्टमेंट, आईएमएस बीएचयू

Posted By: Vivek Srivastava