-दरगाह फातमान, लाट सरैयां व भवनिया कब्रिस्तान में ठंडे किये गये ताजिये

-या हुसैन-या हुसैन की गूंजती रही सदा

VARANASI

शहीदाने कर्बला की याद में शनिवार को पूरा शहर डूबा सा नजर आया। हर जानिब या हुसैन-या हुसैन की सदा गूंजती रही। दोपहर बाद से ही ताजियों का काफिला दरगाह फातमान, सरैयां इमामबाड़ा व भेलूपुर स्थित भवनिया कब्रिस्तान में पहुंचना शुरू हो गया था। इस्लामी कैलेंडर के सन् म्क् हिजरी में क्0 वीं मोहर्रम को इमाम हुसैन व उनके 7क् साथियों को जालिम यजीदी सेना ने कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया था। इसी शहादत की याद में लोग जुलूस निकाल कर इमाम हुसैन के प्रति अपने जज्बातों को व्यक्त करते हैं।

दरगाह ए फातमान पर उमड़ी भीड़

ताजियों को ठंडा करने के लिए दरगाह फातमान पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। खास कारीगरी के नमूने वाले ताजियों को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। फातमान पहुंचने वाले ताजियों में ककरमत्ता का ताजिया, बजरडीहा से नाव वाला ताजिया, शीशे वाला ताजिया, अंसाराबाद का बुर्राक वाला ताजिया, लाल खां (चेतगंज) शुबराती बाबा का जाली वाला ताजिया, पाण्डेयपुर का थर्माकोल, अर्दली बाजार से उल्फतबीबी के अहाते का ताजिया शाि1मल थे।

दिखायी फन-ए-सिपहगरी

ताजिये के कई जुलूस में शामिल लोग फन-ए-सिपहगरी का प्रदर्शन करते हुए चल रहे थे। ताजियों को कांधा देने के लिए लोगों में होड़ लगी रही। जगह जगह शरबत और तबर्रुक का वितरण किया जा रहा था। लल्लापुरा मुस्लिम स्कूल के गेट के पास हिंदुस्तानी बिरादरी के लोग मंच लगाकर लोगों को नियंत्रित करते दिखे। बुनकर बिरादराना तंजीम बारहों के सरदार हाशिम, मुगल अकादमी के चेयरमैन एमएम खान के अलावा वजीहुद्दीन अंसारी भी शांति व्यवस्था में लगे रहे। जिया क्लब की ओर से पितरकुंडा तिराहे पर कैम्प लगाया गया। कैम्प में शकील अहमद जादूगर, इरशाद अंसारी, साजिद अंसारी, साकिब अंसारी आदि लगे रहे।

दहकते अंगारों पर दौड़े

9वीं मोहर्रम शुक्रवार को शिवाला से निकला दूल्हा का जुलूस क्ख् घंटे बाद शनिवार को वापस शिवाला इमामबाड़ा पहुंचकर ठंडा हुआ। लोगों ने कमेटी के अध्यक्ष परवेज कादिर खां को फूल-माला से लाद दिया। दूल्हा बने शकील से गले मिलने वालों का तांता लगा रहा। पूरी रात 7ख् स्थानों पर लगे अलाव में दहकते अंगारों पर कूदकर राख में तब्दील कर दिया। शहर के कई इलाकों से निकले अलम, दुलदुल, ताबूत के जुलूस में अजादारों ने मातम करके खुद को लहूलुहान कर लिया। इधर सुन्नी हजरात ने नफ्ल रोजा रखा। मगरिब की अजान के साथ लोगों ने खजूर से रोजा खोला। दिन में मस्जिदों में शहादतनामा हुआ। उलमा ने शहीदाने कर्बला की याद ताजा करते हुए बताया कि आज के दिन कर्बला में क्या मंजर था।

मोहर्रम में आज

ग्यारहवीं मोहर्रम रविवार को डॉ.नाजिम जाफरी के दालमंडी स्थित आवास से लुटे हुए काफिले का जुलूस निकलेगा। इसमें दुलदुल भी शामिल रहेगा। खास बात यह है कि इस जुलूस में मातम नहीं होता है। सिर्फ लोग कलाम पेश करते हुए धीरे धीरे फातमान पहुंचेंगे।

Posted By: Inextlive