- प्राइवेट लैब्स पर हो रहे ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड

- मोटी कमीशन का बड़ा खेल, चल रहा 30 से 40 प्रतिशत

Meerut : मेडिकल में टेस्ट को लेकर कमीशन का बड़ा खेल चल रहा है। ब्लड टेस्ट, एक्स रे और अल्ट्रासाउंड में मेडिकल स्टाफ मोटी कमाई कर रहा है। प्राइवेट लैब में टेस्ट कराकर डॉक्टर्स अपनी जेब भारी कर रहे हैं। जी हां, मेडिकल में जहां हजारों मरीज अपने इलाज की उम्मीद लेकर आते हैं, लेकिन स्टाफ की निगाहें उनकी जेब पर होती हैं।

सारे टेस्ट प्राइवेट लैब पर

मेडिकल में ब्लड टेस्ट, एक्स रे, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई सहित कुछ अन्य टेस्ट मरीजों को बाहर से कराने पर मजबूर किया जा रहा है। मेडिकल के आसपास ही काफी सारी प्राइवेट लैब्स हैं। मेडिकल पर्चो पर आगे की डेट दिया जाता है। मरीज को मजबूरी में आकर इन टेस्ट को बाहर से मोटी कीमत पर करवाना पड़ता है।

ऐसे होता है खेल

मेडिकल में आने वाले मरीजों को टेस्ट लिख दिए जाते हैं। पर्चो पर टेस्ट लिखने के बाद डॉक्टर उन्हें टेस्ट के लिए भेज देते हैं। मेडिकल के पर्चे पर लैब का नाम तो नहीं लिखा जाता है। मगर आसपास की जिन भी लैब में इन मरीजों को टेस्ट के लिए भेजा जाता है। उन प्राइवेट लैब्स में मेडिकल के डॉक्टर्स व भेजने वाले के नाम से मरीज की एंट्री रजिस्टर में कर दी जाती है। इस रजिस्टर में एंट्री करने का साफ मतलब है कि इस डेट को इस मरीज को इस डॉक्टर ने इस टेस्ट के लिए भेजा था। यानि इसकी कमीशन डॉक्टर को जानी है। जागृति विहार से आई नेहा की दादी को डॉक्टर ने ब्लड के तीन-चार टेस्ट बताए थे। मगर जब वह ब्लड टेस्ट कराने पहुंची तो मेडिकल के ब्लड लैब से उसे यह कहकर लौटा दिया गया कि अभी कुछ दिन बाद आना या फिर जल्दी है तो कहीं और से करा लो। वहीं कंकरखेड़ा की आरती ने बताया उसके बच्चे का ब्लड टेस्ट और एक्स रे होना था। मेडिकल से उसे बगल की प्राइवेट लैब में भेज दिया। वहां लैब में उसकी एंट्री एक रजिस्टर में की गई थी और टेस्ट के दाम भी ज्यादा थे।

चल रहा कमीशन

सूत्रों की मानें तो मेडिकल को प्राइवेट लैब से एक जांच के फ्0 से ब्0 प्रतिशत तक की मोटी कमीशन मिलती है। सूत्रों के अनुसार पांच हजार रुपए तक के टेस्ट में दो हजार रुपए मेडिकल को ही पहुंचाए जाते हैं। अगर कोई टेस्ट एक हजार रुपए का है तो उसमें चार सौ रुपए की कमीशन मेडिकल को मिलती है। दो हजार रुपए के टेस्ट में 700-800 रुपए की कमीशन मेडिकल के खाते में पहुंचती है।

देते हैं आगे की डेट

अल्ट्रासाउंड और एक्स रे के लिए तो मेडिकल से एक से दो महीने आगे की डेट लिख दी जाती है। लो वोल्टेज या मशीन की तकनीकी खराबी का बहाना बनाकर मरीजों को आगे की डेट दे दी जाती है। उधर डॉक्टर के इलाज के अनुसार ये दोनों मरीज को जल्द से जल्द कराने होते हैं। यहां भी मरीज को मजबूरन प्राइवेट लैब्स से ही टेस्ट करवाने पड़ते हैं। रजबन से आई आशा ने बताया कि उसके बेटे के पेट में काफी तेज दर्द हो रहा था, हालत गंभीर थी तो इलाज जल्द कराना जरुरी था, लेकिन उसको अल्ट्रासाउंड के लिए अगले महीने की डेट दे रखी थी। मजबूरी में टेस्ट बाहर से कराना पड़ा।

इलाज तो कराना ही पड़ता है

काफी दिनों से मुझे पेट की परेशानी थी और हर रोज बुखार चढ़ रहा था। सोचा था सरकारी अस्पताल में सस्ता इलाज हो जाएगा, लेकिन यहां तो टेस्ट कराने के लिए बाहर भेज दिया और लेने के देने पड़ गए। ऊपर से कुछ दवाएं भी बाहर की लिख दी।

-शाइस्ता, लिसाड़ी गेट

कुछ दिन पहले ही मैं गिर गया था। मेरे पैरों की हड्डी में बहुत ही दर्द था। इसलिए मेडिकल में दिखाने आया था। यहां पर मुझे एक्स रे लिखा गया वो भी अगले दो हफ्ते बाद का समय दिया गया। मजबूरी में मैंने तो बाहर से ही करवाया।

-बिलाल, कोतवाली

बच्चे को डॉक्टर ने दो तीन टेस्ट लिखे हैं। तीनों टेस्ट बाहर से कराने पड़े। कम से कम पांच हजार का खर्च आया है। सरकारी अस्पताल आने का भी कोई फायदा नहीं हुआ है।

-आरती, रजबन

यहां तो काफी दिनों से अल्ट्रासाउंड के लिए लटकाया हुआ था। मजबूरी में मुझे बाहर से ही टेस्ट करवाना पड़ा। डॉक्टर्स ने जो दवाएं भी लिखी हैं, उनमें से एक दो ही मेडिकल में मिली, बाकी सारी बाहर से ही लेनी पड़ी।

- अमरीन, जागृति विहार

मेडिकल में मरीजों का हर तरह का संभव इलाज किया जाता है। हमारी कोशिश रहती है कि ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं अस्पताल में मरीजों को मिल सके। अगर फिर भी किसी मरीज को कोई परेशानी होती है तो इसकी जानकारी दे सकता है।

-डॉ। सुभाष सिंह, सीएमएस, मेडिकल

Posted By: Inextlive