PATNA : बिहार आज अपने एग्जिसटेंस के सौ साल सेलिब्रेट कर रहा है बावजूद बॉलीवुड हो या स्मॉल स्क्रीन लोगों को यहां दंगे गरीबी क्राइम और बदहाली छोड़ कुछ नहीं दिखता. गंगाजल और अपहरण जैसी फिल्में बनती हैं तो टेलीविजन स्क्रीन पर भी अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो भाग्यविधाता जैसे सीरियल्स टीआरपी बटोरते नजर आते हैं.

खुद बिहार का ही एक जिम्मेदार चेहरा अपने लाफ्टर शोज व टॉक शो में अपने स्टेट और अपने लोगों का मजाक बनाते दिखता है। बात अगर स्मॉल स्क्रीन की करें, तो नो डाउट वहां रीजनल और लैंग्वेज शिफ्ट हमेशा से रहा है। पहले डेली सोप्स जहां गुजरात, पंजाब और राजस्थान बेस्ड होते थे। उनकी जगह अब यूपी, बिहार और हरियाणा ने ले ली है। पर, इस रीजनल शिफ्ट में भी जो बात सबसे शॉकिंग है वो ये कि अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो में चाहे मुसहर जाती का पिछड़ा हुआ रूप हो या बेटी बेचने की प्रथा, बिहार से जुड़ी निगेटिविटी को ही क्यों दिखाया गया। कुछ पॉजिटिव, कुछ अच्छा क्यों नहीं। वहीं कलर्स पर टेलीकास्ट होने वाला शो भाग्यविधाता हो या फिर सहारा वन पर प्रसारित होने वाला सीरियल घर एक सपना, इन दोनों शोज में पकड़वा विवाह जैसे प्लॉट को हाईलाइट किया गया था। जबकि आज के बिहार में मैरेज एट गन प्वाइंट जैसी कोई चीज नहीं।
ये कैसी इंस्पिरेशन?
इस मसले पर जब हमने अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो में लीड रोल प्ले करने वाली 'लाली' रतन राजपूत से बात की तो, उन्होंने कहा कि जहां पॉजिटिव चीजें होती हैं, वहां निगेटिव चीजें भी रहती हैं। सो ऐसे में अगर हम बिहार का वीक और पिछड़ा हुआ रूप दिखाते हैं, तो वो भी सिर्फ इसलिए कि लोग इंस्पायर हो सकें। रतन ने कहा कि जैसे मेरा ही जो कैरेक्टर था 'लाली' का, उसके थ्रू भी ये दिखाया गया कि वो जब उतनी गरीब और अनपढ़ हो कर अपने हक और सच्चाई के लिए आवाज उठा सकती है, तो जो लोग ऑलरेडी पढ़े-लिखे और अवेयर हैं वो सही और गलत में फर्क क्यों नहीं कर सकते। रतन के अनुसार ऐसे थीम का मकसद बिहार या बिहारियों की टांग खींचना नहीं होता बल्कि बिहारियों के लग्न और जज्बे को दिखाना होता है। पर, रतन के इस एक्सप्लानेशन के बाद भी सवाल यह है कि ऑडिएंस को इंस्पायर करने के लिए ही सही वीकनेस क्यूं दिखाएं, स्ट्रेंथ्स क्यूं नहीं। क्योंकि वीकनेसेज तो कई बार गलत इंटरप्रेट भी हो जाती हैं।

राजेश कुमार : स्टार प्लस के फेमस सिटकॉम साराभाई वर्सेज साराभाई का हिस्सा रहे रोशेश यानी राजेश कुमार का कहना है कि जिन लोगों ने बिहार को रीग्रेसिव शेड में दिखाया है, शायद ये वो लोग हैं जिन्होंने आज से 10-15 साल पहले का बिहार देखा है, आज का नहीं। या फिर उनकी कहानी में फिक्शन 90 परसेंट और सच्चाई 10 परसेंट ही होती है। उन्होंने बताया कि लेकिन अब ट्रेंड बदल रहा है, जी टीवी पर आने वाला बिहार बेस्ड सीरियल अफसर बिटिया तो बड़ा ही पॉजिटिव शेड वाला और प्रोग्रेसिव अप्रोच वाला सीरियल है। वो इस चेंज से बहुत ही खुश हैं और कहते हैं कि वो दिन दूर नहीं जब टेलीविजन बिहार को एक बेटर लाइट में परसीव करेगा। पर, इसके लिए हर बिहारी को अपनी रिस्पांसबिलिटी समझनी होगी।

नेहा सरगम : स्टार प्लस पर टेलीकास्ट होने वाले शो चांद छुपा बादल में निवेदिता का रोल प्ले करने वाली नेहा सरगम का मानना है कि ऐसा नहीं है कि बिहार को सिर्फ निगेटिव लाइट में ही पोट्रे किया जाता है, अब तो उसके अच्छे शेड्स को भी दिखाया जाता है। हां, पहले के कुछ शोज में थोड़ा एग्जैजरेशन जरूर था, लेकिन अब वो भी नहीं। उन्होंने कहा कि जहां तक टेलीविजन शोज को फॉलो करने की बात है तो मैं अपने बिजी शेड्यूल की वजह से ज्यादा देख तो नहीं पाती। पर, पर्सनल लेवेल पर यह कोशिश जरूर रहती है कि जहां भी जाऊं बिहार के अच्छे एग्जामपल्स प्रेजेंट करूं। नेहा का मानना है कि बिहारियों को सही मायने में समझने के लिए उन्हें ठीक से जानने की जरूरत है और जो लोग ऐसा नहीं करते वो एक मिसकंसेप्शन में जीते हैं।
By : Parul Prashun
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Posted By: Inextlive