PATNA: जहां एक ओर बिहार में नशाबंदी की बात को इतनी प्रमुखता दी गई है वहीं, दूसरी ओर हाल के कुछ वर्षो में अफीम जैसे मादक पदार्थ की खेती में जबरदस्त तेजी दिखी है। सिर्फ इसी वर्ष बिहार के गया जिले के बाराचट्टी इलाके से करीब ब्00 एकड़ में इसकी खेती का पता चला, जिसे तत्काल नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा नष्ट कर दिया गया। दरअसल कम समय में फसल की तैयारी और चोरी छिपे इसे देश में पंजाब और हरियाणा समेत विदेशों में भी इसकी जबरदस्त कीमत मिलने से इसकी खेती का पहले के कुछ वर्षो में ट्रेंड रहा है। अफीम को परिष्कृत करके हेरोइन जैसे अत्यधिक मादक पदार्थ तैयार किया जाता है। जिसकी कीमत अफीम की तुलना में दस गुणा अधिक होती है।

पंजाब में मिलती है कीमत

बिहार में गया, औरंगाबाद इसकी खेती का सबसे बड़ा गढ़ है। इसके अलावा बिहार के समीपवर्ती जिलों में भी इसकी खेती होती है, जो असंगठित रूप में है। भारत सरकार के नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में रीजनल डायरेक्टर टीके सिंह ने बताया कि बिहार से अफीम उत्पादन की खेप पंजाब और राजस्थान के लिए भेजी जाती है, जहां इसकी अच्छी कीमत मिलती है। उत्पादन के बाद के महीनों में इसकी कीमत बढ़ जाती है। इसी वर्ष कुल तीन ऐसे केस दर्ज किए गए है जहां राजस्थान से गया (बिहार) के करियर के जरिये अफीम की बड़ी खेप पहुंचायी जा रही थी। जानकारी मिलते ही इसकी जब्ती कर ली गई। पंजाब में प्रति किलो इसे म्0,000 रूपये या इससे भी अधिक कीमत मिल जाती है।

अफीम का नक्सली कनेक्शन

रीजनल डायरेक्टर टीके सिंह ने कहा कि इसकी खेती का आर्थिक पक्ष भी बेहद गंभीर है। इसकी खेती से नक्सली भी अपना गतिविधियों को अंजाम देते रहे हैं। इसकी खेती उनकी बड़ी ताकत है। दरअसल, इसके उत्पादन का आधा हिस्सा के मूल्य बराबर हिस्सा किसान नक्सलियों को देते हैं। पहला हिस्सा बुआई के वक्त, दूसरा हिस्सा फूल लगने के समय और एक और हिस्सा फसल बेचने के बाद दिया जाता है।

लाइसेंस का प्रावधान नहीं

जहां देश के कुछ राज्यों में अफीम की खेती के लिए लाइसेंस का प्रावधान है, वहीं बिहार में इसकी खेती के लिए लाइसेंस का कभी प्रावधान नहीं रहा है। इसकी खेती अपराध है और मामला पूरी तरह से गैर जमानती होता है। नियम के मुताबिक साढे़ तीन किलो या इससे अधिक मात्रा में अफीम पकड़ी जाती है तो कम से कम दस साल की जेल का प्रावधान है। बिहार में यह सरकारी जमीन, गैर-मजरूआ जमीन, जंगल की जमीन पर धड़ल्ले से खेती की जाती है। हाल ही में गया के बाराचट्टी इलाके में करीब ब्00 एकड़ जमीन पर इसकी खेती के मामले में पांच एफआईआर भी किया गया है।

बाक्स आइटम

बिहार के इन जिलों में होती है अफीम की खेती। गया, औरंगाबाद, जमुई, मुंगेर, भागलपुर, भभुआ, नवादा, खगडि़या और पूर्णिया आदि शामिल है।

बीते वर्ष इनफोर्समेंट के अभाव में मात्र क्फ् एकड़ में अफीम खेती को नष्ट किया गया, जबकि इस बार ब्00 एकड़ नष्ट किया गया। नारकोटिक्स एक्ट के सेक्शन ब्7 में प्रावधान है कि इस सिलसिले में सरकारी कर्मचारी और जनप्रतिनिधि भी सहयोग करें।

- टीएन सिंह, रीजनल डायेक्टर, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो

Posted By: Inextlive