- गलत बिल की जांच किए बगैर, पैसा जमा कराने का दे रहे आदेश

-रीडिंग की जगह मेंशन कर दिया मीटर का नंबर, बिल देख कंज्यूमर्स के उड़ रहे होश

केस 1

एक सप्ताह पहले श्रीनगर कॉलोनी निवासी हेमराज सिंह को करीब सवा लाख का बिजली का बिल मिला. ये कोई एक-दो साल का नहीं, बल्कि एक माह का था. शिकायत करने बिजली विभाग पहुंचे तो बिना किसी सुनवाई के बिल जमा करने की हिदायत दी गयी.

केस-2

सुंदरपुर के श्यामा प्रसाद के पास 10 दिन पहले 50 हजार का बिजली बिल पहुंचा. इनके मीटर की रीडिंग एक साल के खपत से भी कहीं ज्यादा दर्ज थी. शिकायत करने के बाद किसी तरह से बिल ठीक कराया गया.

यह दो केस बताने के लिए काफी हैं कि बनारस में बिजली विभाग बिजली बिल के नाम पर उपभोक्ताओं को कैसे परेशान कर रहा है. ऐसे सिर्फ ये दो नहीं सैकड़ों उपभोक्ता हैं जिन्हें बिजली विभाग की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. पहले केस में भी कुछ ऐसा ही हुआ. हेमराज को जब करीब सवा लाख का बिल भेजा गया तो उनके होश उड़ गए. इसके बाद वे तीन बार विभाग के चक्कर काटे. शिकायत के बाद भी अधिशासी अभियंता ने बिल की जांच कराने की बजाए जमा करने का दबाव बनाने लगे. उनका कहना था कि बिल में कोई गड़बड़ी है हो नहीं सकती पुराना बकाया जोड़कर बिल बना होगा. इसके बाद उपभोक्ता ने जब खुद इसकी जांच की तो पता चला कि रीडिंग की जगह मीटर नंबर डालकर बिल बनाया गया है. इसी तरह दूसरे मामले में भी विभाग का यही जवाब रहा.

गंभीर है लापरवाही

चुनाव के बाद से ही पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक बेपरवाह हो गए हैं. विभागीय कार्यालयों में उपभोक्ताओं की न कोई सुनने वाला है और न कोई समस्या का समाधान करने वाला. कार्यालयों में बिल में खामी होने की रोजाना कई शिकायतें आती है, लेकिन इसे सुनने वाले नहीं हैं. बिजली बिल में रीडिंग की जगह मीटर संख्या डालकर बिल बना देना गंभीर लापरवाही है, लेकिन फिर भी अधिकारियों को यह सामान्य गलती नजर आ रही है. अभी तो दो केस प्रकाश में आए है, अगर कायदे से जांच हो जाए तो, कई मामले उजागर हो जाएंगे.

कहीं कोई खेल तो नहीं

सूत्रों की मानें तो पीवीवीएनएल के अलग-अलग उपखण्डों में ऐसे कई शिकायतें आती हैं, जिनका समाधान आसानी से नहीं हो पाता. उपभोक्ता विभाग के चक्कर लगाते-लगाते थक जाता है. अंत में उसे किसी दलाल का सहारा लेकर समाधान कराना पड़ता है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि गलत बिल बनवाकर फिर से उसे ठीक कराने के पीछे कोई बड़ा खेल तो नहीं चल रहा है.

बिजली विभाग ने लापरवाही की हद कर दी है. बिल में मीटर रीडिंग की जगह मीटर नंबर डाल दिया गया. जिसकी वजह से बिल लाख में पहुंच गया. इसकी शिकायत करने पर विभाग ने दो टूक बिल जमा करने को कहा है.

हेमराज, श्रीनगर कॉलोनी

मुझे जब बिजली का बिल मिला तो मैं चौंक गया. कई दिनों तक बिजली विभाग का चक्कर काटना पड़ा तब जाकर बिल सही हो सका. विभाग की ये लापरवाही कन्ज्यूमर्स के लिए मुसीबत बन गयी है.

श्यामा प्रसाद, सुंदरपुर

यह नार्मल बात है. जिस उपभोक्ता के बिल में ऐसी गड़बड़ी आई है उसे ठीक करा दिया जाएगा.

आशीष अस्थाना, एसई, पीवीवीएनएल

Posted By: Vivek Srivastava