- 29 मई को जम्मूतवी एक्सपे्रस से बरेली के लिए पार्सल की थी बाइक

- बरेली जंक्शन पर नहीं उतारी गई, अफसर बोले पता करके बताएंगे कहां गई बाइक

============

बरेली:

यह है जुर्माना की दरें

==========

10-रुपए प्रति घंटा बाइक या साइकिल

50 केजी यानि एक यूनिट तक 1 रुपए प्रति यूनिट

25-रुपए प्रति घंटा दिव्यांग रिक्शा चार्ज

15-दिन तक वाहन नहीं लेने आने पर रेलवे की तरफ से दिया जाता है नोटिस

6-माह बाद लास्ट नोटिस किया जाता है जारी, नहीं आने पर नीलामी प्रक्रिया

==================

बरेली: रेलवे अपनी गलती छिपाने और आम लोगों से पेनॉल्टी वसूल रहा है. यह बात हम नहीं बल्कि रेलवे से वाहन और अन्य पार्सल मंगाने वाले लोगों का कहना है. इतना ही नहीं रेलवे की लापरवाही से मंगाए गए पार्सल कई बार तो स्टेशन पर उतारे भी नहीं जाते हैं. जिससे पार्सल ट्रेन में इधर से उधर होते रहते हैं. पार्सल रिसीव करने वाला जंक्शन पर बने पार्सल घर के चक्कर लगाने को मजबूर होता है. पीडि़तों का कहना है कि जब रेलवे पार्सल छुड़ाने में देरी पर पेनॉल्टी वसूलता है तो अपनी गलती पर जुर्माना क्यों नहीं देता.

अफसरों को नहीं पता बाइक कहां

कानपुर निवासी अरविंद कुमार मिश्रा ने 29 मई शाम को जम्मूतवी एक्सप्रेस ट्रेन से अपनी बाइक को पार्सल से बरेली जंक्शन के लिए भेजा था. कानपुर से बाइक ट्रेन पर लोड भी कर दी गई लेकिन बरेली जंक्शन पर जम्मूतवी एक्सप्रेस 29 मई रात को ट्रेन पहुंची तो किसी ने बाइक उतारी ही नहीं. जिससे बाइक जम्मूतवी एक्सप्रेस पर जम्मूतवी के लिए चली गई. अब सुबह बाइक रिसीव करने के लिए जब उनके बेटे अनुज गए तो पता चला कि बाइक ट्रेन से उतारी ही नहीं गई. जब जानकारी की गई तो पता चला कि ट्रेन जम्मूतवी पहुंच चुकी है. बताया गया कि जब ट्रेन वापसी में 31 मई को आएगी तब बाइक उतार ली जाएगी. लेकिन 31 मई को ट्रेन जम्मूतवी आई तो पता चला कि बाइक ही ट्रेन में नहीं है. ऐसे में अब अनुज अपनी बाइक के लिए बार-बार रेलवे जंक्शन पर बने पार्सल घर के राउंड लगा रहे हैं.

2018 की आई बाइक भी जब्त

बरेली जंक्शन के रेलवे पार्सल घर में एक बाइक वर्ष 2018 की आई हुई खड़ी है. वाहन मालिक शाहजहांपुर का है. काफी दिनों बाद जब वाहन मालिक बाइक को लेने के लिए पहुंचा तो उस पर 25 हजार रुपए से अधिक पेनॉल्टी हो गई. जिस पर वह बाइक नहीं ले गया. अफसरों का कहना है कि अब उस बाइक पर करीब 30 हजार से अधिक पेनॉल्टी हो चुकी है. लेकिन बाइक मालिक बाइक को लेने के लिए नहीं आ रहा है. नोटिस भी भेजा जा चुका है, बाइक नहीं ले जाने पर नीलामी की जाएगी.

वाहन से ज्यादा खर्च

बिहार के एक कंपनी ने सुपरवाइजर का काम करने वालों के लिए एक स्कूटर रेलवे पार्सल से भेजा था. स्कूटर तो बरेली जंक्शन पहुंच गया लेकिन स्कूटर पार्सल छुड़ाने वाला जब गया तो उसे बता दिया गया कि अभी स्कूटर नहीं आया. इस पर स्कूटर को कई दिन हो गए. जब वह दोबारा स्कूटर को लेने 14 अप्रैल को पहुंचा तो पता चला कि 18 सौ रुपए पेनॉल्टी लगी है. जबकि स्कूटर को बरेली तक लाने में भी करीब एक हजार रुपए खर्च हो गए. स्कूटर मालिक का कहना था कि स्कूटर दो हजार में खरीदा जबकि पेनॉल्टी और लाने में तीन हजार से अधिक खर्च हो गए.

==================

Posted By: Radhika Lala