- मेडिकल कचरे में भी मुनाफाखोरी का खेल, मेडिकल कचरे के निस्तारण में नियमों की अनदेखी

- संक्रमित सिरिंज, कैथेटर, वीगो व प्लास्टिक बोतलों के ट्रीटमेंट की बजाय हो रही सीधे कबाडि़यों को बिक्री

kanpur@inext.co.in

KANPUR: शहर में मेडिकल वेस्ट की चोरी का बिजनेस भी खूब अच्छे से चल रहा है। चोरी ऐसे कि जिस मेडिकल वेस्ट को सॉलिड वेस्ट मैनेंजमेंट कंपनी को दिया जाना चाहिए था। प्राइवेट हॉस्पिटल वाले उसमें से ज्यादातर संक्रामक प्लास्टिक मेडिकल कचरा अपने मुनाफे के लिए कबाडि़यों को बेच देते हैं। रोज कई कुंटल संक्रमित मेडिकल वेस्ट इसी तरह कबाडि़यों को बेच दिया जाता है। जिससे कई प्राइवेट हॉस्पिटल वाले कमाई भी करते हैं।

शहर में मेडिकल वेस्ट की स्थिति

(एमपीसीसी के मुताबिक)

रोज मेडिकल कचरा निकलता- 800 से 900 किलो

कचरे में संक्रमित प्लास्टिक वेस्ट की मात्रा- ब्00 किलो के करीब

पनकी स्थित एमपीसीसी के इंसीनेटर की क्षमता- ख्00 किलो प्रति घंटा

प्लास्टिक वेस्ट के निस्तारण के लिए ऑटोक्लेव मशीन की क्षमता- भ्00 लीटर

कबाडि़यों को बेचा जा रहा प्लास्टिक मेडिकल वेस्ट

दरअसल शहर में बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण का जिम्मा एमपीसीसी यानी मेडिकल पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी के पास है। जिसका प्लांट पनकी में लगा है। कमेटी के एक अधिकारी ने बताया कि उनके यहां मेडिकल कॉलेज, उर्सला समेत शहर के सभी बड़े प्राइवेट हॉस्पिटलों व डायग्नोस्टिक लैब से मेडिकल वेस्ट आता है। जिसके निस्तारण की एक निर्धारित फीस होती है। सरकारी अस्पतालों से सबसे ज्यादा मेडिकल कचरा आता है। जिसमें से कॉटन, गाजपट्टी के अलावा सीरिंज, वीगो, कैथेटर ग्लूकोज की बोतले सबसे ज्यादा होती है। लेकिन कई प्राइवेट हॉस्पिटलों में इस तरह के संक्रमित वेस्ट को उन्हें न देकर कबाडि़यों को बेच दिया जाता है। ये कबाड़ी इस वेस्ट को रिसाईकिल करने की बजाय सीधे सर्जिकल इक्विपमेंट बनाने वाली कंपनियों को बेच देते हैं।

कूड़े के साथ फेंका जा रहा प्लास्टिक मेडिकल वेस्ट

मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर जितने सख्त नियम हैं उसको पालन कराने में उतनी ही कोताही बरती जाती है। मेडिकल कॉलेज का ही उदाहरण ले। तो ठीक ब्लड बैंक के बाहर आपको प्लास्टिक मेडिकल कचरे से भरा बड़ा कूड़ादान मिल जाएगा। कुछ ऐसा ही हाल चेस्ट हॉस्पिटल के पीछे, हैलट ओपीडी के पीछे भी दिख जाएगा। जहां मेडिकल कचरा खुले में ही पड़ा रहता है।

इसका निस्तारण कहीं नहीं होता

हैलट, चेस्ट हॉस्पिटल के पीछे नार्मल कचरे के साथ फेंके जाने वाले इस मेडिकल कचरे को कहीं भी निस्तारित नहीं किया जाता। इसे नगर निगम की गाड़ी से ही भेज कर सचेंडी के पास फिंकवा दिया जाता है। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज के आस पास के हर कूड़े दान में आपको यही स्थिति देखने को मिलेगी। इस स्थिति में सामान्य कचरे को मेडिकल वेस्ट से सेग्रीगेट नहीं किया जा सकता। ऐसा नहीं कि अधिकारियों को नहीं पता कि यह कचरा कौन फेंकता है, लेकिन निगरानी नहीं होने की वजह से यह आम बात हाे गई है।

नहीं बन सकी कचरे से बिजली

शहर से निकलने वाले सैकड़ों टन कचरे में प्लास्टिक कचरे की मात्रा भी कम नहीं होती। शहर में कचरे से बिजली बनाने का संयत्र एटूजेड कंपनी ने पनकी में लगाया था, लेकिन सरकार बदलते और नगर निगम से करार खत्म होते ही इस महत्वाकांक्षी योजना को ग्रहण लग गया।

हैलट व उर्सला में बंद पड़े इंसीनेटर

मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए उर्सला और हैलट दोनों जगह कई साल पहले इंसीनेंटर बनाए गए थे। जिसमें मेडिकल कचरे के निस्तारण की व्यवस्था थी। इसमें नियमों के मुताबिक ही चिमनी भी थी, लेकिन उर्सला में जिस जगह इंसीनेटर लगा है उसके बंद होने की वजह से वहां अब मरम्मत का काम होता है। यहीं स्थिति हैलट में लगे इंसीनेटर की भी है। अब इन दोनों हॉस्पिटलों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट का निस्तारण एमपीसीसी करती है।

Posted By: Inextlive