Bareilly : स्कूल लाइफ से कॉलेज लाइफ में इंट्री करते ही स्टूडेंट आजाद ख्यालों से लबरेज होता है. वह पहनावे से लेकर कैंपस की हर एक्टिविटी में लिबर्टी चाहता है लेकिन बरेली कॉलेज के बायोटेक स्टूडेंट्स ने अनोखी पहल करते हुए नई परंपरा को जन्म दिया है. स्टूडेंट्स ने खुद ही ड्रेस कोड लागू करने की मांग की है. इसकी सराहना करते हुए कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने परमीशन भी दे दी. ड्रेस कोड का कलर भी फाइनल हो गया है. मैनेजमेंट कमेटी की मुहर लगते ही नेक्स्ट मंथ से सभी स्टूडेंट्स यूनिफॉम्र्ड नजर आएंगे.


Feeling of equalityबीएससी बायोटेक फस्र्ट ईयर के स्टूडेंट्स की इस पहल में सीनियर्स ने उनका बखूबी साथ निभाया। कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन से परमीशन लेने से पहले स्टूडेंट्स ने डिपार्टमेंट में अपनी बात रखी। यह नया कॉन्सेप्ट सभी को पसंद आया। फिर उन्होंने प्रिंसिपल और चीफ प्रॉक्टर से परमीशन ली। ड्रेस कोड के पीछे स्टूडेंट्स का लॉजिक है कि इससे सभी स्टूडेंट्स के बीच इक्वैलिटी की फीलिंग आएगी। ड्रेस कोड में सभी एक समान दिखेंगे। साथ ही कॉलेज में डिसिप्लिन मेंटेन करने में काफी हेल्प मिलेगी।3rd year के लिए next year से
बीएससी बायोटेक के फस्र्ट और सेकेंड ईयर के स्टूडेंट्स ड्रेस कोड फॉलो करेंगे। थर्ड ईयर स्टूडेंट्स के लिए नेक्स्ट सेशन से ड्रेस कोड लागू होगा। बीसीबी में बीबीए, बीसीए और बीलिब स्टूडेंट्स के लिए पहले से ड्रेस कोड है। ये सभी सेल्फ फाइनेंस कोर्सेज हैं। स्टूडेंट्स के इस कदम के बाद सभी सेल्फ फाइनेंस कोर्सेज में ड्रेस कोड की बात उठने लगी है।खादी बनी पहली पसंद


ड्रेस कोड में भी स्टूडेंट्स ने अलग एक्सपेरिमेंट किया है। स्टूडेंट्स और डिपार्टमेंट के स्टाफ ने लीक से हटकर 'गांधी' फैब्रिक यानि खादी को प्रिफर किया है। ब्वॉयज के लिए लाइट ब्राउन कलर की खादी की शर्ट और नैवी ब्लू कलर की पैंट डिसाइड की गई है। वहीं गल्र्स के लिए खादी की कमीज और चूड़ीदार सलवार के साथ दुपट्टïा फाइनल किया गया है। विंटर सीजन में ब्लेजर या फिर स्वेटर प्रिफर किया जाएगा। खादी सेलेक्ट करने के पीछे सभी का लॉजिक है कि यह पहनने में कंफर्टेबल होता है और राष्ट्रीयता की फीलिंग आती है।'स्टूडेंट्स ने खुद ही पहल की थी। उनकी भावना की कद्र करते हुए हमें ऐतराज नहीं। पॉजिटिव पहल है और इससे कैंपस के एकेडमिक माहौल में क्वालिटी सुधार होगा.'-डॉ। आरपी सिंह, प्रिंसिपल, बीसीबी'बच्चों की नई सोच और पहल को डिपार्टमेंट के सभी फैकल्टी मेंबर्स ने खूब सराहा। कॉलेज की परमीशन भी मिल गई है। सभी ने मिलकर कलर और फैब्रिक चूज किया है। पॉजीटिव माहौल बनाने के लिए यह एक पॉजीटिव सोच है.'- डॉ। तृप्ता खरे, हेड, बीएससी बायोटेक'हम सभी स्टूडेंट्स ने मिलकर सोचा कि कुछ अलग किया जाए। इसलिए हमने ड्रेस कोड के बारे में सोचा। हम सबसे अलग दिखना चाहते हैं.'-दीपक, स्टूडेंट बीएससी बायोटेक'यह प्योरली स्टूडेंट की ही सोच है। ड्रेस कोड में कोई बुराई नहीं है। सभी स्टूडेंट्स एक जैसे दिखते हैं। एक अलग ही फीलिंग होती है.'-विपुल मिश्रा, स्टूडेंट बीएससी बायोटेक

'सभी स्टूडेंट्स एक जैसी ड्रेस पहनेंगे तो उनमें इक्वैलिटी की भावना आएगी। सभी एक समान दिखेंगे। कपड़ों से जो अमीरी-गरीबी का डिफरेंस दिखाई देता है, वह भी नहीं रहेगा.' -महक गुप्ता, स्टूडेंट बीएससी बायोटेक'ड्रेस कोड लागू होने से स्टूडेंट्स में डिसिप्लीन जेनरेट होता है। वे कैंपस में सबसे अलग दिखते हैं और अलग व्यवहार भी करते हैं। अलग दिखने की वजह से उनके बिहेवियर में पॉजिटिव चेंज आता है.'-हर्षी दीक्षित, स्टूडेंट बीएससी बायोटेक

Posted By: Inextlive