Varanasi: परिंदों की चहचहाहट किसे अच्छी नहीं लगती. लेकिन अफसोस कि यह चहचहाहट अब कम होने लगी है. पॉल्यूशन व दूसरी वजहों सें परिंदों का संसार सिमटता जा रहा है. कुछ प्रजातियां तो लुप्त होने के कगार पर हैं. लेकिन इस चिंता के बीच बीएचयू की पहल कुछ राहत देने वाली है. जी हां बीएचयू ने लुप्त हो रहे परिंदों को बचाने की एक अनोखी कवायद शुरू की है. इसके तहत बीएचयू के विश्वनाथ मंदिर कैंपस में एक बर्डकेज बनाने की योजना है. बीएचयू के वीसी के निर्देश पर बर्डकेज बनाने की रूपरेखा तैयार कर ली गयी है. वन्य जीव विभाग नयी दिल्ली से परिंदों के संरक्षण संबंधी अनुमति मिलते ही बर्डकेज बनाने का काम शुरू हो जाएगा.

 

VT परिसर अब नये लुक में

बीएचयू के विश्वनाथ टेंपल के पार्क को एक नया रूप दिया गया है। यहां अब फूलों की क्यारियों के अलावा फव्वारे आदि की व्यवस्था शुरू की गई है। इससे मंदिर परिसर का एक नया लुक सामने आया है। इसी कैंपस में बर्डकेज बना देने से यहां हर वक्त चिडिय़ों की चहचहाहट गूंजेगी जिससे प्राकृतिक सौंदर्य का एक अलग ही नजारा देखने को मिलेगा। पार्क में चार मीटर चौड़ा और 40 मीटर लंबे बर्डकेज के बनाने की प्लैनिंग है। इसमें विभिन्न प्रजातियों के परिंदे रखे जायेंंगे. 

परिंदों के विकास पर होगा ध्यान 

बर्डकेज में ऐसे परिंदों को रखने पर विशेष ध्यान होगा जो लुप्त प्राय: हैं और बर्डकेज में ब्रीडिंग कर सकते हैं। केज में रखे जाने वाले परिंदों के डेवलपमेंट को लेकर रिसर्च भी किया जायेगा ताकि उनकी खत्म हो रही नस्ल को संरक्षित किया जा सके। परिंदों को कैद का एहसास न हो इसलिए केज को नैचुरल लुक दिया जायेगा। यहां संरक्षित होने वाले परिंदों में गौरैया, मैना, बुलबुल, लवबर्ड, लालमुनिया, कबूतर, कोयल आदि शामिल हैं। बर्डकेज में परिंदों की संख्या अधिक होने पर उन्हें आकाश में छोड़ दिया जायेगा। इसके अलावा पार्क में कई जगह खुले में कृत्रिम घोंसले भी बनाये जायेंगे. 

वेस्ट मैटीरियल से बनेगा cage

खास बात यह कि इस बर्डकेज को बनाने में बीएचयू में बेकार पड़े लोहे के कबाड़ को काम में लिया जायेगा। इससे बर्डकेज को बनाने में खर्चा भी कम होगा और इन बेकार के सामानों का यूज भी हो जायेगा. 

 

 

 

Posted By: Inextlive