- एनसीजेडीसीसी में जमकर बरसे बिरहा के मनोहारी रंग

- हर थाप पर दर्शकों ने तालियां बजाकर कलाकारों का बढ़ाया उत्साह

एनसीजेडीसीसी में जमकर बरसे बिरहा के मनोहारी रंग

- हर थाप पर दर्शकों ने तालियां बजाकर कलाकारों का बढ़ाया उत्साह

ALLAHABAD@inext@co.in

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ALLAHABAD: लोक गीतों में जीवन के हर रंग और उत्सव को बिखेरती शैलियों की भरमार है। इन्हीं में शामिल बिरहा भी एक खास शैली है। इसी शैली से सुरों की एक शाम फ्राइडे को एनसीजेडसीसी में सजी। मौका था संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से आयोजित प्रोग्राम 'एक शाम बिरहा संध्या के नाम'। प्रोग्राम में हंडिया से आए केशव प्रसाद यादव और उनके ग्रुप ने बिरहा संध्या की शुरुआत धीरज आवे ना भवानी कइसे सुमिरी गाने से किया। इसके बाद तो एक से बढ़कर एक बिरहा गानों की प्रस्तुति देकर उन्होंने दर्शकों का दिल जीत लिया। हर कोई बिरहा की मस्ती में डूबता गया। इसके पहले प्रोग्राम का एनागरेशन चीफ गेस्ट लल्लन सिंह गहमरी ने किया।

कैसा शहर बनउले कारीगर करतार काया में

बिरहा संगीत से सजी शाम में कलाकारों ने कई बेहतरीन गानों की परफार्मेस देकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान कैसा शहर बनउले कारीगर करतार काया, गेहूं जवा में झगड़ा थामी सुनल ज्ञानी रसिया, रामनाम नदिया अगम बही जाए ओमा क्यों क्यों नहाई। जैसे गानों की प्रस्तुति देकर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। प्रोग्राम में अपनी परफार्मेस देने पहुंचे मुख्य गायक केशव प्रसाद ने बताया कि बिरहा लोक संगीत का अहम हिस्सा है। जिसमें जीवन के अलग-अलग मौकों पर विभिन्न गानों की प्रस्तुति की जाती है। उन्होंने बताया कि वे पिछले कई सालों से इस कला का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। उनके ग्रुप में ख्7 लोग शामिल हैं, जो सिर्फ इस कला को आगे ले जाने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं।

Posted By: Inextlive