RANCHI : ओरमांझी स्थित भगवान बिरसा बायोलॉजिकल पार्क बिरसा जू में 17 साल से रह रहे लेपर्ड राजा की 22 जून को जू में उसके केज में ही मौत हो गई. राजा कुछ दिनों से बीमार था. गर्मी के मौसम में राजा को काफी परेशानी होती थी इसलिए हर साल उसे गर्मी के समय पानी चढ़ाया जाता था. राजा के पेट में प्रॉब्लम थी. उसे साल 1997 में पटना जू से बिरसा जू लाया गया था. कुछ महीनों पहले बिरसा जू में एक हिरण की भी मौत हो गई थी. इससे पहले साल 2011 में यहां के एकमात्र शेर सलीम की भी बीमारी से मौत हो गई थी. इससे पहले जू के एकमात्र राइनो कांक्षी की मौत हो गई थी. बिरसा जू में पिछले विंटर सीजन में कुछ स्नेक्स भी मर गए थे. पिछले एक साल में बिरसा जू में लगभग आधे दर्जन एनिमल्स की मौत किसी न किसी वजह से हुई और उनका केज खाली होता गया. लेकिन इन एनिमल्स के बदले जू में नए एनिमल्स नहीं लाए गए. इसकी वजह जू एडमिनिस्ट्रेशन की केयरलेसनेस है या कुछ और आई नेक्स्ट ने यह जानने की कोशिश की.


किसकी है लापरवाही?

बिरसा जू में एनिमल्स की जब भी मौत होती है, तब जू एडमिनिस्ट्रेशन एक रटा-रटाया जवाब देता है कि जानवर की एज बहुत हो गई थी। जू में उसके कन्वीनिएंस का पूरा ख्याल रखा जाता था। लेकिन, उम्र होने के कारण उसे बचाया नहीं जा सका। लेकिन, जिस एनिमल की मौत हुई है, उसकी जगह पर दूसरा एनिमल जल्द आएगा। वहीं, दूसरी तरफ बिरसा जू में पिछले साल शेरनी ने तीन बच्चों को जन्म
दिया था। लेकिन, इन तीनों बच्चों की मौत हो गई। ऐसे में सवाल उठता है कि इन बच्चों
की उम्र तो ज्यादा नहीं थी, फिर भी इन्हें क्यों नहीं बचाया जा सका? आखिर जू एडमिनिस्ट्रेशन कब तक अपना बचाव करता रहेगा? जू में एनिमल्स की मौत किसकी लापरवाही का नतीजा है? जबकि, जू में एनिमल्स की देखरेख के लिए वेटरिनरी डॉक्टर व कर्मचारियों की पूरी फौज तैनात है। इसके बावजूद भी एनिमल्स कैसे मर रहे हैं? आइए डालते हैं बिरसा जू के वादों, दावों और हकीकत पर एक नजर।

नहीं आया white tiger का जोड़ा
पिछले साल बिरसा जू में एक पेयर ह्वïाइट टाइगर लाने की भी घोषणा हुई थी। इसके लिए नंदनकानन जू एडमिनिस्ट्रेशन से झारखंड के पीसीसीएफ एके मल्होत्रा ने बात की थी। नंदनकानन जू ने इसके लिए कंसेंट भी दे दिया था। नंदनकानन जू एडमिनिस्ट्रेशन ने ह्वïाइट टाइगर भेजने के बदले में बिरसा जू से भी कुछ एनिमल्स मांगे थे। लेकिन, बिरसा जू एडमिनिस्ट्रेशन आज तक यह डिसाइड ही नहीं कर पाया है कि किस एनिमल को नंदनकानन जू भेजा जाए। ऐसे में जू में ह्वïाइट टाइगर का पेयर नहीं आ पाया।

ईटानगर से नहीं आए tigers
अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर के जू से बिरसा जू में दो टाइगर्स लाए जाने थे। एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत बिरसा जू में ईटानगर जू से दो टाइगर्स लाने का प्रपोजल सेंट्रल जू अथॉरिटी को भेजा गया था, जिसे जू अथॉरिटी ने मंजूरी दे दी है। इस साल अप्रैल में ही इन टागर्स को लाना था, लेकिन आज तक वो टाइगर्स यहां नहीं लाए जा सके हैं।

Hippo  को नहीं मिली partner
बिरसा जू में सिर्फ मेल हिप्पो ही है। उसकी फीमेल पार्टनर न होने के कारण उसकी फैमिली नहीं बढ़ रही है। इसी को देखते हुए जू एडमिनिस्ट्रेशन ने नंदनकानन जू से फीमेल हिप्पो लाने की घोषणा की थी। यहां फीमेल हिप्पो लाने के लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी और नंदनकानन जू एडमिनिस्ट्रेशन से बात करके प्रपोजल भेजा गया था। लेकिन, आज तक यहां फीमेल हिप्पो नहीं लाई जा सकी है।

मैसूर से नहीं आया जेब्रा
बिरसा जू में एक भी जेब्रा नहीं है। इस साल मार्च में ही बिरसा जू में मैसूर जू से जेब्रा
लाने का प्रपोजल था। जू एडमिनिस्ट्रेशन ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी थीं, लेकिन जेब्रा भी बिरसा जू में अभी तक नहीं लाया जा सका है।
नहीं बना butterfly park
पिछले साल बिरसा जू में बटरफ्लाई पार्क बनाने का भी प्लान बना था। इस पार्क में देश-विदेश में पाई जानेवाली बटरफ्लाईज को लाना था। लेकिन, यह प्लान भी फाइल्स से बाहर नहीं निकल सका और आज तक यह पार्क नहीं बन पाया है।

आठ साल से नहीं मिला rhino
यह कहानी है एक ऐसे एनिमल की खोज की, जो एक-दो नहीं, बल्कि पूरे आठ साल से 'तलाशÓ ही बनी हुई है। इस जू के लिए पिछले आठ साल से उस एनिमल की तलाश की जा रही है, पर वह मिल नहीं रहा है। इसके लिए देश के जितने भी फेमस जू हैं, वहां पर कर्मचारी और अधिकारी भी इस खोजी अभियान में लगे रहने का दावा कर रहे हैं, लेकिन रिजल्ट इसका अभी तक जीरो है। वह एनिमल है राइनो, जिसे बिरसा जू में लाने की कोशिश हो रही है। बिरसा जू आनेवाले विजिटर्स को उस समय निराशा होती है, जब उन्हें राइनो का केज खाली मिलता है। बिरसा जू का इकलौता राइनो कांक्षी इस दुनिया से चल बसा। उसकी मौत के तीन साल बीतने को आए हैं, लेकिन अभी तक जू में दूसरा राइनो नहीं आ पाया है। जब जू का इकलौते राइनो कांक्षी की मौत हुई, तो सबसे पहले ओडि़शा के नंदनकानन जू से एनिमल्स एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत राइनो लाने की बात चली। लेकिन, यह मामला अटक गया। जब यह मामला आगे नहीं बढ़ सका, तो इसके बाद असम के जू सेराइनो लाने के लिए जू एडमिनिस्ट्रेशन ने कोशिश की, लेकिन पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ झारखंड ने इसमें इंट्रेस्ट नहीं दिखाया, जिसके कारण यह मामला एक बार फिर अटक गया.Birsa Zoo में एक साल में मरे 6 animals!
Zoo  में 17 साल से रह रहे  leopard  राजा की 22 जून
को  हो गई मौत, कई दिनों से बीमार था राजा

Posted By: Inextlive