- जुलाई में किया जाएगा एक और परीक्षण, सफल रहने पर विस्तृत कार्य योजना की जाएगी तैयार

- टिहरी की डीएम की पहल पर किया गया अभिनव प्रयोग, देश में अपनी तरह का यह पहला प्रयोग

NEW TEHRI: टिहरी जिले में ड्रोन के जरिये 32 किलोमीटर दूर ब्लड सैंपल भेजने में सफलता मिली है. टिहरी की डीएम सोनिका कहती हैं कि जुलाई में एक और परीक्षण किया जाएगा. यदि यह सफल रहा तो विस्तृत कार्य योजना तैयार की जाएगी. इससे पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार आने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि संभवत: यह देश में अपनी तरह का पहला प्रयोग है.

दस लाख की लागत से तैयार हुआ ड्रोन

पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में लोगों को मैदानों की दौड़ लगानी पड़ती है. अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी और सुविधाएं न होने के कारण पहाड़ों में स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है. मानसून और शीतकाल में कई इलाकों का जिला मुख्यालयों से संपर्क कट जाता है. ऐसे में परिस्थतियां और विकट हो जाती हैं और लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है. इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए टिहरी की डीएम सोनिका ने इस दिशा में पहल की. उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के पूर्व छात्र निखिल उपाध्याय से संपर्क साधा. निखिल अपने साथियों के साथ सीडी स्पेस रोबोटिक्स कंपनी का संचालन करते हैं. डीएम ने बताया कि इसी कंपनी ने दस लाख रुपये की लागत से यह ड्रोन तैयार किया है. बीते थर्सडे को निखिल टीम के साथ नई टिहरी पहुंचे. इसके बाद वे प्रयोग के लिए 32 किलोमीटर दूर घनसाली के पास नंदगांव पहुंचे. टीम ने नंदगांव स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) से दो मरीजों के खून के नमूने लिए और ड्रोन से नई टिहरी स्थित जिला अस्पताल भेजे.

सिर्फ 18 मिनट में तय की दूरी

सड़क के जरिये नंदगांव से जिला अस्पताल नई टिहरी तक पहुंचने में करीब एक घंटे का समय लगता है. हवाई मार्ग से यहां पहुंचने में सिर्फ 18 मिनट लगे. डीएम ने बताया कि नंदगांव से नई टिहरी की हवाई दूरी मात्र 12 किलोमीटर है. डीएम सोनिका के मुताबिक इस ड्रोन से 50 किलोमीटर के हवाई दायरे में 500 ग्राम वजन पहुंचाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि टीम ने यह डेमो निशुल्क दिया है. इसके लिए प्रशासन को कोई भुगतान नहीं करना पड़ा. जिला अस्पताल के चिकित्साधीक्षक डॉ. एसएस पांगती बताते हैं कि टिहरी जिले में करीब तीन दर्जन गांव ऐसे हैं जिनकी सड़क से पैदल दूरी पांच से 22 किलोमीटर तक है. इन इलाकों के लिए यह तकनीक कारगर साबित होगी. अब दूरस्थ क्षेत्रों तक जल्द जीवनरक्षक दवाएं पहुंचाने की उम्मीद जगी है.

Posted By: Ravi Pal