मराठा मंदिर में DDLJ ने पूरा किया एक पीढ़ी का सफर
मराठा मंदिर में फिल्म ने रचा इतिहास
बॉलीवुड में कितनी ही बेहतरीन फिल्में बनीं हैं, जो दर्शकों के जहन में आज भी यादगार हैं, लेकिन 1995 में बनी फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' ने तो इतिहास ही रच दिया. मुंबई के सिनेमाहाल मराठा मंदिर में एक हजार हफ्ते से लगातार चल रही इस फिल्म ने यह साबित कर दिया है कि आज भी दर्शकों के बीच फिल्म पहले की ही जैसी नई है.
तोड़े पुराने सभी रिकॉर्ड
एक थिएटर में लगातार 19 साल तक चलने वाली यह दुनिया की पहली फिल्म बन गई है. मराठा मंदिर में इस फिल्म का रोजाना एक शो चलता है. मराठा मंदिर के एक्जेक्यूटिव डायरेक्टर मनोज देसाई कहते हैं, 'हमारे द्वारा मराठा मंदिर को टेकओवर करने से पहले 'मुगल-ए-आजम' ने भी रिकॉर्ड कायम किया था. 1958 में रिलीज 'मुगल-ए-आजम' मराठा मंदिर में करीब छह साल तक चली थी. 'शोले' भी पांच साल से ज्यादा समय तक चली थी, पर डीडीएलजे ने सभी रिकार्ड तोड़ दिए.'
इतने साल में तैयार हो जाती है एक जेनरेशन
मनोज ने कहा, 'बीस साल का मतलब एक पीढ़ी. यानी 1995 में जन्मा बच्चा आज बीस साल का है. एक जेनरेशन तैयार हो गई. जब फिल्म ने 500 हफ्ते पूरे किए थे, तो यशराज चोपड़ा ने हमें ट्राफी दी थी. उन्होंने उस वक्त इसे 500 हफ्ते और चलाने का ख्वाब देखा और वह साकार हो रहा है. एक बार अफवाह भी उड़ी थी कि फिल्म को थिएटर से हटाया जा रहा है. मुझे इसका खंडन करना पड़ा. अभी भी फिल्म चल रही है. इसे आगे भी चलाते रहने का इरादा है. फिल्म को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज कराने का प्रयास है.'