भारतीय फिल्में विदेशी दर्शकों को लुभा पाने में क्यों नाकाम होती हैं. क्यों बॉलीवुड 'ग्लोबल सिनेमा' नहीं बना पा रहा है. इस तरह के सवाल अक्सर उठते रहते हैं. पिछले शुक्रवार को रिलीज हुई फिल्म शंघाई के निर्देशक दिबाकर बनर्जी के पास इसका जवाब है.


बीबीसी से खास बात करते हुए दिबाकर ने कहा, "दरअसल पूरे विश्व में बॉलीवुड ही एकमात्र ऐसी फिल्म इंडस्ट्री है जो आत्मनिर्भर है. हमें दूसरे देशों के लिए फिल्में नहीं बनानी पड़तीं. हम अपनी फिल्में अपने लोगों के लिए बनाकर कमा लेते हैं. हमारी रोजी रोटी चल जाती है. ये तो बड़ी खुशकिस्मती की बात है."दिबाकर के मुताबिक दूसरे देशों के फिल्म उद्योग को अपने आपको बनाए रखने के लिए ग्लोबल सिनेमा बनाने की मजबूरी है, क्योंकि वो इतने साधन संपन्न नहीं है कि अपने ही देश में फिल्में चलाकर पैसे कमा सकें.
खुद अपने बारे में दिबाकर ने कहा, "मैं वही फिल्में बनाता हूं जो मैं बनाना चाहता हूं. मुझे मालूम है कि वो पहले भारत में दिखाई जाएंगी. बाद में अगर फ्रांस, चीन या इजिप्त या फिर किसी दूसरे देश के लोगों को उसमें कुछ रस मिले तो वो भी उसे देख लेंगे. लेकिन मैं पहले से ही किसी देश के लोगों को ध्यान में रखकर फिल्में नहीं बनाउंगा."फिल्म शंघाई में एक आइटम सॉन्ग भी है जो ब्रिटिश मॉडल स्कारलेट पर फिल्माया गया है.


इससे पहले भी एमी जैक्सन, बारबरा मोरी और ब्रूना अब्दुल्ला जैसी विदेशी अभिनेत्रियां भी बॉलीवुड की फिल्मों में काम कर चुकी हैं. तो अचानक बॉलीवुड का इन विदेशी अभिनेत्रियों के प्रति रुझान क्यों. ये पूछने पर दिबाकर बोले, "सिर्फ बॉलीवुड को ही दोष क्यों. हम भारतीय विदेशी लोगों, विदेशी चीज़ों के प्रति आसक्त रहते हैं. अगर किसी विदेशी ने कुछ बात कह दी तो हमें लगता है कि बड़ी भारी भरकम बात होगी. भले ही वो बेवकूफी की बात ही क्यों ना हो."फिल्म शंघाई के बारे में बताते हुए दिबाकर ने कहा कि दरअसल हर भारतीय शहर शंघाई बनना चाहता है. हम ऊंची ऊंची बिल्डिंगों का, चमचमाती सड़कों का, बड़े बड़े फ्लाईओवर्स का सपना देखते हैं लेकिन ये भूल जाते हैं कि आज चारों तरफ देश में महंगाई है, पेट्रोल की कीमतें आसमान छू रही हैं. आम आदमी को खाने के लिए आलू तक नसीब है. भारत में ये बड़ा दिलचस्प विरोधाभास है.दिबाकर ने बताया कि वो खुद मुंबई में एक हाई राइज बिल्डिंग में रहते हैं लेकिन उसके गेट से बाहर निकलते ही उन्हें असल मुंबई नजर आता है. वही पुरानी चॉल, उनमें रहते लोग, गलियों में खेलते बच्चे, सब कुछ पहले जैसा.

दिबाकर को नई पीढ़ी के निर्देशकों से एक शिकायत है. वे कहते हैं, "मौजूदा दौर के निर्देशक ज्यादा पढ़ते नहीं है. वो डीवीडी जरूर देखते हैं लेकिन पढ़ते नहीं है. और जब आप पढ़ोगे नहीं तो नई कहानियां कहां से मिलेंगी. फिर वही होगा कि आपने दो स्टार लिए और वही पुराना माल नए तरीके से परोस दिया."फिल्म शंघाई में इमरान हाशमी को लिए जाने की वजह बताते हुए दिबाकर ने कहा कि इमरान बेहद दिलचस्प अभिनेता हैं और उनका दर्शकों से सीधा नाता है. इस फिल्म के लिए इमरान ने उनसे कह दिया था कि वो हर तरह की मेहनत करने के लिए तैयार हैं. बस मुझे क्या चाहिए था. उनके जैसा बड़ा स्टार मेरी फिल्म के लिए कुछ भी करने को तैयार था.आठ जून को प्रदर्शित शंघाई को समीक्षकों की अच्छी प्रतिक्रिया मिली. इमरान हाशमी के अलावा इसमें अभय देओल, कल्कि कोचलिन, प्रोसेनजित और फारुख शेख की भी मुख्य भूमिका है.

Posted By: Surabhi Yadav