अभिनेता संजय दत्त के परोल को बढ़ाने के मामले में 'अतिरिक्त तत्परता' दिखाने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने संजय दत्त और सामान्य दोषियों के बीच भेदभाव भी किया.


कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने अभिनेता संजय दत्त के परोल को बढ़ाए जाने का बचाव किया था.समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव को एक कमेटी बनाने का भी आदेश दिया है.हाईकोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह जेल प्रशासन के प्रतिनिधि और अन्य सक्षम अधिकारियों सहित राज्य के गृह, क़ानून और न्याय विभाग के वरिष्ठ अफ़सरों की कमेटी बनाए जो दोषियों को  परोल और अवकाश दिए जाने से संबंधित नियमों और प्रक्रियाओं में संशोधन लाने संबंधी सलाह देगी.हाईकोर्ट ने कहा, "इस तरह की तत्परता सभी दोषियों के लिए नहीं दिखाई जाती. दोषी जब कोई सामान्य व्यक्ति होता है तब राज्य सरकार लापरवाही भरा रवैया क्यों अपनाती है?"'सरकार ने भेदभाव किया'सिर्फ़ 5,000 रुपए पर परोल'


कोर्ट ने इस बात पर भी नाराज़गी ज़ाहिर की कि अधिकारियों ने संजय दत्त को मात्र 5000 रुपए के मुचलके पर पर परोल दे दिया था.

अदालत ने कहा, "दूसरे मामलों में ज़मानत के रूप में 10,000, 15,000 और 20,000 रुपए तक की राशि ली जाती है. ग़रीब व्यक्ति ज़मानत की राशि कम करने के लिए हाईकोर्ट में गुहार लगाते हैं. अचानक इस मामले में आप सिर्फ़ 5000 रुपए पर आ गए."अदालत ने आगे कहा, "अधिकारियों को अपने विवेक का इस्तेमाल उचित ढंग से करना चाहिए."मुख्य सचिव को परोल और अवकाश पर नियंत्रण रखने संबंधी  नियमों में संशोधन से जुड़ी सलाह देने वाली समिति के गठन का निर्देश जारी करते हुए अदालत ने कहा है कि आमूलचूल परिवर्तन लाने की ज़रूरत है.खंडपीठ ने राज्य सरकार को कहा है कि वो चार हफ़्तों में बताए कि उसने इस बारे में क्या क़दम उठाए.

Posted By: Subhesh Sharma