भारतीय मुक्केबाजी की शान कही जाने वाली एमसी मैरीकोम ने कल अपने करियर पर अंतिम मुहर लगा दी है. उन्‍होंने कल यह घोषणा की कि वह रियो ओलंपिक के बाद मुक्केबाजी छोड़ देंगी. अपने संन्यास की घोषणा करते हुए मैरीकोम ने कहा कि मेरा सपना देश के लिए रियो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना है और मैं इस लक्ष्य को पूरा करना चाहती हूं. इसके लिए वह पूरी कोशिश कर रही हैं. आइये जानें मैरीकोम जैसी और भी दूसरी महिला खिलाड़ियों के बारे में जिन्‍होंने भारत का नाम विश्‍वस्‍तर तक बढ़ाया है.

मैरीकोम
भारतीय मुक्केबाजी मैरीकोम पांच बार विश्व चैंपियन रह चुकी हैं. इतना ही नहीं इसके साथ ही उन्होंने लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था. संन्यास की घोषणा करते हुए मैरीकोम ने कहा कि तीन बच्चों की मां होने के कारण मेरे लिए ओलंपिक में पदक जीतना आसान नहीं है, लेकिन अपने देश के लिए मैं यह सपना सच करना चाहती हूं. मैरीकोम मणिपुर, भारत की मूल निवासी हैं. मैरी कॉम ने सन् 2001 में प्रथम बार नेशनल वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती. इसके बाद वह 10 राष्ट्रीय खिताब की विजेता हैं. बॉक्सिंग में देश का नाम रोशन करने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2003 में उन्हे अर्जुन पुरस्कार भी दिया गया. इसके बाद 2006 में वह पद्मश्री जुलाई 29, 2009 को सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित हुयीं. 2010 के ऐशियाई खेलों में कांस्य तथा 2014 के एशियाई खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया. उनके जीवन पर एक फिल्म भी बनी जिसका प्रदर्शन 2014 मे हुआ. इस फिल्म में उनकी भूमिका प्रियंका चोपड़ा ने निभायी है.

साइना नेहवाल
बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल आज खेल की दुनिया का सबसे पॉपुलर चेहरा बन चुकी हैं. वह बीते वर्ष चाइना ओपन खिताब जीतकर विश्व रैंकिंग में चौथे स्थान पर पहुंच चुकी हैं. साइना का मानना है कि वह दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी बनना चाहती हैं. साइना पहली भारतीय महिला ऐथलीस्ट हैं जो ओलंपिक 2012 के क्वार्टर फाइनल के फाइनल में पहुंची हैं. इतना ही नहीं वहां उन्होंने पूरा इतिहास रच दिया. वह महिला एकल स्पर्धा में कास्य पदक विजेता बनी. इसके पहले साइना बीजिंग ओलंपिक 2008 मे भी क्वार्टर फाइनल तक पहुंच चुकी हैं. वह विश्व कनिष्ठ बैडमिंटन चैम्पियनशिप जीतने वाली पहली भारतीय हैं और उन्होंने दिल्ली में आयोजित कॉमनवेल्थ खेल में उन्होंने स्वर्ण पदक भी हासिल किया है.

पी. टी. उषा
उषा एक धाविका के रूप में भारत के लिए केरल का और विश्व के लिए भारत का अमूल्य उपहार है. वर्तमान में वे एशिया की सर्वश्रेष्ठ महिला एथलीट मानी जाती हैं. उनको भारतीय ट्रैक ऍण्ड फ़ील्ड की रानी के नाम से भी जाना जाता है. केरल के पय्योली गांव की यह इस बेटी को पय्योली एक्स्प्रेस नाम से भी बुलाया जाता है. वे भारत के अब तक के सबसे अच्छे खिलाड़ियों में से हैं. पी. टी. उषा  1976 से खेल की दुनिया में पूरी तरह से शामिल हुईं थी. 1976  में केरल राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए एक खेल विद्यालय खोला और उषा को अपने ज़िले का प्रतिनिधि चुना गया. नवें दशक में जो सफलतायें और ख्याति प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट हैं. पी. टी. उषा को उड़न परी भी कहा जाता है. पी. टी. उषा ने जकार्ता, इंडोनेशिया में 1985 की एशियाई दौड़-कूद प्रतियोगिता में उषा में 100, 200, 400, 400 बाधा व 4x400 रिले में 5 स्वर्ण जीते. इसके अलावा उन्होंने 4x400  रिले में कांस्य भी जीता.

शाइनी विल्सन
शाइनी विल्सन भी लम्बी रेस की धावक है. वर्तमान में वह एक फूड कॉर्पोरेशन में जनरल मैनेजर के पद पर हैं. शाइनी 1984 में महज 14 साल की उम्र में 800 मीटर की रेस के सेमी फाइनल में पहुंची थी. उस समय यह किसी भारतीय खिलाड़ी के लिए बड़ी बात थी. वह रिले टीम का भी हमेशा हिस्सा रह चुकी हैं. इतना ही नहीं उन्होंने करीब 75 अंतर्राष्ट्रीय स्त्ार की प्रतिस्पर्धाओं में भाग लिया है. 1985 में छठे एशियन ट्रैक में भी इन्होंने भाग लिया था. इसके साथ ही इन्होंने करीब 7 गोल्ड मेडल, 5 सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज मेडल हासिल हुये. इसक अलावा इन्होंने 1987 में रोम में हुयी विश्वस्तरीय चैंपियनशिप में भाग लिया था. इतना ही नहीं 1991 में एशियन चैंपियनशिप के समय उन्हें एक बेटी हुयी थी. इसके बाद भी उन्होंने देश के लिए 800 मीटर में स्वर्ण पदक और 400 मीटर में रजत पदक जीता था. शाइनी ने 1995 में 1:59.85 का समय निकाला था. अपने उस प्रदर्शन से वह उस साल की विश्व रैंकिंग में 21 स्थान पर थीं. ऐसे में शाइनी को विश्वस्तरीय खिलाड़ी कहना और भारत के महान एथलीटों मे गिनना गलत नहीं होगा.

करनाम मालेश्वरी
करनाम मालेश्वरी ने वेट लिफटिंग चैंपियन में अपना शानदार करियर बनाया. 1995 में इन्होंने विश्वस्तर की वेट लिफटिंग प्रतियोगिता को जीता है. इन्होंने चीन की चाइना लॉग युलिंग के रिकार्ड को तोड़ा है. इतना ही नहीं उसी साल इन्होंने एशियन चैंपियन शिप में गोल्डमेडल भी जीता है. इसके करीब दो साल बाद ही इन्होंने 1997 में सीनियर वेट लिफटर का खिताब जीता. इसके बाद वह एशियन गेम्स 1998 में गोल्ड मेडल जीतने वाली महिला महिला एथलीट बनी. इस गोल्ड मेडल के बाद उनकी लाइफ में और भी अचीवमेंट आये. सिडनी में हुयी सिडनी ओलंपिक प्रतियोगिता में भी उन्होंने सोल मेडल जीता. इसके अलावा इन्हें राजीवगांधी खेल रत्न अवार्ड से भी 1995-1996 में नवाजा गया.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh