GORAKHPUR : आखिर वही हुआ जिसका डर था. गोरखपुर में 'बिजली' गिर गई लेकिन यह बिजली आसमानी नहीं थी. यह बिजली जिम्मेदारों की अनदेखी का नतीजा थी. सिविल लाइन्स में एक मकान के ऊपर से गुजर रहे 11 हजार केवीए के तार की चपेट में आकर एक किशोर की जान पर बन आई. हादसे ने एक बाद तो साफ कर दी कि सिटी के लोग गोरखपुर डेवलेपमेंट अथॉरिटी और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के बीच फुटबॉल बन कर रह गए हैं. सिटी में कई ऐसे इलाके हैं जहां के मकानों के ऊपर से हाइवोल्टेज तार क्रास कर रहे हैं. इसके बावजूद भी जीडीए और बिजली विभाग नहींचेत रह है. लगता है उनकी नींद तभी टूटेगी जब कोई जान से हाथ धो बैठेगा.


आई नेक्स्ट ने किया था आगाहसिटी के हजारों मकानों के ऊपर हाई वोल्टेज तार झूल रहे हैं। इसको लेकर आई नेक्स्ट ने अपनी खबर के माध्यम से आगाह किया था। आई नेक्स्ट ने सात फरवरी के अंक में 'यहां कायदे तार-तार' के जरिए बताया था कि किस तरह सिटी के मकानों के ऊपर मौत लटक रही है। वहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। हालांकि इस लापरवाही के मद्देनजर जीडीए और बिजली विभाग एक दूसरे के पाले में गेंद डाल कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहे हैं। पतंग निकालते समय झुलसा किशोर


सिविल लाइन निवासी महेन्द्र कुमार श्रीवास्तव का एच.पी शाही चौराहे पर मकान है। उनका नाती यशस्वी (13 साल) उनके साथ ही रहता है और पढ़ता है। यशस्वी घर के सामने स्थित एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है। संडे मार्निंग करीब 11 बजे वह मकान की छत पर खड़ा था। इसी दौरान छत से छू कर जा रहे 11 हजार केवीए के तार में एक पतंग आकर फंसी। वह पतंग निकाल रहा था। पतंग की डोर में अर्थिंग आने से यशस्वी करंट की चपेट में आ गया और गंभीर रूप झुलस गया। उसे इलाज के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचाया गया, बाद में परिजनों ने उसे प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती कराया।

क्या है डिपार्टमेंट का मानकबिजली डिपार्टमेंट के अफसर एस.पी पांडेय के अनुसार बिल्डिंग के आस-पास होकर गुजरने वाले तारों के अलग-अलग मानक हैं। एलटी (लो ट्रांसमिशन) लाइन के लिए ऊंचाई 6 फीट तय है। 11 हजार केवीए के तार की जमीन से ऊंचाई 7 फीट और 33 हजार केवीए की 8 फीट होनी चाहिए। किसी भी बिल्डिंग से तार की दूसरी कम से कम डेढ़ मीटर होनी चाहिए। उनका कहना है कि डिपार्टमेंट नए तार लगाते समय इस मानक को ध्यान में रखता है। सिटी में जो पुराने तार लगे है, उनके पास से ऊंची-ऊंची इमारत बना दी गई। उनमें इस बात का ध्यान नहीं रखा गया है। एसपी पांडेय का कहना है कि इसके लिए बिजली विभाग नहीं, बल्कि जीडीए और भूस्वामी जिम्मेदार है।कितना खतरनाक है यह तार बिजली विभाग के एक्सपर्ट का कहना है कि एलटी लाइन के तार से 6 इंच की दूरी पर अगर अर्थिंग मिलती है तो वह झटके का एहसास करा देता है। वहीं 11 हजार केवीए ढाई फीट की दूरी तक अर्र्थिंग मिलने पर गंभीर झटका लग सकता है। यशस्वी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। पतंग तार में उलझी हुई थी जबकि उसकी डोर दूर थी।

हजारों मकान है खतरे के निशान पर सिटी में हजारों मकान इस अंजान खतरे के निशाने पर हंै। खास तौर पर पुराने एरिया और डेवलप हो रहे नए एरिया में इस तरह की प्रॉब्लम ज्यादा है। राजेन्द्र नगर पश्चिमी एरिया, गोरखनाथ इंडस्ट्रियल एरिया, शाहपुर पूर्वी आवास के आवास विकास कॉलोनी, तारामंडल और विकास नगर के साथ-साथ बिछिया समेत कई एरिया शामिल है।हादसे के बारे में पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन इसके लिए बिजली विभाग भी जिम्मेदार है। अगर सिटी में ऐसे हालात है तो एक सर्वे कराने के बाद उसकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी और बिल्डिंग से गुजर रहे बिजली के तारों को दूरी कराने का प्रयास किया जाएगा।-ओम प्रकाश, जीडीए सचिव बिजली डिपार्टमेंट एचटी और हाईटेंशन तार पहले ही बिछा चुका है। तार डिपार्टमेंट के मानक के आधार पर लगे है। बिल्डिंग बाद में बनकर तैयार हुई है, जिसका जिम्मेदार जीडीए डिपार्टमेंट है। आखिर खतरनाक स्थिति में नक्शा कैसे पास कर दिया गया। हादसे के बावत एसडीओ के जांच के निर्देश दिए गए हैं।-एस.पी पांडेय, एस.सी महानगर विद्युत वितरण निगम

Posted By: Inextlive