Gorakhpur : लड़के घर से भागने में अव्वल हैं. सुनकर आपको अटपटा लग रहा होगा लेकिन यह सच है. यह हम नहीं चाइल्ड लाइन के आंकड़ें बयां कर रहे हैं. यदि चाइल्ड लाइन के पिछले सात साल के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो साफ हो जाएगा कि लड़कियों से तीन गुना ज्यादा लड़के घर से भागते हैं. इसमें भी 18 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा घर से निकल जाते हैं.


पढ़ाई और डांट के चलते भागते है टीनएजर्स में सबसे ज्यादा संख्या 5 से 16 साल के बच्चे की है जो पढ़ाई या फिर पैरेंट्स की डांट से क्षुब्ध होकर घर से भागते हैं। विगत कई सालों में अलग-अलग माध्यम से इस तरह के सैकड़ों बच्चे चाइल्ड लाइन तक पहुंचे हैं, जिन्हें चाइल्ड लाइन दोबारा घर पहुंचाता है। काउंसलिंग के दौरान इस बात की पुष्टि भी हुई है कि पढ़ाई के बढ़ते बोझ और पैरेंट्स की अपेक्षा के चलते बच्चे घर से भाग जाते हैं। थाने में भी दर्ज है सैकड़ों गुमशुदगी


चाइल्ड लाइन के अलावा सिटी के लगभग सभी थानों में गुमशुदगी की दर्जनों रिपोर्ट दर्ज हैं, जिसमें सबसे ज्यादा संख्या टीनएजर्स की हैं। साइकोलॉजिस्ट डॉ। धनंजय कुमार के अनुसार पैरेंट्स अपने बच्चों से जरूरत से ज्यादा अपेक्षा कर लेते हैं या फिर बच्चों की संगत के चलते भी उन्हें समय से पहले आजादी पाने की चाहत घर से भागने के लिए मजबूर करती है। हर मंथ सिटी के थानों में टीनएजर्स की गुमशुदगी की संख्या डेढ़ दर्जन के करीब है।सन            मेल              फीमेल 2006         55                 402007         90                 402008        180                 482009        150                 622010        200                 452011        300                 852012        300                197 ( ये आंकड़े चाइल्ड लाइन के है)

पिछले सात सालों में घर से भगाने वाले बच्चों में लड़कों की संख्या सबसे ज्यादा है। चाइल्ड लाइन में आने वाले लड़के अक्सर पढ़ाई और डांट के डर से घर से भगाते हैं।ईशा श्रीवास्तव, सेंटर कॉर्डिनेटर चाइल्ड लाइन

Posted By: Inextlive