राजयोगा एजूकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के न्यायविद व ब्रम्हकुमारी का एक दिवसीय 'न्याय विद सम्मेलन' सम्पन्न

ALLAHABAD: हमारे विचारों पर ही हमारे कर्म निर्भर होते हैं। इस लिए हमें अपने विचारों को सुविचार बनाने की जरूरत है। यह बातें उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बीडी राठी ने कही। वह शनिवार को राजयोगा एजूकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के न्यायविद व ब्रम्हकुमारी की ओर से आयोजित एक दिवसीय 'न्याय विद सम्मेलन' के प्रत: कालीन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इस दौरान बच्चों ने सांस्कृतिक नृत्य भी प्रस्तुत किया।

प्रोग्राम में जुटे सैकड़ों लोग

सिविल लाइंस स्थित होटल इलावर्त टूरिस्ट बंगला में आयोजित इस प्रोग्राम में न्यायमूर्ति रामसूरत राम मौर्य ने कहा कि खुशी सिर्फ भौतिक विकास से नहीं मिलती। सच्ची खुशी आंतरिक विकास से प्राप्त होती है। मंच के सामने कुर्सी पर बैठे सैकड़ों लोग वक्ताओं की बातों को बड़े गौर से सुन रहे थे। न्यायमूर्ति विजय लक्ष्मी ने कहा कि आत्मा के ऊपर छाई कालिमा को कैसे धोया जाय यही महत्वपूर्ण है। न्यायमूर्ति सुधीर नारायण अग्रवाल ने बड़े ही सहज शब्दों में लोगों को खुशी पाने और ईश्वर से जुड़ने का रास्ता बताया। सेवा कार्य पर जोर देते हुए न्यायमूर्ति विवेक सिंह ने कहा कि मानव सेवा ही सच्ची सेवा है। अध्यक्षता करते हुए दिल्ली से आई राजयोगिनी वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका पुष्पा दीदी ने खुशी पाने का जतन बताया। उन्होंने कहा कि खुशी बाहर की परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती। अपने आप को जानकर ही हम हमेशा खुश रह सकते हैं। उन्होंने खुशी को स्वधर्म बताया। मनोरमा दीदी ने भी विचार व्यक्त किया। संचालन माउण्ट आबू से आई बीके लता एडवोकेट ने की। अरविंद सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। राजेध्वर सिंह एडवोकेट ने सभी को धन्यवाद दिया। सायंकालीन सत्र में मुख्य अतिथि रहे बृजेश पाठक न्याय, विधायी मंत्री उत्तर प्रदेश ने कहा कि सफलता व एकाग्रचित रहने के लिए ब्रम्हकुमारी बहनों द्वारा चलाए जा रहे अभियान से जुड़कर रहना चाहिए। दोपहर में पॉवर ऑफ लाइसेंस की व्यवहारिक अनुभूति बरेली से आई बीके पावर्तती व बीके श्रद्धा बहन ने कराया। मेडीटेशन का अभ्यास लखनऊ की बीके राधा दीदी ने कराया। संचालन बीके अमिता बहन व स्वागत असीम मुखर्जी एडवोकेट ने किया। जबकि अंत में अधिवक्ता दिलीप कुमार तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

Posted By: Inextlive