Gorakhpur : नाश्ते की बात हो और ब्रेड का जिक्र न ऐसा तो हो नहींसकता. ब्रेड नाश्ते के लिए सबसे मुफीद आइटम माना जाता है. फास्ट लाइफ में अहम किरदार बने ब्रेड के ब्रेकफास्ट से ही ज्यादातर लोगों के दिन की शुरूआत होती है. कुछ लोग तो ब्रेड खाकर ही पूरा दिन गुजार देते हैं. नाश्ते के लिए बच्चों से लेकर बुर्जग तक सभी की पहली पसंद ब्रेड और उससे बने आइटम्स हैं. लेकिन जरा रुकिए. डॉक्टर्स की मानें तो ब्रेड का ज्यादा यूज दांत से लेकर पेट तक के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है. डाक्टरों के पास ऐसी प्रॉब्लम पहुंच रहे हैं जिनमें बे्रड को दोषी पाया गया है. सिटी में बिकने वाली कई कंपनियों के ब्रेड के पैकेट पर डेट ऑफ मैन्युफैक्चरिंग नहीं नजर आती. हालांकि कब तक यूज किया जा सकता है इसका जिक्र जरूर रहता है. आमतौर पर ब्रेड या पाव रोटी किसी प्लास्टिक रैपर में लिपटे होते हैं जो फफूंद पैदा करने के लिए काफी होता है.

फायदे के साथ नुकसान भी
सिटी में लोग अपनी पसंद और जेब के अनुसार व्हाइट ब्रेड और ब्राउन ब्रेड का यूज करते हैं। अपनी पंसद के अनुसार लोग इनका इस्तेमाल करते हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि बे्रड में कार्बोहाइड्रेड, सोडियम और ग्लूटेन पाया जाता है। हाई लेवल का सोडियम होने की वजह से ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम बढ़ सकती है। मार्निंग में ब्रेड खाने से कैलोरी भी ज्यादा मिलती है। इस वजह से लोग मार्निंग में ब्रेड का ज्यादा यूज करते हैं। ग्लूटेन से पेट के खराब होने का खतरा होता है। इससे सीलिएक डिजिज (पेट से संबंधित रोग) होने का खतरा होता है। कई बार ज्यादा ब्रेड खाने से पेट फूल जाता है। यही वजह है कि डॉक्टर छोटे बच्चों को ब्रेड न खिलाने की सलाह भी देते हैं।
तो किसी काम नहीं है ये ब्रेड
एक्सपर्ट का कहना है कि डाइट के लिए यूज में आने वाले ब्रेड यदि बढ़िया क्वालिटी का नहीं है तो उसके कई नुकसान हो सकते हैं। ब्रेड में प्रोटीन, फाइबर और विटामिन नहीं पाया जाता है। इस वजह से यह भूख मिटाने में कामयाब हो जाता है, लेकिन न्यूट्रिशिनल रिक्वायरमेंट पूरी नहीं होती है। इसके अलावा मार्केट में दो तरह के व्हाइट और ब्राउन ब्रेड बिकते हंै। व्हाइट ब्रेड में कार्बोहाइडे्रड, सोडियम और ग्लूटेन ज्यादा पाया जाता है। ब्राउन ब्रेड में अलग से फाइबर एड किया जाता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि मैदे से ब्रेड बनाया जाता है। मैदे में फाइबर नहीं होता है, इसलिए कब्ज की प्रॉब्लम हो जाती है।
दांतों को पहुंचा रहा है नुकसान
ब्रेड में मौजूद स्टार्च दांतों को नुकसान भी पहुंचा रहा है। एक्सपर्ट का कहना है कि इसकी वजह से दांतों में सड़न बढ़ जाती है। इसके अलावा दांतों में ब्रेड फंसने से दुर्गंध आती है और दांत भी कमजोर हो जाते हैं। फूड इंफेक्शन की मेन वजह भी ब्रेड बन रहा है। मेडिकल कॉलेज में ऐसे कई मामले आए हैं जिनमें दांतों की सड़न के पीछे कहीं न कहीं ब्रेड की भूमिका रही है।
पिंपल्स के लिए भी है जिम्मेदार
ब्रेड का सैच्युरेटेड, ट्रांसफैट सेबम बनाता है। सेबम की मात्रा बढ़ने से मुंहासों की प्रॉब्लम बढ़ती है। इसके अलावा ब्लड शुगर को बढ़ाने में कहीं न कहीं बे्रड जिम्मेदार होता है। जेम के साथ खाने पर शुगर के बढ़ने का ज्यादा चांस होता है।
मैन्युफ्रैक्चरिंग डेट का पता नहीं
सिटी में बिकने वाले ज्यादातर कंपनियों के ब्रेड पैकेट पर डेट ऑफ मैन्युफैक्चरिंग का जिक्र नहीं किया जा रहा है। बनने के कितने दिनों बाद तक इसका यूज किया जा सकता है। इसकी सूचना रैपर दी जाती है। ब्रेड खरीदने के दौरान लोग उसको देखकर ताजा या बासी होने का अनुमान लगाते हैं। दुकानदारों का कहना है कि लोकल ब्रेड के साथ बाहर से भी ब्रेड मंगाए जाते हैं। कुछ ब्रांडेड कंपनियों को छोड़ दें तो ज्यादातर का यही हाल है। इसलिए ब्रेड लेने के पहले इसपर गौर करना ज्यादा जरूरी है।

सॉफ्ट फूड के रूप में ब्रेड का ज्यादा इस्तेमाल होता है। ब्रेड खाने के बाद ठीक से दांतों की सफाई कर लें। दांतों में इसके टुकड़े फंसे होने पर इंफेक्शन फैलने का खतरा होता है। इसलिए ओरल हाइजिन को मेंटेन रखना चाहिए।
डा। विमलेश पासवान, बीआरडी मेडिकल कालेज
हाई फाइबर डाइट लेनी चाहिए। बे्रड में फाइबर की कमी होती है। इस वजह से कब्ज की शिकायत होती है। छोटे बच्चों में भी कब्ज की शिकायत हो जाती है। कोशिश करनी चाहिए कि बच्चों को ब्रेड खिलाने से बचें।
डा। अरुण गर्ग, चाइल्ड स्पेशलिस्ट
मैन्युफैक्चरिंग डेट कब की है और इसे कितने दिनों तक इस्तेमाल किया जा सकता है, इसकी जांच करने की जिम्मेदारी एफडीए की है।
गिरजेश त्यागी, सिटी मजिस्ट्रेट
नियम बदलने की वजह से ब्रेड पर मैन्युफैक्चरिंग डेट नहीं दी जा रही है। हालांकि डेट आफ यूज दिया जाता है। वह रैपर पर लिखा होता है।
आरसी पांडेय, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी
पोटेशियम ब्रोमेट है जिम्मेदार
ज्यादातर बेकरी आइटम्स में उसी आटे का उपयोग होता है जिससे ब्रेड बनती है। इसमें बिस्कुट तक शामिल है, लेकिन क्या आपको पता है कि ब्रेड हेल्थ के लिए हानिकारक भी हो सकती है। इतनी हानिकारक कि इससे हमारे स्वास्थ्य को कई बार गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है। यह खतरा होता है पोटेशियम ब्रोमेट नामक एक पदार्थ से। पोटेशियम ब्रोमेट का केमिकल फार्मूला श्व९२४ड्ड है। पोटेशियम ब्रोमेट को ब्रेड बनाने से पहले आटे में मिलाया जाता है। हालांकि इसकी कंट्रोल्ड क्वांटिटी ही आटे में मिलाई जाती है, लेकिन यह ज्यादा हो जाए तो यह ठीक से पचती नहीं है और पेट से संबंधित बीमारियों को दावत दे सकती है। यह कितना खतरनाक है यह इसी से समझा जा सकता है कि 1990 में यूरोप में पोटेशियम ब्रोमेट को किसी भी खाद्य पदार्थ में मिलाने से प्रतिबंधित कर दिया गया। अमेरिका में इसे1991 में ही प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन कैलीफोर्निया में इस आटे से बनी चीजों पर लेवल लगाना अनिवार्य होता है, जिसमें साफ तौर पर बताना पड़ता है कि उस आटे में पोटिशियम ब्रोमेट मिला है। कनाडा में इसे 1994 में प्रतिबंधित कर दिया गया था। बाद में इसे 2001 में इसे श्रीलंका व 2005 में चीन में भी प्रतिबंधित कर दिया गया। यह नाइजीरिया, ब्राजील और पेरु जैसे देशों में भी प्रतिबंधित है, लेकिन भारत में इसका अभी तक धड़ल्ले से यूज हो रहा है। यह धीमा जहर रोजाना ब्रेड खाने वाले कई भारतीयों के शरीर में प्रवेश कर रहा है। एक स्टडी मानें तो मुंबई की पावभाजी में पोटेशियम ब्रोमेट की अत्यधिक मात्रा पाई जाती है।

report by report : arun.kumar@inext.co.in

Posted By: Inextlive