-महिलाओं में बढ़ रहा है सर्वाइकल व ब्रेस्ट कैंसर का खतरा

-कमला नेहरू मेमोरियल हॉस्पिटल में आयोजित हुए हेल्थ कैंप

ALLAHABAD: आधी आबादी पर कैंसर का खतरा मंडरा रहा है। लाइफ स्टाइल और अपनी देखभाल में लापरवाही बरतने वाली महिलाओं में लगातार सवाईकल और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता जा रहा है। लास्ट स्टेज में इस जानलेवा बीमारी की पहचान होने की वजह से कैंसर से होने वाली मौतों पर भी काबू कर पाना मुश्किल साबित हो रहा है। शुक्रवार को राष्ट्रीय कैंसर जागरुकता दिवस के मौके पर कमला नेहरू मेमोरियल हॉस्पिटल में आयोजित मेगा कैंप में यह बात सामने आई। यहां आई कई महिला मरीजों में कैंसर के लक्षण पाए जाने पर जांच कराने की सलाह दी गई है।

गांव-शहर का अलग-अलग क्राइटेरिया

गांव में जहां सवाईकल यानी बच्चेदानी के मुंह के कैंसर के ज्यादा केसेज सामने आ रहे हैं वहीं शहर में ब्रेस्ट कैंसर के मामले ज्यादा डायग्नोस होते हैं। गांव की महिलाओं में हाइजीन की कमी होने से ऐसे हालात पैदा हो रहे हैं। जबकि शहरों में महिलाओं द्वारा तंबाकू और अल्कोहल का अधिक सेवन करने व आराम तलब होने से दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं। कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ। सपन श्रीवास्तव के मुताबिक हर साल क्भ् से फीसदी मामले सर्वाइकल कैंसर और क्भ् फीसदी मामले ब्रेस्ट कैंसर के सामने आते हैं। अधिकतर महिलाएं शुरुआती लक्षणों को नजर अंदाज कर देती हैं जिससे देरी होने पर उनकी जान बचाना मुश्किल साबित होता है।

मीनोपाज के बाद कराएं मेमोग्राफी

ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के लिए महिलाओं को चालीस वर्ष की एज के बाद नियमित तौर पर मेमोग्राफी करानी चाहिए। ब्भ् साल ऊपर की महिलाएं मीनोपाज के दौरान एस्ट्रोजन दवा का ज्यादा यूज करती हैं। ब्रेस्ट कैंसर के बड़े कारणों में से यह भी एक है। इसके अलावा गांव में कम उम्र में शादी होना सर्वाइकल कैंसर का बड़ा कारण है। डॉक्टर्स ने बताया कि इंडिया के मुकाबले विदेशों में महिलाएं नियमित तौर पर मेमोग्राफी कराकर कैंसर जैसे खतरे से निजात पा जाती हैं। इसीलिए विदेशों में कैंसर से सर्वाइवल सत्तर से अस्सी फीसदी है तो इंडिया में यह घटकर चालीस से पैतालीस फीसदी रह जाता है।

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गाल्ब ब्लैडर कैंसर पर जारी है रिसर्च

माना जाता है कि गंगा बेल्ट में गाल्ब ब्लैडर के कैंसर के मामले ज्यादा सामने आते हैं। नदी के पानी में कैडमियम जैसे कई हैवी केमिकल्स इसका कारण हैं। हालांकि इस मिथ को लेकर रिसर्च जारी है। डॉ। श्रीवास्तव ने बताया कि अहमदाबाद में उन्होंने आठ सालों में गाल्ब ब्लैडर कैंसर के महज तीन मरीज देखे थे, जबकि इलाहाबाद में हर महीने इस बीमारी के साठ से सत्तर मरीज सामने आते हैं।

ब्ब् मरीजों की होगी जांच

राष्ट्रीय कैंसर जागरुकता दिवस के मौके पर कमला नेहरू मेमोरियल हॉस्पिटल और क्षेत्रीय कैंसर संस्थान इलाहाबाद की ओर शुक्रवार को मेगा हेल्थ कैंप का आयोजन किया गया। जिसमें कुल क्ब्8भ् मरीजों ने रजिस्ट्रेशन कराया। इनमें भ्8फ् कैंसर, फ्क्7 ने फिजीशियन, फ्क्म् ने गायनी और ख्म्9 मरीजों ने बोन डेंसिटी की जांच कराई। इसमें से ब्ब् महिलाओं में कैंसर के लक्षण पाए जाने पर काल्पोस्कोपी व पैपस्मीयर जांच के लिए रिफर किया गया।

जागरुकता है बचाव का बेहतर तरीका

कैंप का उदघाटन कमिश्नर बीके सिंह व डीआईजी भगवान स्वरूप ने किया। कमिश्नर ने कहा कि कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। अभिभावकों को बच्चों की गुटका, तंबाकू, अल्कोहल जैसी प्रवृत्तियों पर नजर रखनी चाहिए, क्योंकि प्रिवेंशन इज बेटर दैन क्योर। डीआईजी ने कहा कि प्राइमरी स्टेज पर इलाज कराकर इस बीमारी से निजात पाई जा सकती है। इस दौरान हॉस्पिटल की सीईओ डॉ। मधुचंद्रा, डॉ। राधा घोष, डॉ। सोनिया, डॉ। सपन श्रीवास्तव, डॉ। प्रभात सिंह, डॉ। अरुण, असिस्टेंट डायरेक्टर हरिओम सिंह, सीएमओ डॉ। पदमाकर सिंह, बेली हॉस्पिटल सीएमएस डॉ। यूसी द्विवेदी, मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ। एसपी सिंह आदि मौजूद रहे।

चौंकाने वाले तथ्य

-इलाहाबाद में हर महीने सामने आते हैं गाल्ब ब्लैडर कैंसर के म्0 से 70 मरीज

-भारत में फ्भ् फीसदी महिलाएं हैं सर्वाइकल कैंसर से पीडि़त

-क्भ् फीसदी महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत

कारणों पर एक नजर

-महिलाओं में गुटखा, तंबाकू और अल्कोहल सेवन की बढ़ती हैबिट

-कम उम्र में शादी होना

-हाइजीन की कमी से ग्रामीण महिलाओं में पनपता है रोग

-पानी में कैडमियम जैसे कई हैवी केमिकल्स का पाया जाना

Posted By: Inextlive