मशहूर ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने 78 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। आज इनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। यहां जानें काैन हैं ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी जिनके लिए हर किसी की आंख हो रही नम...

चंडीगढ़ (आईएएनएस)। महावीर चक्र से नवाजे जा चुके ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने कल मोहाली के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली है। कुलदीप सिंह चांदपुरी के परिवार में अब उनकी पत्नी और तीन बेटे हैं। कुलदीप सेना से सेवानिवृत होने के बाद से चंडीगढ़ के सेक्टर 33 के अपने कोने के मकान में रह रहे थे।

कैंसर के खिलाफ उनका आखिरी संघर्ष

कुलदीप सिंह चांदपुरी हमेशा से ही एक योद्धा रहे है। वह चंडीगढ़ में नागरिक मुद्दों के लिए हमेशा आगे रहे। वहीं कैंसर के खिलाफ उनका आखिरी संघर्ष भी चर्चा में रहा। ऐसे में इनके निधन से हर काेई दुखी है। लोगों की जुबान पर कुलदीप सिंह चांदपुरी के बहादुरी के किस्से रटे हैं। इन्हाेंने भारत-पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।
पाक ने किया था लोंगेवाला पर हमला
1971 के युद्ध में पाक आर्मी ने 2 हजार सैनिकों की कई बटालियनों संग 5 दिसंबर की रात लोंगेवाला की ओर से पश्चिमी मोर्चे पर हमला किया था। उस समय भारत से लोंगेवाला पोस्ट पर पंजाब रेजिमेंट की 23 वीं बटालियन माेर्चा संभाले थी। इसकी कमांड मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के हाथ में और इसमें सिर्फ 120 सैनिक ही थे।

आखिर में दुश्मन सेना को पीछे हटना पड़ा

कुलदीप सिंह चांदपुरी ने इतने कम सैनिकों के साथ भी पाकिस्तानी सेना का मुकाबला किया। वह अपनी पोस्ट खाली कर पीछे नहीं हटे थे। खास बात तो यह है कि हजारों पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा पैट्टन टैंकों से भी हमला करने के बाद भी कुलदीप ने अपनी पोस्ट बचाने में सफल रहे थे। आखिर में दुश्मन सेना को पीछे हटना पड़ा था।

कुलदीप सिंह महावीर चक्र से नवाजे गए थे

इस लड़ाई में दुश्मन को पीछे हटने के लिए मजबूर करने वाले कुलदीप सिंह को महावीर चक्र (एमवीसी) से नवाजा गया था। वहीं लोंगेवाला की लड़ाई पर ही 1997 में मशहूर बॉलीवुड फिल्म बॉर्डर बनी थी। जेपी दत्ता की इस फिल्म में सनी देओल ने ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का रोल प्ले किया था। यह फिल्म खूब पसंद की गई थी।

पंजाब रेजिमेंट की 23वीं बटालियन ज्वाइन की

बता दें कि ब्रिगेडियर कुलदीप 22 नवंबर, 1940 को एक गुर्जर सिख परिवार में जन्में थे। उनके जन्म के बाद उनका परिवार अविभाजित भारत के पंजाब में मोंटागोमरी से बालाचौर के चांदपुर चला गया था। ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी मद्रास से प्रशिक्षण पूरा कर कुलदीप ने 1963 में पंजाब रेजिमेंट की 23वीं बटालियन ज्वाइन की थी।

 

 

Posted By: Shweta Mishra