- सिटी में मानक से तीन गुना अधिक हुआ पाल्यूशन

- टूटी-फूटी और खुदी रोड्स को जिम्मेदार ठहरा रहे पाल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड के ऑफिसर

KANPUR: व‌र्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने कानपुर को विश्व के टॉप टेन पाल्यूटेड सिटी में से एक बताया है। सिटी के माथे पर लगे इस बदनुमा दाग की एक नहीं कई वजह हैं। लेकिन फिलहाल एयर पाल्यूशन की जो सबसे प्रमुख वजह है वो है टूटी-फूटी रोड्स। जी हां ये मानना है पाल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड के ऑफिसर्स का है। उन्होंने बढ़ते एयर पाल्यूशन के लिए सिटी की रफ रोड्स और उन पर फैली गिट्टी, बजरी के बीच से गुजरने वाले लाखों वाहनों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

तीन गुना से अधिक

सिटी में 10 माइक्रॉन साइज से छोटे पार्टिकुलेट मैटर की संख्या 4 जनवरी को 319 माइक्रोग्राम पर मीट्रिक क्यूब पाई गई। इसी दिन पीएम-10 की मैक्सिमम क्वांटिटी 764 तक पहुंची थी। जबकि रेजीडेंशियल एरिया के लिए मानक 100 माइक्रोग्राम(24 में एवरेज) पर मीट्रिक क्यूब ही है। इसी तरह एटमॉस्फियर में खतरनाक गैसेज भी मानक से कहीं अधिक हैं। 4 जनवरी को ही नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड 100 माइक्रोग्राम(24 घंटे का एवरेज) पर मीट्रिक क्यूब तक पाई गई थी। जबकि मानक(24 घंटे में एवरेज) 80 माइक्रोग्राम पर मीट्रिक क्यूब से अधिक नहीं होना चाहिए। इसी तरह कार्बन मोनोक्साइड, ओजोन, सल्फर डाई ऑक्साइड जैसे जहरीली गैसेज भी एटमॉस्फियर में घुली हुई है। जो कानपुराइट्स को बीमार बना रही हैं।

टूटी और खुदी सड़कें बनीं मुख्य वजह

बढ़ते एयर पाल्यूशन की कई वजह है। जिनमें टूटी-फूटी रोड्स पर धूल-बजरी, मिट्टी और कचरा फैला होने, इंडस्ट्रियल पाल्यूशन, लकड़ी-अंगीठी व टायर जलाना आदि शामिल है। लेकिन एयर पाल्यूशन की सबसे बड़ी वजह सिटी की टूटी-फूटी रोड्स है। जिनमें हर रोज 11 लाख से अधिक दौड़ा करती है। वाहनों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। जिससे सिटी में चारों तरफ ट्रैफिक जाम की समस्या हो जाती है और पाल्यूशन में और भी इजाफा हो जाता है। रही-सही कस कई सालों से हो रही बेतरतीब ढंग से हो रही रोड कटिंग और बढ़ा रही है। इन्हीं वजहों से एयर पाल्यूशन मानक से 3 गुना तक पहुंच चुका है। पाल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड के रीजनल ऑफिसर टीयू खान ने बताया कि रफ रोड्स के कारण एयर पाल्यूशन अधिक है। रोड बनने से एयर पाल्यूशन की समस्या काफी हद तक हल हो सकती है। तब तक रोज रोड्स पर पानी का छिड़काव और सफाई का सुझाव दिया गया था। लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है।

ब्रेन सेल्स तक डैमेज कर देते ये पाल्यूटेंट्स

पाल्यूशन के कारण अंाखों में जलन, चिड़चिड़ाहट, स्किन डिसीज आदि बीमारियों का सामना करना पड़ता है।

जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एक्स प्रिंसिपल एसके कटियार ने बताया कि पाल्यूशन के कारण लंग्स के फंक्शन की क्षमता कम हो जाती है। ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, सीओडी आदि बीमारियां होती है। अल्टा फाइन पाल्यूटेंट ब्लड में एंट्री कर जाते है और लीवर, ब्रेन को डैमेज कर देते हैं।

पाल्यूटेंट-मैक्सि। क्वांटिटी -- एवरेज

कार्बन मोनोक्साइड- 9.भ्भ्- फ्.भ्म्

सल्फर डाई ऑक्साइड- ख्भ्-- क्ख्

नाइट्रोजन आक्साइड- ख्7फ्-- 70

नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड-क्ख्ब्- क्00

नाइट्रोजन के ऑक्साइड- ब्97- क्97

पीएम क्0- 7म्ब्-- फ्क्9

ओजोन - ख्8- 8

(एवरेज-ख्ब् का घंटे का है, कार्बन मोनोक्साइड मिलीग्राम पर मीट्रिक क्यूब और अन्य सभी माइक्रोग्राम पर मीट्रिक क्यूब हैं.)

पाल्यूशन की वजह

-टूटी-फूटी व खुदी पड़ी रोड्स

-रोड्स पर धूल, मिट्टी, कचरा फैला रहा

-वाहनों की बढ़ती संख्या

- ट्रैफिक जाम

- रोक के बावजूद डीजल गाडि़यां चलना

- रेजीडेंशियल एरिया में फैक्ट्री व कारखाने होना आदि

कैसे हो सकता बचाव

-रोड बनाई जाएं

-रोड्स की प्रॉपर सफाई की जाएं

-पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा

-स्मूद ट्रैफिक के लिए एनक्रोचमेंट हटाना, ट्रैफिक रूल्स फॉलो कराने जैसे उपाए किए जाएं

- डीजल वाहनों को सिटी में चलने से रोका जाएं।

-रेजीडेंशियल एरिया के बीच स्थित फैक्ट्री, कारखानों को इंडस्ट्रियल एरिया में शिफ्ट किया जाए।

Posted By: Inextlive