-प्राइवेट ऑटो ड्राइवरों से दलालों की होती है सांठगांठ

-बीआरडी में तीमारदार को झांसे में लेकर भेज देते हैं प्राइवेट हॉस्पिटल

-मेडिकल कॉलेज प्रशासन और पुलिस से भी हो चुकी है शिकायत

-फिर भी धड़ल्ले से कैंपस में खड़े रहते हैं वाहन

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में दलालों के झांसे में आकर मरीज आए दिन ठगी का शिकार हो रहे हैं। कमीशन के चक्कर में ऑटो ड्राइवर दलालों के बताए प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीजों को फंसाकर ले जा रहे हैं। ठगी का अहसास होने पर अक्सर बीमारी से परेशान पेशेंट इसकी कम्प्लेन तक करते हैं लेकिन कार्रवाई न होने पर वे हार मानकर घर चले जाते हैं।

अभियान भी रहा बेअसर

प्राइवेट वाहनों पर लगाम लगाने के लिए कई बार मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से अभियान चलाए गए लेकिन उनका अभियान बेअसर रहा। अब तो आलम यह है कि कैंपस में धड़ल्ले से प्राइवेट वाहन ट्रामा सेंटर, ओपीडी प्रवेश द्वार और इंसेफेलाइटिस वार्ड के सामने खड़े रहते हैं। सूत्रों की मानें तो इन ऑटो चालक और रिक्शा चालकों से दलालों की सांठगांठ रहती है। दलाल मरीजों को अपने झांसे में लेकर इनके हवाले कर देते हैं। उसके बाद सेटिंग वाले प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीज को भर्ती कराते हैं। जहां से उन्हें अच्छी खासी कमीशन मिल जाती है। उधर प्राइवेट हॉस्पिटल मरीज के तीमारदार से जांच और दवा के नाम पर 15 से 20 हजार रुपये ले लेते हैं। जब मरीज को ठगी का एहसास होता है तो वह इसकी शिकायत संबंधित अफसरों से करते हैं लेकिन ऐसे दलालों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है।

कैंपस में एंबुलेंस व प्राइवेट वाहन पर है रोक

बीआरडी कैंपस में प्राइवेट एंबुलेंस और प्राइवेट वाहन खड़ी करने पर रोक है लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन के आंख के सामने ही ये गाड़ी परिसर में खड़ी रहती हैं। लेकिन जिम्मेदार इसे नजरअंदाज करते हैं। जिसके नाते मरीज के तीमारदार आए दिन ठगी का शिकार हो रहे हैं।

केस-

अभी हाल में ही महराजगंज एरिया के रहने वाले ध्रुव नारायण के नाक, कान, गले में प्रॉब्लम थी। वह बीआरडी में अपना इलाज कराने पहुंचे लेकिन पर्ची काउंटर के पास एक दलाल मिला और उन्हें बेहतर इलाज का भरोसा जताते हुए एक ऑटो में बिठाकर प्राइवेट क्लीनिक भेज दिया। जिसके बाद दलाल भी प्राइवेट क्लीनिक पहुंचा और अपना तय कमीशन लेकर चलता बना। आरोप है कि पहले फीस के नाम पर 300 रुपये लिए इसके बाद डॉक्टर ने 670 रुपये की दवा लिख दी। जब डॉक्टर ने मरीज को डिस्चार्ज किया तो 15 हजार रुपये का बिल बना दिया। बिल देखने के बाद मरीज को अपने साथ हुए ठगी का एहसास हुआ। उसने इसकी शिकायत जिम्मेदार अधिकारियों से की लेकिन कोई फायदा नहीं मिला। वह मायूस होकर घर लौट गया।

कोट

इलाज के नाम पर यहां लूट मची है। दलाल और प्राइवेट चालक इसी ताक में रहते हैं कि किस मरीज को अपने झांसे में लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल का रास्ता दिखाएं। हालांकि ये अपने मंसूबे में सफल भी हो जाते हैं। पीडि़त की शिकायत के बाद भी कॉलेज प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई न होने से प्राइवेट चालक और ठगों के हौसले बुलंद हैं।

विनोद कुमार, गुलरिहा

मामले की शिकायत होती है। फिर भी प्राइवेट ऑटो चालक और दलालों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। पर्ची काउंटर, ट्रामा सेंटर, ओपीडी यूजर काउंटर, इंसेफेलाइटिस वार्ड के सामने दलाल और ड्राइवरों को जमावड़ा होता है। इस बात को कॉलेज प्रशासन के जिम्मेदार भी जानते हैं लेकिन वे भी आंख बंद किए रहते हैं।

अजय सिंह, महराजगंज

वर्जन

यह मेरे संज्ञान में हैं। यदि दोबारा प्राइवेट एंबुलेंस और ऑटो कैंपस में खड़ी हो रही हैं तो उसे बाहर करवाया जाएगा। जहां तक मरीजों से ठगी हो रही है तो इस तरह की शिकायत नहीं मिली है। इस पर नजर रखी जाएगी। इस दौरान कोई भी व्यक्ति पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। आरएस शुक्ला, सीएमएस नेहरू चिकित्सालय बीआरडी

Posted By: Inextlive