बिजली ना डीजल, नेटवर्क में उम्मीद ढूंढ रहे कंज्यूमर
- बीएसएनएल पीजीएम ने बिजली विभाग को लिखा पत्र
- बीएसएनएल के पास नहीं है डीजल का बजट - बिना बिजली के नेटवर्क हो जा रहा ध्वस्तGORAKHPUR:सीएम सिटी में बिजली सप्लाई कम होने से पब्लिक तो छोडि़ए बीएसएनएल की हालत खस्ता हो जा रही है. बिजली सप्लाई नहीं होने के कारण बीएसएनएल के बीअीएस टावर काम नहीं कर पा रहे हैं. जिससे कस्टमर्स को बेहतर नेटवर्क की सुविधा नहीं मिल पा रही है. बीएसएनएल की तमाम कोशिशों के बाद भी बिजली की व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है. दूसरी ओर बीएसएनएल के पास टावरों को संचालित करने के लिए डीजल खर्च भी नहीं है. नतीजा कस्टमर्स को नेटवर्क की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. बिजली विभाग का तर्क है कि खेतों में खड़ी फसल सूख कर तैयार है, बिजली की मौजूदगी में कभी भी दुर्घटना हो सकती है. लिहाजा फिलहाल हालत सुधरेंगे इसकी संभावना कम है.
डीजल खर्च हो गया छह गुना कमबीएसएनएल के बीटीएस टावर को चलाने के लिए नवंबर 2018 तक गोरखपुर ब्रांच को 24 लाख रुपए आवंटित किए जाते थे. अब इसमें भारी कमी की गई है. 483 बीटीएस टावरों को संचालित करने के लिए ही अब केवल चार लाख रुपए आवंटित किए जा रहे हैं, वह भी समय से नहीं मिल रहे. बड़ी मात्रा में डीजल की कमी में आई गिरावट के कारण 178 बीटीएस टावर सर्विस दे पाने की स्थिति में नहीं हैं. यही नहीं डीजल ढोने के लिए लगाई गई गाडि़यों का पेमेंट भी समय से नहीं हो पा रहा है. फिलहाल बीएसएनएल के जिम्मेदार किसी तरह से बीटीएस टावरों को संचालित करने के प्रयास में लगे हुए हैं. लेकिन बजट का अभाव उनके रास्ते में रुकावट खड़ी कर रहा है.
वर्जन बिजली सप्लाई पर्याप्त नहीं होने से बीटीएस टावर संचालित करने में समस्या हो रही है. डीजल के खर्च में कटौती हुई है जिसके कारण सभी टावर्स को चलाना मुश्किल हो रहा है. - देवेन्द्र सिंह, पीजीएम