शुक्रवार को आ रहे 2019/2020 के बजट में सरकार की सीमित फाइनांस सिचुएशन के चलते रक्षा खर्च में मामूली बढ़ोतरी की संभावना नजर आ रही है। ऐसा माना जा रहा है कि एक लंबे समय से अटके पड़े सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम में और देरी भी हो सकती है।


मुंबई (रॉयटर्स)। शुक्रवार को रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण 2019/2020 का बजट संसद में प्रस्तुत करने जा रही हैं। हर क्षेत्र से जुड़े लोगों को सरकार से बहुत सी उम्मीद हैं कुछ की अपेक्षायें पूरी होंगी और कुछ की नहीं। देश की सेनाओं को भी बहुत सी योजनाओं के पूरा होने का इंतजार है, पर फिलहाल विशेषज्ञों का मानना है सेना को अभी और इंतजार करना होगा। ऐसा सरकार की वित्तीय स्थितियों के टाइट होने के कारण हो रहा है। सेना को चाहिए माडर्न सुविधायें
बात यदि वायु सेना की करें तो उन्हें अपने सोवियत एरा के विमानों को बदलने के लिए सैकड़ों लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों की सख्त आवश्यकता है। जबकि नौसेना को हिंद महासागर में चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति का मुकाबला करने के लिए एक दर्जन से अधिक पनडुब्बियों की जरूरत जाहिर की है। वहीं थल सेना, जिसका एक बड़ा हिस्सा पारंपरिक दुश्मन पाकिस्तान से हिफाजत के लिए सीमा पर तैनात है, उसे असाल्ट राइफल्स से लेकर सर्विलांस ड्रोन और बॉडी आर्मर तक सब की अवश्यकता है। इसके बावजूद सेना के तीनों अंगों को अभी कुछ समय और इंतजार करना पड़ेगा।भारी पेंशन के चलते नहीं बच रहा पैसा


ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन के बाद दूसरे स्थान पर आने वाली भारत की विशाल सेना में काम कर रहे कर्मचारियों और करीब 1.4 मिलियन रिटायर्ड लोगों की पेंशन देने के बाद के सरकार के इतना पैसा नहीं बच पा रहा कि वो अन्य सुधार कार्यों पर खर्च बढ़ा सके। अंतरिम बजट में हुई थी बढोत्तरीहांलाकि जनरल इलेक्शन के पहले इसी साल फरवरी में आये अंतरिम बजट में सरकार ने सेना के लिए 4.31 ट्रिलियन रुपये लेने की घोषणा की थी जो पिछले वर्ष से 6.6 प्रतिशत अधिक थी, लेकिन ये अभी भी सेना के आधुनिकीकरण के लिए आवश्यकता से काफी कम है। इसके बावजूद वित्त और रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि संसद में पेश किए जाने कल के ताजा बजट में इसमें कोई परिवर्तन नहीं आयेगा।

Posted By: Molly Seth