- बाकरगंज की आग एक बार फिर सुलगने से बरेली शहर बना दिल्ली

- पूरा शहर जहरीली हवाओं के बीच

BAREILLY:

बाकरगंज में फिर धधकी आग से उठ रहे धुएं ने शहर की आबोहवा को जहरीला बना दिया है। दूषित हो रही हवा के आंकड़े बेहद डराने वाले हैं। क्योंकि इसकी मात्रा मानक से इतनी ज्यादा है कि यह ऑक्सीजन को निगल रही है। इस दूषित हवा के सम्पर्क में इंसान ज्यादा देर तक रह जाए तो लंग्स काले पड़ जाएंगे, जिसका कोई इलाज भी नहीं है। यह कैंसर का कारण तो बनेगा ही शरीर में ऑक्सीजन की भी कमी होने से मल्टीपल ऑर्गन्स भी प्रभावित होने लगेंगे। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने हवा की गुणवत्ता को पीएच 2.5 और पीएच 10 को पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की अधिकृत मशीन से नापा तो मानक से कई गुना अधिक पाए गए।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाइन के मुताबिक दैनिक जागरण आईनेक्स्ट बाकरगंज ट्रेंचिंग ग्राउंड से 1 किमी। की दूरी और छह फीट से अधिक हाइट पर मशीन से पाल्यूशन की जांच की गई।

क्या कहते है प्रोफेसर्स

कूड़े के ढेर में आग लगने से निकलने वाली जहरीली गैसों के बारे में आईआईटी रुड़की में केमिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर शिशिर सिन्हा से बात की और उनसे आग लगने के बाद निकलने वाली जहरीली गैसेज और उनके कुछ साइड इफेक्ट के बारे में पूछा तो उन्होंने आग के दौरान कूड़े के ढेर से निकलने वाली गैसेज के बारे में बताया आइए आपको भी बताते है कुछ जहरीली गैसों के बारे में

पॉलीएथीलीन और पॉली प्रोपेन

प्रोफेसर शिशिर सिन्हा ने बताया कि जब भी किसी ट्रेंचिंग ग्राउंड में आग लगती है तो वहां कई तरह की पॉलीथिन और वेस्ट मटीरियल जलते है। जिससे उसमें से पॉलीएथीलीन और पॉली प्रोपेन गैस निकती है। जब दोनों गैस आपस में मिलती है तो वो डाई ऑक्साइड गैसेज बनाती हैं, जो कि शरीर में लंग्स कैंसर का कारण बनती है

कार्बन डाई ऑक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड

कार्बन डाईऑक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड गैसेज जब आपस में मिक्स होती है। तो वो बॉडी में ऑक्सीजन की कमी करती है, जिसकी वजह से मनुष्य की बॉडी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। और इंसान की डेथ तक हो सकती है।

सल्फर डाई ऑक्साइड और नॉक्स

सल्फर डाई ऑक्साइड और नॉक्स गैसेज जब आपस में मिलती है तो वो भी काफी खतरनाक होती है। जिससे इंसान के बेहोशी में जाने और एलर्जी जनित तमाम समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

डॉक्टर्स का क्या कहना है।

इस धुएं से होने वाले नुकसान के बारे में डॉक्टर से बात की तो डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के फिजिशियन डॉ। अजय मोहन ने बताया कि इस धुएं से बॉडी के हर पार्ट को कहीं न कहीं कोई न कोई नुकसान जरूर होता है। फिर उन्होंने धुएं से होनी वाली कुछ महत्वपूर्ण बीमारियों के बारे में बताया।

लंग्स में दिक्कत

डॉक्टर अजय मोहन ने बताया कि जब वातावरण में इस तरह की जहरीले गैसे ज्यादा हो जाती है तो सबसे पहले लंग्स में दिक्कत पैदा होती है। जब इन गैसेज को इनहेल करते है तो यह सभी लंग्स में पहुंच जाती है। तो लंग्स में सूजन आ जाती है। जिसकी वजह से लोगो को सांस लेने में भी दिक्कत होने लगती है। या फिर सीने में दिक्कत होने लगती है। धीरे धीरे जब यह ज्यादा समय तक जमा रहती है तो वो कैंसर का रूप ले लेती है।

ब्लड में पहुंचने पर और हार्मफुल

फिर उन्होंने बताया कि धुएं से निकलने वाली कार्बन मोनो ऑक्साइड हीमोग्लोबिन में मिल जाती है जिसकी वजह से बॉडी की जो ऑक्सीजन बाइंडिंग साइड्स हैं, वह ब्लॉक हो जाती हैं। या फिर यूं कहे कि कार्बन मोनो ऑक्साइड उनको ब्लाक कर देती है। जिसकी वजह से बल्ड की ऑक्सीजन कैरिंग कैपेसिटी कम हो जाती है या फिर खत्म हो जाती है, जिसकी वजह से इंसान की मौत भी हो सकती है।

दिमाग में भी अटैक

बाद में डॉक्टर ने बताया कि यदि यही गैसेज ज्यादा समय तक इन्हेल करते रहे तो यह माइंड को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जिसकी वजह से इंसान बेहोशी की हालत में जाने लगता है।

एक नजर में पूरे शहर का पॉल्यूशन

जगह बाकरगंज ट्रेंचिंग ग्राउंड से दूरी पीएम 2.5 पीएम 10

प्राथमिक विद्यालय जसौली करीब एक किमी 380 650

किला पुल आसपास करीब डेढ़ से दो किमी 223 367

चौपुला चौराहा करीब तीन किमी दूरी 194 296

आरयू करीब 10 किमी की दूरी 74 208

आईवीआरआई करीब 5 किमी की दूरी 38 110

बाकरगंज ट्रेंचिंग ग्राउंड शून्य किमी 999 1999

क्या है पीएम 2.5 और पीएम 10

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार पीएम मतलब पार्टीकुलेट मैटर होता है। जो दो तरह के होते है। एक पीएम 2.5 और दूसरे पीएम 10. यह खुली हवा में सूक्ष्म कण होते है। जो बहुत ही खतरनाक होते है। इन दोनो में सबसे ज्यादा खतरनाक पीएम 2.5 होता है।

यदि पीएम 2.5 का लेवल 80 और पीएम 10 का लेवल 100 तक होता है तो यह बिल्कुल भी खतरनाक नही माने जाते है।

डॉ। दिनेश कुमार सक्सेना, पॉल्यूशन कंट्रोल

Posted By: Inextlive