-By the people

VARANASI: मुझे याद है पिछला विधानसभा वाला इलेक्शन। मैं उस इलेक्शन में वोट देने के लिए काफी क्रेजी था। पहले भी वोट किया था मगर विधानसभा में मेरे एरिया में काफी ट्रेगुलर मुकाबला था और मैं इनमें सबसे अच्छे का फेवर चाहता था। मैं चाहता था कि मेरे एरिया में बदलाव की बयार हो। इसलिए मेरे लिए मेरा अपना वोट काफी इम्पॉर्टेट था।

जाना पड़ा था गांव

इत्तेफाक की बात थी कि वोटिंग के ठीक एक दिन पहले मुझे जरूरी काम से मिर्जापुर स्थित अपने गांव जाना पड़ गया। मुझे पता था कि सुबह डिस्ट्रिक्ट की सीमाएं सील हो जाएंगी फिर भी मैं बाइक से बनारस के लिए निकल पड़ा। बॉर्डर एरिया में पुलिस ने रोका मगर जब मैंने बताया कि मुझे वोट देने जाना है तो वो मेरी बात से कन्वींस हुए और मुझे जाने दिया।

किया 80 किमी का सफर

मैंने वोट देने के लिए बाइक से 80 किमी से ज्यादा का सफर किया और दोपहर में बूथ पर लम्बी लाइन में लग कर वोट किया। मेरे जानने वालों का उम्मीद नहीं थी कि मैं वोट देने आऊंगा फिर भी मैं अपने वोट की कीमत समझता था लिए मैंने किसी चीज की परवाह नहीं की। आज भी मुझे उस दिन के अपने किये पर प्राउड फील होता है।

- राजेश सिंह, बिजनेसमैन

> Posted By: Inextlive