MEERUT : केबल वार आज की नहीं बल्कि सालों पुरानी है. करीब आठ साल पहले केबल कारोबार में बाहुबली और बदमाशों ने एंट्री की थी. इसके बाद से ही केबिल का ये धंधा खतरनाक होता चला गया.

केबल वार आज की नहीं बल्कि सालों पुरानी है। करीब आठ साल पहले केबल कारोबार में बाहुबली और बदमाशों ने एंट्री की थी। इसके बाद से ही केबिल का ये धंधा खतरनाक होता चला गया। खूनी मोड़ आते चले गए। धमकी, रंगदारी, मर्डर की शुरुआत हुई। गैलेक्सी के मैनेजर की हत्या ने हिस्ट्री खंगालने को मजबूर कर दिया है।

खूनी हिस्ट्री
2004 में महानगर के केबिल संचालक दो फाड़ हो गए थे। रोमी शिव और शास्त्री नगर के केबल संचालक अखिलेश अग्रवाल के बीच मारपीट से विवाद शुरू हुआ था। इस विवाद ने आगे चलकर तलवारें खींच दीं। वर्चस्व को लेकर जंग शुरू हो गई। इसी के  चलते केबिल व्यवसाय में बाहुबलियों और बदमाशों की एंट्री होने लगी। जिसमें एक ग्रुप के साथ रविंद्र भूरा और दूसरे ग्रुप अखिलेश अग्रवाल के साथ हरीश सिरोही खड़े हो गए थे।

ये थी शुरूआत
2004 से केबल के धंधे में खून खराबे की शुरूआत हो गई थी। मोदीनगर में चार हत्याएं हुईं। गैलेक्सी के मैनेजर पवित्र की हत्या का प्रयास किया गया। 13 मई 2004 को गैलेक्सी के मैनेजर पवित्र मैत्रेय पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई थी। किसी तरह पवित्र की जान बच गई थी। पवित्र की हत्या की आशंका तभी से बनी हुई थी। लेकिन यह किसी को नहीं पता था कि अब मैनेजर पवित्र मैत्रेय की हत्या कर दी जाएगी।

ऐसे शुरू हुआ केबल वार
मोदीनगर के केबल व्यवसाय और मेरठ केबिल व्यवसाय का लिंक पुराना है। मोदीनगर में केबल व्यवसाय की नींव रखने वाले विकास उर्फ बिट्टू और रविंद्र चौधरी की हत्या भी केबिल वार में ही हुई थी। इसके बाद रवींद्र भूरा की बदौलत मोदीनगर में मुकेश किठौली ने अपना एकछत्र राज कर लिया था। लेकिन केबल रंजिश के चलते मुकेश किठौली की भी हत्या कर दी गई थी। मुकेश किठौली मेरठ में गैलेक्सी कम्यूनिकेशन में पार्टनर रहा था। यह केबिल वार मेरठ तक पहुंच चुका था।

ये चला रहे थे गैलेक्सी
गैलेक्सी कम्यूनिकेशन में रोमी शिव, अनिल महाजन, संजय, अर्पित, संजय बिरमानी, राजीव जैन, गौरव प्रसाद और मुकेश किठौली शामिल थे। जिनमें से मुकेश किठौली की हत्या हो गई थी।

कंट्रोल रूम और
प्रसार को लेकर संघर्ष

पहले इस धंधे में लोगों के बीच छोटा मोटा झगड़ा, मनमुटाव होता था लेकिन इस धंधे में माफियाओं की एंट्री से बात लाख और साख पर आ गई थी। पुराने कारोबारियों को अपने अस्तित्व पर खतरा नजर आने लगा था। इस बीच रवींद्र भूरा और सुशील मूंछ भी केबिल व्यवसाय में कूद चुके थे। रविंद्र भूरा के साथ बदन सिंह बद्दो भी था। रविंद्र भूरा और सुशील मूंछ के बीच वर्चस्व को लेकर दुश्मनी शुरू हो गई थी। इसके चलते 2004 तक चार मर्डर हो चुके थे।

अजय जडेजा की दस्तक
सोना उगलते केबिल उद्योग पर बदमाशों की नजरें तेज होती जा रही थीं। कानपुर के बाद सबसे ज्यादा टैक्स मेरठ के केबिल कारोबार से जाता रहा है। जैसे ही यह व्यवसाय फलता-फूलता गया वैसे ही शूटर्स की भी एंट्री होती गई। सपा नेताओं का संरक्षण पाए हुए शार्प शूटर अजय जडेजा उर्फ जनक यादव ने भी व्यवसायियों से रंगदारी मांगनी शुरू कर दी थी। अजय जडेजा साफ कहता था कि रविंद्र भूरा को पैसा जाता है तो उसको क्यों नहीं मिल सकता।

वारदात दर वारदात
- 4 जून 2004 को गैलेक्सी के पार्टनर और मोदीनगर के केबल व्यवसाय में एकछत्र राज रखने वाले मुकेश किठौली की मोदीनगर में गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी।

- 31 मई 2004 में ऊंचा सद्दीक नगर के केबल संचालक मोहम्मद मेहराज पर जानलेवा हमला किया गया था।

- 22 फरवरी 2005 को गैलेक्सी के कार्यालय पर एक बार फिर हमला हुआ था। जहां पवित्र मैत्रेय को फिर निशाना बनाया गया था। लेकिन वह इस बार भी किसी तरह बच गया था।

- 16 मई 2005 को कालियाढ़ी के अपहृत केबल संचालक धर्मेंद्र की लाश जानी के पास नहर से बरामद की गई थी। धर्मेंद्र का भी अपने साथियों से केबल संचालन को लेकर विवाद चल रहा था। इसके चलते ही उसकी हत्या कर दी गई थी।

- 15 जुलाई 2005 को कृष्णानगर में केबल ऑपरेटरों के बीच विवाद के चलते एक ऑपरेटर नीरज शर्मा के अपहरण का प्रयास करते हुए उसे गोली मार दी थी।

Posted By: Inextlive