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PATNA: इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में 18 लिपिकों के वेतन घोटाले में जिम्मेदारों पर शिकंजा कसता नज़र आ रहा है। गुपचुप तरीके से छोटे बाबुओं को बड़े बाबुओं का वेतन दिया जाना अब महंगा पड़ेगा। मंगलवार शाम सीएजी की दो सदस्यीय जांच टीम ने कागजों की जांच पड़ताल के साथ जिमेदारों से पूछताछ की है।

हमने किया था एक्सपोज़

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में छोटे बाबुओं को बड़े बाबुओं का वेतन दिए जाने का मामला एक्सपोज किया था। छोटे बाबुओं को कैसे मिल रहा है बड़े बाबुओं का वेतन शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी।

सीएजी को क्यों नहीं दे रहे जवाब

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में 18 लिपिकों को गलत ढंग से वेतन और भत्ता दिए जाने का मामला सामने आया। शिकायत हुई और दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने भी मामला एक्सपोज किया। जिसके बाद हडकंप मचा और बिहार के महालेखा परीक्षक ने संस्थान को पत्र भेजकर जानकारी मांगी। संस्थान ने कोई जानकारी नही दी। 16 जनवरी 2018 को संस्थान के निदेशक को प्रेषित पत्र के अनुसार कैग ने संस्थान के निदेशक से 3 विन्दुओं पर उत्तर मांगा था। पत्र के अनुसार निम्न वर्गीय लिपिक को उच्चवर्गीय लिपिक में पदनामित किए जाने संबंधी प्रावधान की प्रति, बिना पदोन्नति के वेतनमान दिए जाने के प्रावधान, उसकी संचिका, उससे जुड़े पत्राचार सभी को कैग को उपलब्ध कराने की बात है ताकि घोटाले के स्तर और उसमें शामिल लिपिकों, कर्मचारियों और अधिकारियों का पता चल सके।

एक नजर में मामला

15 अक्टूबर 2015 को संस्थान के 21 लैब तकनीशियन जिसमे कामेश्वर राय, मुहमद मुश्ताक़, नौरीन सुधीर आदि शामिल थे,ने संस्थान के निदेशक और बाद में कैग को लिखित में बताया था कि संस्थान के 18 से ज्यादा लिपिक गलत ढंग से वेतन ले रहे हैैं। 1984 में igims संस्थान और दिल्ली aiims में लैब तकनीशियन का वेतनमान 380-560/माह के स्केल में था तब इन लिपिकों का वेतन 260-400/माह के स्केल में था यानी काफी अन्तर था।

Posted By: Inextlive