- 2013 के बाद आपदा पुनर्निर्माण कार्यो में कैग की रिपोर्ट में चौंकाने वाली

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>DEHRADUN: वर्ष 2013 में आपदा के कहर से बदहाल हुई केदारपुरी में पुनर्निर्माण कार्यो को लेकर पिछली कांग्रेस सरकार और वर्तमान बीजेपी सरकार भले ही अपनी पीठ खुद थपथपाती रही हैं, लेकिन भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में चौंकाने वाली है। रिपोर्ट में तंत्र की कार्यप्रणाली की पोल खुली है। हकीकत यह रही कि धन की कमी का रोना रो रही सरकार मध्यकालिक और दीर्घकालिक परियोजनाओं के लिए स्वीकृत धनराशि का उपयोग करने में सक्सेस नहीं रही। कुल अप्रूव्ड एक्सपेंडेचर 6259.84 करोड़ के सापेक्ष प्रोजेक्ट्स के लिए 26 प्रतिशत कम यानी महज 4617.27 करोड़ धन उपलब्ध कराया गया। कम धन जारी करने के बावजूद खर्च महज 3708.27 करोड़ हो सका।

कोई मल्टीपरपज हॉल नहीं बन पाया

आपदा प्रभावित डिस्ट्रिक्ट में 5 हेलीड्रोम, 19 हेलीपो‌र्ट्स, 34 हेलीपैड व 37 मल्टीपरपज हॉल बनाए जाने थे, लेकिन 27 हेलीपैड का ही निर्माण हुआ। एक भी मल्टीपरपज हॉल का निर्माण नहीं हो पाया। सरकार पुनर्निर्माण कार्यो के पर्यवेक्षण, अनुश्रवण और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए पृथक केंद्रीकृत तंत्र की स्थापना नहीं कर सकी। केंद्र से 319.75 करोड़ की धनराशि मिलने के बाद भी गौरीकुंड व केदारनाथ के बीच रोप-वे का निर्माण, आश्रय सह गोदामों और श्रीकेदारनाथ टाउनशिप के सेकेंड फेज के कार्य समेत तमाम योजनाओं के लिए धनराशि मंजूर नहीं की गई।

सदन में रखी गई कैग की रिपोर्ट

आपदा के कहर से प्रभावित जिलों को बदहाली से उबारने के लिए जिस मिशन मोड में कार्य करने की दरकार थी, जमीन पर ऐसा नजर नहीं आ रहा है। 2013 की आपदा के बाद बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण पर कैग की रिपोर्ट को शुक्रवार को सदन में रखा गया। रिपोर्ट में मुख्य रूप से वर्ष 2014-15 से 2016-17 किए गए निर्माण कार्यो का ऑडिट किया गया है। वर्ष 2013 की आपदा के दौरान राज्य में कांग्रेस की विजय बहुगुणा सरकार थी। फरवरी, 2014 से मार्च, 2017 तक कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के कार्यकाल में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण कार्य किए गए। 18 मार्च, 2017 के बाद से भाजपा की मौजूदा त्रिवेंद्र रावत सरकार कार्य कर रही है। ऑडिट रिपोर्ट को मई 2017 से नवंबर, 2017 तक के दृष्टांतों और बाद में कार्यो की पूर्णता की स्थिति को इंगित कर मार्च, 2018 तक अपडेट किया गया है। रिपोर्ट में आपदा के प्रति संवेदनशील राज्य उत्तराखंड में पुनर्निर्माण कार्यो के लिए जिम्मेदार तंत्र की ओर से बरती गई लापरवाही का खुलासा किया गया है। राज्य सरकार की कोई भी परियोजना निर्धारित अवधि के भीतर पूरी नहीं हो सकी। इसके अतिरिक्त मार्ग और सेतु के 10 निर्माण कार्य, पर्यटन अवस्थापना ढांचे की दो परियोजनाएं, तीन लघु जलविद्युत परियोजनाओं, सार्वजनिक भवनों के 17 निर्माण कार्य, वन क्षेत्र के पांच निर्माण कार्य आपदा की तारीख से पांच साल से अधिक समय (मार्च, 2018) बीतने के बावजूद शुरू नहीं हो पाए थे। केंद्र से प्राप्त 319.75 करोड़ की प्राप्ति के बावजूद गौरीकुंड-केदारनाथ रोपवे, आश्रय सह गोदामों, श्रीकेदारनाथ टाउनशिप के दूसरे चरण के कार्य, अन्य धामों के विकास, राज्य के युवाओं को वैकल्पिक माध्यमों से जीविकोपार्जन के लिए प्रशिक्षित करने को 10 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के निर्माण, अन्य धामों के विकास, को निधि स्वीकृत नहीं की गई।

'पिछली कांग्रेस सरकार के शासनकाल में केदारनाथ आपदा के बाद पुनर्निर्माण कार्यो की जांच रिपोर्ट पर सरकार जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेगी। सरकार रिपोर्ट का गहन अध्ययन करेगी, लेकिन यदि कोई अनियमितता पाई जाती है तो इस पर कार्रवाई से भी पीछे नहीं हटेगी। सरकार बदले की भावना से नहीं, बल्कि सही को सही व गलत को गलत के आधार पर फैसला लेगी.'

-त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री उत्तराखंड।

विपक्ष का वाकआउट, विनियोग विधेयक पारित

विपक्ष के सदन से वाकआउट के बाद राज्य विधानसभा का बजट सत्र सरकार द्वारा विनियोग विधेयक पारित करने के साथ ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। सत्र के अंतिम दिन उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए आरक्षण) विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसके अलावा उत्तराखंड (संयुक्त प्रांत आबकारी अधिनियम, 1910) (संशोधन) विधेयक भी सदन में पारित किया गया। शुक्रवार को सदन में भोजनावकाश के बाद संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए आरक्षण) विधेयक प्रस्तुत किया। विपक्ष ने इसका समर्थन तो किया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि मात्र आरक्षण देने से काम नहीं चलेगा, सरकार इन्हें रोजगार देना भी सुनिश्चित करे। इसके बाद विभागीय अनुदान मांगों पर चर्चा शुरू होने पर कांग्रेस ने विभागीय बजट की प्रतियां उपलब्ध न कराए जाने पर आक्रोश प्रकट किया। उन्होंने कहा कि उन्हें मात्र पेन ड्राइव दी गई है। सदन में बजट सत्र के दौरान एक दिन पूर्व विभागीय बजट दिए जाने की व्यवस्था बनाई गई थी। बजट की प्रतियां न मिलने से वे किस प्रकार इस पर चर्चा कर सकते हैं। सरकार पर सदन में चर्चा से बचने के लिए विभागीय बजट की प्रतियां उपलब्ध न कराने का अरोप लगाते हुए विपक्ष कांग्रेस ने सदन से वाकआउट कर दिया। विपक्ष के वाकआउट करने के बाद मंत्रियों द्वारा विभागीय बजट प्रस्तुत किया गया। कटौती का प्रस्ताव न मिलने के कारण बिना किसी चर्चा के 17 विभागों का बजट पारित किया गया। विभागीय अनुदान मांगें पारित होने के बाद वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने विनियोग विधेयक रखा, जिसे विपक्ष की अनुपस्थिति में ध्वनिमत से पारित किया गया। सदन के शेष कार्य के पश्चात पीठ ने सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।

Posted By: Inextlive