- लोकसभा चुनाव से पहले पब्लिक के बीच से उठ रहे सवाल

- हम तैयार हैं campaign के दौरान लोगों ने किए सवाल

i next के campaign से जुड़ रहे senior citizen

ALLAHABAD: ये पब्लिक सब जानती है, उसे अपने राइट और पॉवर का पूरा एहसास है, बस जगाने की जरूरत है। इस रिस्पॉसबिलिटी को आई नेक्स्ट बखूबी निभा रहा है, जिसका असर सिटी के हर एज ग्रुप में दिखाई दे रहा है। आई नेक्स्ट के कैंपेन से लोगों के जुड़ने और शामिल होने का सिलसिला जारी है। फ्राइडे को भी मुद्दों पर खूब रेटिंग हुई। हर किसी ने अपने-अपने हिसाब से मुद्दों पर रेटिंग की।

सीनियर सिटीजन ने उठाए सवाल

पीवीआर और यूनिवर्सिटी कैंपस के पास लगे आई नेक्स्ट के स्टॉल पर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुट रही है। जो अपने-अपने हिसाब से मुद्दों पर रेटिंग कर रही है। लेकिन फ्राइडे को मुद्दों पर रेटिंग के साथ ही पब्लिक के बीच से कई सवाल सामने आए। लोगों का सवाल था कि आखिर ये मुद्दे कब खत्म होंगे। कुछ सीनियर सिटीजन ने भी सवाल उठाए, जिसके बाद सवाल पर ही बहस छिड़ गई।

दस मुद्दे तो कम हैं

आई नेक्स्ट ने हम तैयार हैं मुहिम में पब्लिक के लिए दस मुद्दे शामिल किए हैं, जिनमें से पांच मुद्दों की रेटिंग करनी है। लेकिन फ्राइडे को कैंपेन में कुछ ऐसे लोग पहुंचे जिन्होंने कहा लोकसभा चुनाव के लिए इन दस मुद्दों के अलावा भी बहुत से मुद्दे हैं, उनके लिए कहां रेटिंग करें। लोगों का कहना था कि मुद्दों की संख्या बढ़ रही है।

लोगों का व्यू---

फेस्टिवल का सीजन खत्म होने के बाद चुनावी फेस्टिवल का सीजन शुरू हो गया है। चूंकि यह नेशनल फेस्टिवल है, इसलिए इसमें शामिल होना हम सब का कर्तव्य है। फेस्टिवल शुरू होने से पहले फेस्टिवल को लेकर लोगों में अवेयरनेस पैदा करने के लिए आई नेक्स्ट की पहल बेहतरीन है।

शरद मालवीय, करेली

देखिए, वोटिंग सिस्टम और पॉलिटिशियन से तो अब भरोसा उठने लगा है। अब कोई ऐसा नहीं दिखता है, जिसे एक नजर में एसेप्ट किया जा सके। हर पॉलिटिशियन और हर दल का अपना-अपना ईश्यू है, जो पब्लिक के बेसिक प्रॉब्लम से अछूता है। ऐसे में हम किस पर भरोसा और किस पर विश्वास करें।

बसंत कुमार, चौक

आज से नहीं बल्कि देश की आजादी के बाद से ही हर बार चुनाव मुद्दों पर होते हैं। मुद्दों की राजनीति होती है, लेकिन मुद्दे खत्म नहीं होते। मेरा मानना है कि अब मुद्दे खत्म होने चाहिए। आखिर कब तक मुद्दों की राजनीति होती रहेगी।

शरद खन्ना, रानी मंडी

भ्ब् साल का हो चुका हूं, इस दौरान कई पॉलिटिशियन आए और गए। चुनाव से पहले सभी यही कहते हैं, मैं ये करवा दूंगा, मैं वे करवा दूंगा। लेकिन चुनाव बाद ने ये होता है और न वो पूरा होता है। आखिर ऐसा कब तक चलता रहेगा। मेरा मुद्दा तो ये है कि केवल मुद्दों की बात करने वालों को पॉलिटिक्स में जगह नहीं मिलनी चाहिए।

अब्दुल कलाम

Posted By: Inextlive