कम गुणांक वालों की मनचाहे जिले में तैनाती, हाई गुणांक वालों को नुकसान

चयन के मानक में बदलाव से जिला आवंटन का नहीं मिल रहा रास्ता

ALLAHABAD: सूबे में चल रहे सहायक अध्यापक भर्ती पदों में मानकों में परिवर्तन का खामियाजा अभ्यर्थियों को उठाना पड़ रहा है। पूर्व में तय पदों से कम चयन का मानक विभाग ने बनाया। इसका असर ये रहा है कि करीब छह हजार अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया से बाहर होना पड़ा। मामले ने तूल पकड़ा तो विभाग ने आनन-फानन में सुधार किया। इसका खामियाजा भी अभ्यर्थियों को उठाना पड़ा। जिला आवंटन के दौरान अच्छे गुणांक पाने के बाद भी अभ्यर्थियों को मनमाफिक जिला आवंटित नहीं हो सका। जबकि कम गुणांक वाले अभ्यर्थियों को होम डिस्ट्रिक्ट में जॉब पाने का मौका मिल गया। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस अभ्यर्थी का 74 गुणांक रहा है, वह दूसरे जिले में गया है और जिनका 54 गुणांक था, वे गृह जिले में पढ़ाएंगे। यदि चयन मानक न बदलता तो ऊंची मेरिट वाले गृह जिले में व दूसरी सूची के अभ्यर्थी गैर जिलों में तैनात होते।

कदम-कदम पर बदले नियम

परिषदीय स्कूलों की 68500 सहायक अध्यापक भर्ती 2018 कदम-कदम पर नियम बदलने के लिए भी जानी जाएगी। अफसरों ने भर्ती का उत्तीर्ण प्रतिशत दो बार बदला। पहले सामान्य व ओबीसी का 45 व एससी-एसटी का 40 फीसदी किया। बाद में उसे क्रमश: 33 व 30 फीसदी किया गया। लिखित परीक्षा में 41556 के उत्तीर्ण होने के बाद सभी को मौका देने का आश्वासन दिया गया, लेकिन पहली चयन सूची से अभ्यर्थी बाहर होने पर दूसरी सूची जारी करनी पड़ी। दो चयन सूची से दो बार जिला आवंटन भी हुआ। यदि पहले ही 68500 पर चयन किया जाता तो ऊंची मेरिट व अधिक गुणांक वालों को आसानी से अपना गृह जिला आवंटित होता, जबकि कम मेरिट वाले दूसरे जिलों में जाते। ऐसा न होने से तस्वीर बदल गई है ऊंची मेरिट वाले दूसरे जिले में पहुंच गए हैं और दूसरी सूची के कम मेरिट वालों को अपना गृह जिला मिल गया है।

शासन का निर्देश आया आड़े

यह इसलिए हो गया कि पहली सूची तय करने में सामान्य वर्ग की सभी सीटें भर गई थीं। सिर्फ ओबीसी व एससी व एसटी की ही सीटें बची थीं। शासन का निर्देश था कि आरक्षित वर्ग की सीटों को अन्य वर्ग से न भरा जाए, बल्कि नियमानुसार चयन तक रिक्त रखा जाए। दूसरी सूची में अधिकांश सामान्य वर्ग व कुछ ओबीसी अभ्यर्थी थे। इसलिए शेष अभ्यर्थियों का चयन भर्ती के कुल पदों के सापेक्ष किया गया, तब सामान्य वर्ग की रिक्त सीटें हर जिले में बढ़ गई उन पर चयन किया गया। इससे शेष अभ्यर्थी तो चयनित हो गए लेकिन, जिला आवंटन सवालों के घेरे में है।

Posted By: Inextlive