Varanasi: यूं तो चोरी की गाडिय़ों की पहचान पुलिस उनके इंजन नंबर व चेसिस नंबर के जरिए करती है. लेकिन अगर चोरी के बाद इन्हीं दोनों को बदल दिया जाए तो? आप भी सोच रहे होंगे कि कोई चोर चेसिस नंबर व इंजन नंबर को कैसे चेंज कर सकता है? लेकिन जनाब लंका पुलिस ने मंगलवार की रात जिस वाहन चोर गैंग के पांच मेम्बर्स को पकड़ा वो चोरी की गाडिय़ों की पहचान मिटाने के लिए कुछ ऐसा ही करते थे. पुलिस ने इन चोरों के पास से चोरी की एक जाइलो और एक इंडिका कार समेत आरटीओ की फर्जी मोहरें स्टांप पैड फर्जी रजिस्ट्रेशन पेपर नंबर प्लेट स्प्रे पेंट आदि बरामद किये हैं.


प्लेन प्लेट से करते थे कामदरअसल पुलिस ने जिन पांच वाहन चोरों को पकड़ा है वो कारों को चुराने का काम करते थे। इन कारों को चुराने के बाद ये चोर इनके इंजन नंबर पर लगी प्लेट को हटाकर उस पर नई प्लेट लगाने के बाद नया नंबर गढ़ देते थे। चेसिस नंबर को खोद कर उसे भी बदलने का काम ये बड़ी आसानी से करते थे। इस बारे में एसएसपी बीडी पाल्सन ने बुधवार को  अपने ऑफिस में पकड़े गए वाहन चोरों के सरगना मोमिनपुर, कोलकाता के मुहम्मद मुस्तफा, सिसवा कपसेठी के ओमप्रकाश पांडेय, हजारीबाग बिहार के शेख शाहिद, भवानीपुर कालीघाट, पश्चिम बंगाल के नरेश दास व राजू को लौटूबीर पुलिया के पास से उस वक्त पकड़ा जब ये सभी चोरी की कार को लेकर रामनगर की ओर इसका सौदा करने जा रहे थे।दूसरे राज्यों से चुराते थे कारें
एसएसपी ने बताया कि पकड़े गए बदमाशों ने पूछताछ में बताया है कि ये सभी कारों को किसी एक राज्य से नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा व उप्र के अलग अलग शहरों से चुराते थे और इन्ही राज्यों में गाडिय़ों को बेचते भी थे। जो दो कारें बरामद हुई है उनको भी इस गैंग ने रांची और हजारीबाग से चुराया था। गैंग के सरगना मुस्तफा ने बताया कि वो और उसके साथी गाडिय़ों को चुराने के लिए मास्टर की का इस्तेमाल करते थे। इसके बाद चेसिस व इंजन नंबर को मशीन से मिटाकर नया नंबर खोद दिया जाता था। इसी फर्जी नंबर के आधार पर फर्जी रजिस्ट्रेशन पेपर तैयार कराकर गाडिय़ों के रंग में थोड़ा फेरबदल कर उसे बेच देते थे। गैंग को पकड़कर इस रैकेट का पर्दाफाश करने वाली पुलिस टीम को डीआईजी ने 10 हजार व एसएसपी ने पांच हजार रुपये का ईनाम देने की घोषणा की है।

Posted By: Inextlive