'कार्लोस द जैकल' के नाम से कुख्यात अंतरराष्ट्रीय चरमपंथी इलीच रमीरेज़ सांचेज़ पर सोमवार को पेरिस में मुक़दमा शुरु होगा.

मुकदमा 1980 के दशक का है जब चार बम धमाकों में 11 लोग मारे गए थे। कार्लोस पहले ही फ्रांस में 1975 में दो पुलिस वालों के क़त्ल के लिए उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे हैं। एक अंडरकवर ऑपरेशन में फ्रांस के विशेष बलों ने 1994 में सूडान में उन्हें धर दबोचा था।

इस तरह कार्लोस 14 साल बाद एक बार फिर से कटघरे में होंगे। कार्लोस ने 1982 और 1983 में चार धमाके कथित तौर पर अपने साथियों को छुड़ाने के लिए करवाए थे। इनमें से सबसे ख़तरनाक हमला पेरिस और टूलूज़ में चल रही एक ट्रेन पर किया गया था जिसमें पांच लोग मारे गए थे।

इसके इलावा पेरिस, मार्से और तेज़ चलने वाली टीजीवी ट्रेन में भी धमाके किए गए थे। हालांकि 62 वर्षीय कार्लोस इनमें हाथ होने से इंकार करते हैं। अदालत में उनका मुकदमा उनकी पुरानी वकील ही लड़ेंगी जिन्होंने बाद में उनके साथ इस्लामी रिवाज़ों के अनुसार विवाह कर लिया था।

धनी परिवार

वेनेज़ुएला के एक धनी परिवार में जन्मे इलीच रमीरेज़ सांचेज़ का नाम अपने पिता के हीरो लेनिन के नाम पर रखा गया था। उन्होंने फ़लस्तीन के मुद्दे को अपना लिया और 1975 में विएना में ओपेक मुख्यालय में बंधक बनाए जाने वाले मामले से वह जाने गए।

बाद में यह माना जाने लगा कि तत्कालीन कम्युनिस्ट पूर्वी यूरोप की ख़ुफ़िया सेवाओं ने उन्हें पैसे दिए थे। हालांकि कहानी अब भी संदिग्ध बनी हुई है और बचाव पक्ष पुराने ज़माने की प्रतीत होने वाली इस घटना के ठोस सबूत की कमी का फायदा उठा सकता है।

Posted By: Inextlive